मैं गांव का रहने वाला एक सामान्य सा लडका हूँ। यह बात तीन साल पहले की है जब मैं पोस्ट ग्रेजुएशन के पहले वर्ष मे था मैंने जब सुहानी को देखा तो मुझे उससे प्यार हो गया इससे पहले मैं प्यार पर विश्वास नही करता था लेकिन जब मैंने उसे देखा तो मुझे उस से प्यार हो गया।
क्लास में वह सबसे ज्यादा इंटेलीजेंट थी कुछ महिनो तक उसे मै चुपके से देखता रहता था लेकिन मेरी कभी उस से बात करने की हिम्मत नही हुई। जब हम लोगो की रौनक ने बात करवाई तो मैं उससे बात करने लगा था इस तरह हमे बात करते हुए 6 महीने हो गये लेकिन मैं सुहानी से कुछ नही कह सका।
कुछ समय बाद हमारे पहले वर्ष के एग्जाम हो गये लेकिन मैं अभी भी उस से कुछ नही बोल पाया था जब भी मैं उसे देखता तो वह मुझे देख कर मुस्करा देती यह सिलसिला काफी समय तक चलता रहा। मैं उसे अपने दिल की बात कहना चाहता था लेकिन कह ना सका। एक दिन मै क्लास मे जल्दी आ गया था जब वह क्लास मे आई तो मुझे देख कर वह मुस्कराने लगी और वह मेरे पास आकर बैठ गयी।
उस वक्त हमारी क्लास शुरू नहीं हुई थी सुहानी ने मुझसे कहा कि मोहन क्या आज शाम को हम लोग मेरे घर के पास मिल सकते हैं तो मैंने सुहानी को कहा हां सुहानी क्यों नहीं मैं तुम्हें तुम्हारे घर के पास मिलने के लिए आ जाऊंगा।
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हम दोनों बात कर रहे थे कि क्लास में प्रोफ़ेसर आ गए और अब क्लास शुरु हो चुकी थी क्लास खत्म हो जाने के बाद मैं सिर्फ श्याम के बारे में सोच रहा था मैं यह सोच रहा था कि जब मैं सुहानी से मिलूंगा तो मैं सुहानी से क्या बात करूंगा।
मैं सुहानी को गिफ्ट देना चाहता था लेकिन मेरे लिए तो यह सब बिल्कुल नया ही था और उस दिन जब शाम के वक्त मैं सुहानी से मिलने के लिए उसके घर के पास गया तो सुहानी मुझसे मिलकर बहुत खुश थी और वह मुझे कहने लगी कि मोहन आज तुमसे मिलकर ऐसा लग रहा है कि जैसे तुम से कितने बाद समय बाद मिल रही हूं।
मैं सुहानी की कुछ बातों को समझ नहीं पा रहा था सुहानी मुझे कहने लगी कि मोहन मैं तुमसे अपने दिल की बात कहना चाहती हूं। उस दिन सुहानी ने मुझसे अपने दिल की बात कह दी मेरे लिए इससे बढ़कर शायद कुछ हो ही नहीं सकता था क्योंकि मैं तो कभी सुहानी को कुछ कह नहीं सका लेकिन सुहानी ने खुद हीं मुझे अपने दिल की बात कह दी थी जिसके बाद मैं और सुहानी एक दूसरे से अक्सर मिलने लगे थे।
हम दोनों जब भी एक दूसरे को मिलते तो हमें बहुत ही अच्छा लगता और मैं सुहानी से मिलकर बहुत खुश था। एक दिन सुहानी ने मुझे कहा कि मोहन मैं कुछ दिनों के लिए पापा और मम्मी के साथ अपनी ममेरी बहन की शादी में जा रही हूं वहां से मुझे लौटने में कुछ दिन लग जाएंगे।
मैंने सुहानी को कहा लेकिन मैं तुम्हारे बिना कैसे रहूंगा तो वह मुझे कहने लगी कि देखो मोहन मैं भी तो तुम्हारे बिना रहूंगी और मुझे भी शादी में जाना अच्छा नहीं लग रहा है लेकिन पापा और मम्मी के आगे मैं कुछ बोल नहीं सकती और तुम जानते ही हो कि उनसे मैं इस बारे में बात भी नहीं कर सकती। सुहानी भी अपनी ममेरी बहन की शादी में चली गई और वह मुझसे फोन के माध्यम से ही संपर्क में थी हम दोनों फोन पर ही बातें करते थे।
मैंने सुहानी को कहा सुहानी मुझे तुम्हारी बहुत याद आ रही है तो वह मुझे कहने लगी कि मोहन मुझे भी तुम्हारी काफी याद आ रही है लेकिन हम लोग यहां 10 दिनों तक रुकने वाले हैं। मैं यह सोचकर बहुत परेशान था कि यह 10 दिन मेरे लिए कैसे कटेंगे क्योंकि मैं तो सुहानी की यादों में इतना ज्यादा खोया हुआ था कि मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि यह 10 दिन मैं कैसे काटूंगा।
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सुहानी से हर रोज मैं फोन पर बातें करता हम दोनों की फोन पर बातें होती रहती थी 10 दिन मेरे लिए बहुत लंबे थे और जब 10 दिनों बाद मैं सुहानी को मिला तो मैंने सुहानी को गले लगाते हुए कहा सुहानी यह 10 दिन मेरे लिए काफी ज्यादा मुश्किल थे मैं तुम्हारे ही बारे में सोचता रहता।
सुहानी मुझे कहने लगी कि मोहन मैं जानती हूं तुम मेरे बारे में ही सोच रहे थे और मुझे यह भी पता है कि तुम मुझसे कितना ज्यादा प्यार करते हो। सुहानी और मैं एक दूसरे के साथ बहुत खुश थे और मुझे इस बात की खुशी थी कि सुहानी से अब मैं हर रोज मिल पाऊंगा।
एक दिन मैं सुहानी को मिलने के लिए उसके घर पर चला गया उस दिन सुहानी और मैं घर पर ही थे सुहानी ने उस दिन मुझे अपनी मां से मिलवाया सुहानी की मां से मिलकर मैं काफी खुश था क्योंकि सुहानी की मां बहुत ही अच्छी हैं और उनसे बात कर के मुझे काफी अच्छा लगता।
सुहानी की मां के साथ मैं काफी घुलने मिलने लगा और सुहानी भी इस बात से बहुत खुश थी कि मैं उसकी मां के साथ काफी अच्छे से घुल मिल गया हूं। मेरा सुहानी के घर पर अक्सर आना जाना लगा रहता था जिस वजह से सुहानी और मैं अब और भी ज्यादा नजदीक आने लगे थे।
मै जब भी सुहानी के घर जाता तो मुझे बहुत अच्छा लगता। एक दिन हम दोनों साथ में बैठकर टीवी देख रहे थे जब हम लोग टीवी देख रहे थे तो उस वक्त एक किस सीन चल रहा था जिसे देख कर सुहानी मेरी तरफ देखने लगी क्योंकि हम दोनों एक ही सोफे में बैठे हुए थे।
मेरा हाथ सुहानी की जांघ पर चला गया जब मेरा हाथ उसकी जांघ पर गया तो मैं उसकी जांघ को सहलाने लगा उसने उस दिन स्कर्ट पहनी हुई थी मैंने उसकी स्कर्ट को ऊपर उठाया और उसकी पैंटी तक मैंने अपने हाथ को ले जाना शुरू किया।
जब उसकी पैंटी तक मेरा हाथ गया तो मैने उसकी चूत पर अपना हाथ लगाया। मुझे महसूस हुआ कि उसकी चूत से बहुत ज्यादा पानी बाहर निकल रहा है जिस वजह से उसकी पैंटी भी पूरी तरीके से गीली हो चुकी थी। वह अपने आपको रोक नही पा रही थी जब उसने मेरे होठों को चूमा तो वह मुझे कहने लगी मोहन मुझे बहुत अच्छा लग रहा है।
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मैंने उसे कहा अब तो मुझे भी बहुत अच्छा लगने लगा है हम दोनो एक दूसरे के साथ किस करने लगे। मैं बहुत ही ज्यादा खुश हो गया था सुहानी भी इतनी ज्यादा खुश थी कि वह मुझे कहने लगी मैंने आज तक कभी किसी के लंड को देखा नहीं है। मैंने सुहानी को कहा क्या वाकई में तुमने कभी किसी के लंड को देखा नहीं है वह कहने लगी नहीं मोहन मैंने आज तक कभी किसी के लंड को देखा नहीं है।
मैंने जब अपने लंड को बाहर निकाला तो वह खुश हो गई उसके चेहरे पर खुशी थी। उसने जब मेरे लंड को अपने हाथों में लिया और जब वह मेरे लंड को अपने हाथों मे लेकर उसे ऊपर नीचे करने लगी तो मुझे और भी ज्यादा मजा आने लगा। मैं इतना ज्यादा उत्तेजीत चुका था कि मैं अपने आपको बिल्कुल नहीं रोक पा रहा था। मैंने सुहानी को कहां सुहानी तुम अपने मुंह में लंड ले लो तुम्हें बहुत ही मजा आएगा।
सुहानी भी शायद अपने आपको रोक नहीं पाई उसने अपने मुंह के अंदर मेरे मोटे लंड को लिया और उसने मेरी इच्छा को पूरा कर दिया था मैं बहुत ज्यादा खुश था। मैंने सुहानी को कहा मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है सुहानी ने मेरे लंड को बहुत देर तक अपने मुंह में लिया और उसने मेरे लंड से वीर्य बाहर निकाल दिया था लेकिन मैं कहां अपने आपको रोक पा रहा था और सुहानी के अंदर की गर्मी बढ चुकी थी।
मैंने जब सुहानी के कपड़े उतारे और उसे मैंने अपने सामने नंगा किया तो उसके स्तनों को देखकर मैं बहुत ही खुश हो गया। मैंने उसके स्तनो को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू किया तो मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था और वह भी बहुत ही ज्यादा खुश थी। उसने मुझे कहा मोहन मुझे बहुत मजा आ रहा है ऐसा लग रहा है कि बस तुम मेरे स्तनों को चूसते रहो।
मैंने उसके बूब्स के साथ बहुत देर तक खेला उसके बाद वह बहुत ही ज्यादा गर्म हो गई थी और मेरे लंड को चूत मे लेने के लिए बेताब थी। मैंने अपने लंड को जब उसकी चूत पर सटाया और उसकी चूत की गर्मी बाहर की तरफ को निकल रही थी मैंने धीरे-धीरे उसकी योनि के अंदर लंड को डालना शुरू किया।
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मेरा आधा लंड उसकी चूत के अंदर जा चुका था जिस से कि वह चिल्लाने लगी थी मैंने सुहानी को कहा सुहानी तुम इतना मत चिल्लाओ नहीं तो कोई आ जाएगा। सुहानी कहने लगी कोई बात नहीं मोहन तुम अपने लंड को चूत में डाल दो।
मैने जब सुहानी की चूत के अंदर अपने मोटे लंड को प्रवेश करवाया तो वह जोर से चिल्लाते हुए मुझे कहने लगी तुम्हारा लंड मेरी चूत के अंदर तक जा चुका है और मुझे बहुत मजा आ रहा है।
वह इतनी ज्यादा खुश हो चुकी थी कि वह अपने पैरों को खोलने लगी मैंने उसकी दोनों जांघों को कस कर पकड़ा हुआ था और उसकी चूत के अंदर बाहर मै अपने लंड को बड़ी तेजी से किए जा रहा था जिससे कि वह बहुत ज्यादा उत्तेजित होने लगी थी।
वह मुझे कहने लगी मेरे अंदर की गर्मी बढ़ती ही जा रही है मैंने उसे कहा सुहानी मैं भी नहीं रह पा रहा हूं और मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। मेरा लंड पूरी तरीके से छिल चुका था और सुहानी की चूत से भी बहुत ज्यादा खून निकल गया था।
मैंने उसकी चूत से लंड को बाहर निकाला सुहानी की चूत मे मैने अपने मोटे लंड को दोबारा से डाला तो वह बहुत जोर से चिल्लाते हुए मुझे कहने लगी तुमने मेरी चूत को फाड़ दिया है।
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मैंने उसे कहा मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है उसकी चूत मे मै बड़ी तेजी से प्रहार करने लगा उसकी चूतड़ों पर जब मेरा लंड टकरा रहा था तो वह जोर से चिल्लाते हुए कहती मुझे और तेजी से चोदते रहो।
मैं उसे बड़ी तेज गति से धक्के देता रहा। वह मुझे बोली मैं तुम्हारा साथ नहीं दे पाऊंगी मै समझ चुका था कि वह पूरी तरीके से संतुष्ट हो चुकी है मैंने उसकी चूत मे माल गिरा दिया और उसको खुश कर दिया।