ब्रेकअप का गम मम्मी की चुदाई से हुआ कम- Mummy ki Chudai ki Kahani

मेरा नाम नितेश है, मेरी उम्र 23 साल है, में अभी तक सिंगल हूँ और में मेरे मम्मी पापा के साथ रहता हूँ। अब में आपका ज्यादा समय ख़राब ना करते हुए सीधा Escort Service in Bangalore अपनी कहानी पर आता हूँ। दोस्तों ये कहानी तब की है जब में कॉलेज के फाइनल ईयर में था, मेरी गर्लफ्रेंड जिसका नाम दामिनी था, उसकी और मेरी बहुत गहरी दोस्ती थी।

उस टाईम मेरी उम्र 19 साल होगी, दामिनी और मेरे रिलेशन के बारे में पूरे कॉलेज को मालूम था। मेरी माँ भी इसके बारे में जानती थी। वो मेरे घर के पास ही रहती थी, उसके और मेरे बीच में फिज़िकल रीलेशन नहीं हुआ था, वो काफ़ी ऊँचे ख्यालात की थी और मुझे उसकी इसी चीज से डर लगता था। में उससे बहुत प्यार करता था और वो भी मुझसे बहुत प्यार करती थी, ऐसा में सोचता था जो मुझे बाद में पता चला।

फिर एक दिन मेरे कॉलेज में एक लड़का आया, जो कि एक एन.आर.आई का लड़का था। फिर धीरे-धीरे दामिनी और उसमें दोस्ती हो गई, तो मैंने इसे सीरियस्ली नहीं लिया। फिर एक दिन मुझे मेरे एक दोस्त से पता चला कि ये दोस्ती अब हद पार करे जा रही है। तो उसने कहा कि उसने अयान को (एन.आर.आई का लड़का) और दामिनी को लैब में लिप किस करते हुए देखा था। अब मेरे तो होश ही उड़ गये थे।

फिर में उसी दिन शाम को उसके घर गया और दामिनी के घर पहुँचा। तो वो डिस्को जाने के लिए निकल रही थी, तो मैंने उससे पूछा, तो वो मेरे ऊपर भड़क गई और मेरे साथ बहस करके चली गई। अब में हैरान था, अब में तो कुछ समझ ही नहीं पाया था।

फिर अगले दिन में उसे समझाने उसके घर गया, तो जब उसके मम्मी और पापा ऑफीस में रहते थे। तो में जब उसके घर गया तो मैंने बाहर देखा कि अयान की कार पार्क थी और अंदर से रूम लॉक था। अब मुझे शक हुआ तो में घूमकर पीछे की साईड से उसके रूम के पास पहुँचा, तो वहाँ खिड़की खुली हुई थी, लेकिन वहाँ कोई नहीं था।

अब अंदर से टी.वी की आवाज़ आ रही थी तो में कुछ रिलेक्स हुआ कि वो लोग टी.वी देख रहे होगें, तो में खिड़की से उनके ड्रॉईग रूम में घुसा तो जो मैंने देखा मेरे पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गई। अब टी.वी ऑन था, लेकिन अयान और दामिनी दोनों एकदम नंगे खड़े थे और दोनों के होंठ एक दूसरे से जुड़े हुए थे और दामिनी का बायाँ हाथ अयान के लंड को पकड़कर सहला रहा था और अयान का दायाँ हाथ दामिनी के मुलायम बूब्स को हल्का-हल्का दबा रहा था, वैसे जिसे मैंने भी पिछले 5 साल से ना देखा, ना टच किया था। अब वो दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए मज़े लेने में बिज़ी थे और मेरी तरफ किसी का ध्यान नहीं था।

अब मुझसे ये सब देखा नहीं गया तो मैंने दामिनी को डांटकर पुकारा, तो उनका ध्यान भंग हुआ और मुझे देखकर दामिनी को शॉक तो नहीं हुई, लेकिन गुस्सा ज़रूर हुई और उसने अपनी मालिश जारी रखते हुए मुझे बहुत गाली दी और चले जाने को कहा, तो अयान ने भी उसके बूब्स दबाते हुए बहुत कुछ कहा।

तो मैंने किसी तरह से अपने आँसू रोके और चला आया और वो दोनों फिर से अपने काम में जुट गये। अब में इससे एकदम टूट गया था और में उस दिन खाना भी नहीं खा पाया। अब मेरी माँ के समझ में कुछ नहीं आया और वो मुझे समझाती रही और बाद में उसे सच का पता चला, तो उसने मुझे बहुत समझाने की कोशिश की, लेकिन में नॉर्मल नहीं हो पाया।

फिर 15 दिन ऐसे ही बीत गये, अब मेरी माँ का चेहरा भी उतरने लगा था। अब मेरी चिंता का 16वां दिन था और जब सुबह के 8 बजे का टाईम था। तो तब मेरे पड़ोस की एक आंटी आई, वो दिखने में 32-33 साल की थी।

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फिर माँ ने उन्हें मेरे पास भेजा। अब माँ दरवाजे के पास खड़ी मुझे देख रही थी। फिर सुषमा आंटी मेरे पास आई और बैठकर बातें करने लगी, तो में उन्हें अनसुना करता रहा। फिर आंटी जाने के लिए उठी तो अचानक से उनका पल्लू कही फंस गया और उठते ही उनका पल्लू खिसक गया।

तो पलभर में मुझे उनके लो-कट ब्लाउज से उनके मिल्की बूब्स के दर्शन हो गये और 1 सेकेंड के लिए मेरी आँखे घूम गई और वापस खिड़की की तरफ हो गई। लेकिन अब माँ ने सब देख लिया था और उसे मेरे रोग का इलाज़ मिल गया था। फिर क्या था? वो दोनों अंदर मेरी माँ के कमरे में गई और माँ ने काफ़ी देर तक आंटी से बातें की।

फिर थोड़ी देर के बाद आंटी वापस आई और मुझे देखकर मुस्कुराकर मेरे गाल पर हाथ से काटा और चली गई। अब मेरी माँ का चेहरा भी कुछ रिलेक्स लग रहा था।

ये अगले दिन की बात है मेरे लिए तो जैसे दुनिया ही ख़त्म हो गई थी। मेरा कॉलेज जाना 16 दिन से बंद था, जब सुबह जे लगभग 10 बजे होगें। फिर मुझे कुछ आवाज़ सुनाई दी, शायद वो आवाज सुषमा आंटी की ही थी, वो उनके पति के ऑफीस जाने के बाद हमारे घर आई थी।

फिर माँ मेन दरवाजा बंद करके आई और मुझे उनके रूम में आने को कहा। तो मैंने उनको डिस्टर्ब ना करने को कहा, तो वो मुझे जबरदस्ती धकेलते हुए उनके बेडरूम में ले गई, तो मुझे वहाँ पर पहुँचकर हैरानी हुई। अब बेडरूम में बेड पर आंटी एक रेड सेक्सी नाइटी पहने हुए बैठी हुई थी। अब वहाँ बेडशीट भी पहले जैसी नहीं थी, वहाँ एक मखमली रेड बेडशीट बिछी थी। फिर माँ ने मुझे बेड पर बैठाया, अब सुषमा आंटी भी मुझे देखकर स्माइल कर रही थी।

अब मुझे बहुत शर्म आ रही थी तो में उठने लगा, तो माँ ने मुझे फिर से बैठाया और आंटी को इशारा किया, तो फिर आंटी ने माँ के साथ मिलकर मुझे बेड पर लेटा दिया। अब आंटी ने लेटते ही मेरी दोनों टांगो के ऊपर अपनी मुलायम बाई टांग रख दी और रगड़ने लगी। तो मैंने आंटी को हटाने की बहुत कोशिश की तो वो मुझसे और चिपक गई।

फिर मैंने आंटी से पूछा कि ये सब क्या हो रहा है? तो उन्होंने बस मेरी माँ की तरफ इशारा किया और मुझे ज़ोर से किस करने लगी। तो मैंने माँ को देखा तो वो बोली कि कुछ मत बोलो, आज के बाद तुम्हें कभी भी दामिनी की याद नहीं आएगी। अब मेरा दिमाग़ दामिनी का नाम सुनकर उसे याद करने लगा था, अब इधर मौका देखकर माँ ने मेरे शॉर्ट्स को चड्डी समेत खींच दिया, तो में नीचे से पूरा नंगा हो गया।

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अब आंटी की नाइटी भी उनकी जांघो तक उठ गई थी और वो उनकी नंगी टाँगे मुझसे रगड़ रही थी। फिर आंटी ने नंगे होते ही मेरे लंड को पकड़ लिया और मसलने लगी, तो माँ आंटी के पीछे आ गई और देखते ही देखते माँ ने आंटी की नाइटी उनसे अलग कर दी।

आंटी ने अंदर कुछ भी नहीं पहना था, मैंने वहाँ से निकलने की बहुत कोशिश की और उन दोनों से मुझे छोड़ देने के लिए कहा। तो माँ ने मुझे तुरंत डाटकर चुप होने के लिए कहा और आंटी को मेरा मुँह बंद करने को कहा। तो आंटी ने बिना देर किए अपनी बाई चूची मेरे मुँह में डाल दी, तो में आंटी को देखने लगा।

अब वो बहुत ख़ुशी से अपनी चूची को पकड़े मुझे चूसने को उकसा रही थी। फिर वो मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरे लिप को अपने मुँह में लेकर ज़ोर-जोर से चूसने लगी थी। अब माँ अभी भी मेरे सामने खड़ी थी और सब देख रही थी। अब आंटी धीरे-धीरे मेरे पूरे बदन को चूमने और चूसने लगी थी और मेरे गले, छाती, निप्पल सबको मेरी टी-शर्ट के ऊपर से चूमने लगी थी और फिर उनके होंठ धीरे से मेरे लंड के पास आ गये, तो मैंने शर्म से अपनी आँखे बंद कर ली।

अब आंटी मेरे लंड को किस करने लगी थी और अपने मुँह में लेकर चूसने लगी थी। अब में धीरे-धीरे गर्म होने लगा था और मेरा लंड भी खड़ा होकर तन गया था। फिर मैंने एक बार अपनी आँखे खोली तो मैंने देखा कि आंटी मेरे पैरो के बीच में लेटी हुई थी और मज़े से मेरा लंड चूस रही थी।

अब माँ उनके ऊपर झुककर उनकी नंगी गोरी पीठ को बड़े प्यार से सहला रही थी जैसे कि शाबाशी दे रही हो। फिर कुछ देर में ही मेरी सिसकियाँ निकलने लगी, जिसे वो दोनों काफ़ी इन्जॉय कर रही थी।

फिर मैंने अपनी माँ से नज़र मिलाई, तो माँ ने मुझे इन्जॉय करने के इशारे से कहा, तो मेरी शर्म चली गई और में आंटी को गौर से देखने लगा। अब वो मेरे लंड को चूस रही थी और मुझे देखते हुए हंस रही थी। अब मेरी सिसकियाँ तेज़ होने लगी थी, अब आंटी ने मेरी दशा भाँप ली थी और उठकर मेरे लंड को पकड़कर अपनी के चूत ऊपर लगाया और फिर अपना दबाब डाला। तो में और आंटी दोनों एक साथ कराह उठे, मैंने पहली बार ऐसा एक्सपीरियन्स किया था।

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अब आंटी की गीली चूत से मेरा लंड एकदम चिपक गया था, अब आंटी की आँखे भी आनंद से बंद हो रही थी। फिर कुछ देर के बाद आंटी ने अपने आपको ऊपर उठाया और फिर नीचे आई, तो मेरे मुँह से फिर से सिसकी निकल गई। फिर आंटी बिना रुके अपनी गांड को हिलाती रही और पूरे कमरे में हम दोनों की आहें और चूत से पच-पच की आवाज़ें आती रही, जिसे माँ देखकर धीरे-धीरे से हंस रही थी, अब उनका प्लान कामयाब हो चुका था।

अब मेरे मन से दामिनी का भूत उतर चुका था, अब धीरे-धीरे में और आंटी आनंद के सागर में डूबते जा रहे थे। फिर अचानक से आंटी की स्पीड बढ़ गई और उनकी सिसकियाँ भी तेज हो गई, तो कुछ देर में मेरा क्लाइमैक्स आ गया और में तेज़ कराह के साथ आंटी की चूत में ही झड़ गया और आंटी भी मेरे गर्म वीर्य का एहसास पाकर झड़ने लगी और मेरे ऊपर ही गिर गई। अब उनका और मेरा रस आपस में मिल गया था और वो उसकी चूत से झलककर बहने लगा था।

फिर आंटी मेरे ऊपर से हट गई, तो मैंने माँ को देखा, वो पास में कुर्सी पर बैठी मुस्कुरा रही थी। फिर माँ उठकर मेरे पास आई और मेरे बालों को सहलाने लगी और बोली कि तुम खुश हो ना बेटा। तो मैंने माँ का हाथ पकड़ा, उसे चूमा और हाँ में अपना सिर हिलाया। फिर में उठा और माँ के गाल को चूमते हुए कहा कि माँ तुमने आज मुझे बचा लिया, नहीं तो में तो मरने की सोच रहा था।

फिर इस बीच आंटी बोली कि कोई हमारी भी तारीफ करो भाई हमने तो सबसे बड़ी कुर्बानी दी है। तो इतना सुनते ही में आंटी की तरफ घूमा और उन्हें खींचकर कसकर अपने गले से लगा लिया और फिर बोला कि आंटी आज तो तुमने मुझे वो दिया है जिसके लिए आप मेरी जान भी ले सकती हो।

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तो आंटी ने भी मुझे पलटकर किस किया और हंसकर उठने लगी। फिर माँ ने भी आंटी को कसकर चूमा और उनसे कहा कि सुषमा आज तुमने जो मेरे लिए किया है उसके लिए में हमेशा तुम्हारी एहसानमंद रहूंगी। तो आंटी बोली कि इसकी कोई ज़रूरत नहीं है ये सब मैंने अपने लिए किया था। फिर आंटी अपनी नाइटी पहनने लगी, तो में आंटी को बड़ी गौर से देखने लगा।

अब जिसे में अभी तक शर्म के कारण नहीं देख पाया था, क्या सुंदर जिस्म था आंटी का, जहाँ पर जितना होना चाहिए बस उतना ही था। अब आंटी भी मेरी नज़र से शर्मा गई थी और तुरंत अपनी नाइटी से अपने बदन को ढककर बोली कि ऐसे क्यों देख रहे हो? तो में उनके पास गया और उनको पकड़कर उनकी नाइटी के ऊपर से ही उनकी चूत पर एक लंबी और डीप किस किया और फिर मैंने उन्हे छोड़ दिया।

तो उन्होंने मेरे गाल पर हल्का सा मारकर नॉटी कहा और फिर वो माँ को बाय कहकर चली गई और फिर माँ ने मुझे पेंट पहना दी। अब में बहुत खुश था और में पहली बार बहुत खुश होकर सो गया ।

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