बस में मेरी चूत गीली की और घर आके चोदा-2 – Antarvasna

जब मैंने मोबाइल बिस्तर पर फेका तब तक मैं इतनी गीली हो चुकी थी की अनायास मेरा हाथ चूत पर चला गया और उसी हालत में मेरी उसकी हुयी बात को याद करते हुये मैं मास्टरबेट करने लगी। मेरी उंगलियां मेरी गीली चूत के अंदर बहार हो रही थी और मैं अपनी क्लिट को भी बेरहमी से रगड़ रही थी।

मैं लड़के की हिम्मत के बारे में सोंच रही थी, जो मुझसे २० साल छोटा था लेकिन बड़े अधिकार से मुझ से बिना पैंटी के साडी पहनने के लिए कह रहा था ताकि वोह भरी बस में खुले आम मेरे चूतरो से और मस्ती ले सके।

सेक्स की इस असीम चाहत से मैं रोमांचित हो उठी और मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। मैं बिस्तर पर पड़े पड़े उसी के बारे में और उससे हुयी बातो के बारे में सोचती रही। मैंने उसका नंबर अपने मोबाइल में, एक लड़की के नाम सेव कर लिया। तब मुझे ध्यान आया की अभी तक न मैंने अपना नाम उसे बताया था न उसने ही अपना नाम मुझे बताया था।

अगले दिन जब मैं अपनी बेटी को छोड़ने के लिए तैयार हुयी तब मुझे कल वाली उसकी बात ध्यान में आयी। मैंने शीशे में अपने आपको घूरा और मैंने अपनी साडी पेटीकोट उठा कर एक झटके में पैंटी उतार दी। मैं जब बाहर निकली तो बिना पैंटी के मुझे बड़ा अजीब लग रहा था। लग रहा था मेरी चूत भरे बाज़ार नंगी होगयी है और मेरी झांघो के बीच वोह रगड़ी जा रही है।

मैं अंदर ही अंदर बहुत उतेजित भी थी और सोंच भी रही थी, हे भगवान! मैं यह क्या कर रही हूँ! वह भी एक २० साल के प्रेमी के लिए! मैं जब बस स्टॉप पर पहुँची वह लड़का वहाँ पहले से ही खड़ा था। उसने जीन्स और टी शर्ट पहने हुयी थी, हमारी आँखे मिली और हमने नज़र घुमा ली, जैसे हम दोनों एक दुसरे को नहीं जानते ।

हमेशा की तरह मैं हैंडल पकड़ कर खड़ी होगयी और वोह लड़का धक्का देता हुआ ठीक मेरे पीछे आकर खड़ा होगया। उसने फ़ौरन मेरी कमर के नीचे हाथ रख कर मेरी पैंटी को महसूस करने की कोशिश की।

जब उसको इसका एहसास हो गया की आज मैंने उसके कहने पर पैंटी नहीं पहनी है तब उसने मेरे चूतरो को थप थपा दिया, जैसे वोह मुझे धन्यवाद दे रहा हो। बिना पैंटी के जब उसके हाथ मेरे चूतरो के ऊपर पड़े मैं बिना दांत भीचे नहीं रह पायी। आज पहली बार उसके उद्वेलित हाथो की गर्मी मेरे चूतरो पर सिर्फ साडी के ऊपर से महसूस कर रही थी।

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मैंने थोड़े पैर और फैला दिया और जैस मुझे उम्मीद थी उसका कड़ा लंड मेरे चूतरो की दरार से रगड़ खाने लगा। आज वह अपना लंड वही रगड़ रहा था और मेरे चूतरो को मसल भी रहा था,मैं बिलकुल अलग दुनिया में पहुँच गयी थी, उस भीड़ भरी बस में मैं वासना के उस सागर का सुख ले रही थी जो मेरी शादी के १८ साल बाद भी अभी तक मुझसे महरूम था।

पुरे रास्ते उसका लंड मेरे चूतरो पर रगड़ता रहा और मेरी चूत भी आज कुछ ज्यादा गीली हो गयी थी। आज मैं पैंटी नहीं पहने थी , मेरी चूत का पानी बहकर मेरी जांघो पर आगया था। जब उसका स्टॉप आया वोह उतरने के लिए आगे आया और जाते जाते धीरे से मुझे ‘थैंक्स , कॉल मी’ कहते हुये आगे बढ़ गया। मैं मूर्ति की तरह वैसे ही वैसे खड़ी रही।

मैं जैसे तैसे घर पहुँची और घुसते ही रुमाल से मैंने अपनी बहती हुयी चूत को पोंछा और उसको मोबाइल लगा दिया।

वोह: ‘हाय दिलरुबा!’

मैं: ‘हम्म्म’।

वोह: ‘थैंक्स, मेरी इच्छा पूरी करने के लिए’।

मैं: ‘ हाँ, मैं बच्चो को निराश नहीं करती’।

यह कह कर हॅसने लगी और वह भी हॅसने लगा।

वोह: ‘हम कब मिल सकते है?’

मैं चुप हो गयी। मिलने की इच्छा मुझे भी होने लगी थी और मन मानने लगा था की उससे मिलने में कोई बुराई और खतरा नहीं है। लेकिन परेशानी थी की मैं उससे कहाँ मिल सकती हूँ?

मैं: ‘मुझको नहीं पता। कोई ऐसी जगह नहीं समझ में आती जहाँ मैं तुमसे मिल सकू’।

वोह: ‘मैं आपको अपने घर नहीं ले जा सकता, मेरी माँ हमेशा घर रहती है। आपका घर कैसा रहेगा?’

मैं: ‘मेरा घर?’

उसने जब मेरे घर की बात की तब मैं सोचने लगी की बात सो सही है, मेरी नौकरानी १२ बजे चली जाती थी और ४ बजे मैं अपनी बेटी को लेने स्कूल के लिए निकलती थी। १२ से ४ के बीच मैं घर पर बिलकुल ही अकेली रहती थी। मैंने बिना हिचके उसको १२:३० बजे का समय दे दिया और अपने मकान का पता बता दिया।

अगले दिन वह बस स्टॉप पर नहीं दिखा , मैं घर ऑटो रिक्शॉ पकड़ कर जल्दी आगयी। नौकरानी को भी मैंने जल्दी कम ख़तम करने को कहा और १२ से पहले ही उसे भी घर के बाहर कर के दरवाज़ा बंद कर दिया। उसके जेन के बाद मैं बिलकुल एक कामातुर प्रेमिका की तरह कपडे निकलने लगी।

मैंने अब स्लीवलेस काले रंग का ब्लाउज पहन लिया जिसकी बैक खुली थी और उसके साथ सफ़ेद रंग की साडी जिस पर काले पोल्का डॉट पड़े थे पहन ली। बड़ी अजीब बात थी, यह साडी मेरे पति की पसंदीदा साडी थी , जो उन्होंने मुझे शादी की १५ वीं वर्ष गांठ पर दी थी।

जब मैंने पहली बार इस साडी को पहना तो उन्होंने मुझसे कहा था, की मैं बहुत सेक्सी लग रही हूँ और उन्होने वही साडी उठा कर मुझे जल्दी से चोदा और उसके बाद ही हम लोग बाहर खाने पर गए थे। मैंने साडी पहन कर अपने आप को शीशे में निहारा और अपने पर रश्क कर बैठी, मैं आज भी इस साडी में बहुत सुन्दर और सेक्सी लग रही थी।

मैं अपने को निहार ही रही थी कि तभी बाहर दरवाज़े पर घंटी बजी। मैं एक बार ठिठकी , एक बार और अपने को देखा और फिर दरवाजा खोलने चली गई ।

मैंने दरवाज़ा खोला, वोह सामने खड़ा हुआ था, मै बाहर निकली , इधर उधर देखा कि कोई देख तो नहीं रहा है और इत्मीनान होने के बाद उसको अंदर आने का इशारा किया। वह तेजी से अंदर आगया और मैंने तुरंत दरवाज़ा बंद कर के डबल लॉक कर दिया, मै अब उस वक्त बेहद घबड़ायी होयी थी और साथ मै अंजाने पल के लिए उतावली भी हो रही थी।

मै जब दरवाज़ा बंद कर के मुड़ी तो मुझे मंत्रमुग्ध देख रहा था और वह मेरे पास आया और मेरे कंधो को पकड़ के अपने पास खीच लिया और कहा, ‘बहुत खूबसूरत लग रही है’।

जब उसने मुझे अपने से चिपकाया , तब उसका कड़ा लंड मेरी जांघो से टकरा गया। उसके लंड का मेरे जांघो को छूने से मेरे बदन में सनसनी सी दौड़ गयी। मैंने अपने आप को उससे अलग किया और उसको अंदर ड्राइंग रूम में सोफे पर बढ़ने को कहा और खुद किचन में उसके लिए पानी लेने को चली गयी।

लेकिन वोह मेरे पीछे किचन में आ गया और मुझे पीछे से अपनी बाँहों में जकड लिया। उसक लंड हमेशा कि तरह मेरे चूतरो से रगड़ खा रहा था। उसने मेरी गर्दन पर अपने ओठ रख दिए और मुझे वह चुम्बन देने लगा, उसके हाथ मेरे नीचे कि तरफ चलने अलगे और उसने मेरी दोनों चूंचियो को अपने दोनों हाथो में लेकर दबाने लगा। उसकी इस हरकत से मेरे मुँह से,’उम्म्म्म’। निकल गयी। मैंने कापती हुई आवाज में कहा, ‘थोडा इंतज़ार करो’।

उसने फुसफुसाते हुए मेरे कान में कहा,’बहुत इंतज़ार किया है मैंने’।

और मेरे कान को चूमने और चूसने लगा। उसकी गर्म साँसे मेरे कान में जारही थी और उस मादकता मै हिलोरे लेने लगी। मुझसे अब रहा नहीं गया और मै घूम गयी और उसकी गर्दन को अपनी बाँहों मै ले लिया और अपने ओठ उसके ओठों पर रख दिए। हमारे ओठ जैसे ही मिले हम दोनों एक दुसरे के ओठ पागलो कि तरह चूमने लगे।

मुझे उसके चूमने के तरीके से साफ लग गया कि यह पहली बार किसी को चूम रहा है , तब मैंने एकाधिकार से अपने ओठो से उसके ऊपर के ओठ को दबा लिया और उसको चूसने लगी। मैंने अपनी जीभ उसके मुँह मै डाल दी और उसको देर तक चूमती रही।थोड़ी देर बाद उसके हाथ मेरे चूतरो पर रेंगने लगे और उसने उन्हें अपनी तरफ दबाते हुए मुझे अपने से चिपका लिया, उसका लंड मेरी झांघों पर रगड़ रहा था और मुझे अपनी चूत गीली होती हुयी महसूस होने लगी।

मैंने अपने आपको उसकी बाँहों से आज़ाद किया और उसे अपने पीछे बेडरूम आने को इशारा किया, वोह मेरे पीछे चल दिया और बेडरूम के अंदर जाने से पहले ही उसने अपनी टी शर्ट उतार दी। मै बिस्तर पर जाकर गिर गयी और उसकी तरफ देखने लगी, वो २० साल का बांका छोरा अपनी नंगी छाती लिए मेरे बेड के पास आरहा था।

उसकी शारीर कसा हुआ और कसरती लग रहा था। जब वोह मेरे पास आया तब मैंने उसके कैसे बदन को अपनी बाँहों मै ले लिया और हम दोनों एक दुसरे को चूमने लगे। उसने मेरी साडी का पल्लू मेरे सीने से हटा दिया और मेरी क्लीवेज को चूमने लगा। वोह बौरा रहा था,
वह कभी मेरी क्लीवेज को चूमता कभी मेरी नंगी बाँहों को चूमता और मै उसकी छाती और उसके निपल्स को चूमने लगी।

जब वह मेरे ब्लाउस को खोलने कि कोशिश करने लगा तब मै उससे अलग हुई और मैंने ब्लाउस और ब्रा उतार कर किनारे रख दी। अब मै बिलकुल ऊपर से नंगी थी। मेरी नंगी चूचियों को देखते ही उसने उनको अपने हाथो मे ले लिया और अपना मुँह उनपर लगा दिया।वोह मेरी चूंचियों को कसके चूसने लगा और मेरे मुँह से सिर्फ ‘उह! ओह!’ कि आवाज़ निकल रही थी।

वह मेरी चूंचियां चूस रहा था और मै अपने हाथ से उसके चेहरे को सेहला रही थी। वोह मेरे पति से बिलकुल अलग तरह से उनको चूस रहा था। मेरे पति मेरी चूंचियों को खूब सहलाते थे और फिर आइस क्रीम कोन कि तरह उसे चूसते थे , लेकिन यह जवान बांका लड़का उनको आइस क्रीम कि तरह खा रहा था। उसके अंदाज़ मे उतवलापन के साथ वहशीपन भी था जो मुझे और रोमांचित और उतेजित कर रहा था।

उसके बाद वोह मेरी चूचियों से हट गया और अपनी पैंट और अंडरवियर उतारने लगा। जैसे ही उसने अपने सहरी से कपडे हत्ये और नंगा खड़ा हुआ मेरी तो सांस रुक गयी! क्या मंजर था! मुझे बिलकुल ग्रीक गॉड लग रहा था। मेरे सामने एक छर छरे बदन का मालिक वह लड़का नंगा खड़ा था, उसका फ़ुफ़कारते हुआ टेढ़ा सा लंड उतेजना से अपने आप हिल रहा था।

उसके शारीर मे बिलकुल ही बल नहीं थे बिलकुल मेरे पति के विपरीत जिनके शारीर पर काफी बाल थे। मैंने गौर किया उसके लंड का सुपाड़ा खुला हुआ था, बिलकुल चिकना सा लाल सा। मैं ेउसको नंगा देख अपनी साडी और पेटीकोट उतार दी और बिस्तर पर नंगी लेट गयी और उसको अपने बगल मे लेटने को कहा।

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उसके लेटते ही मै उसकी तरफ घूम गयी और उसके जवान टनटनाएँ लंड को अपने हाथ मे ले लिया और उसको अपने हाथो से सहलाने लगी। उफ्फ्फ उसके लंड को अपनी हथेली मे पाकर बिलकुल ही बेसुध हो गयी। जिसका लंड मै अपने हाथो मे खिला रही थी मै उसका नाम भी अभी तक नहीं जानती थी। मैंने उसको चूमा और पुछा,

‘तुम्हारा नाम क्या है?

‘उसने मेरे हाथो मे अपने लंड को धक्का मरते हुए कहा, ‘शिखर। आपका?’

मैंने कहा, मै सुनीता हूँ’।

उसने मुझे सहलाते हुए कहा, ‘ अच्छा नाम है सुनीता आँटी!’ और खिलखिला कर हॅसने लगा।

।मैंने उसकी छाती पर एक चपत लगायी और बोली, ‘ तुम मुझे आँटी क्यों कह रहे हो?’

यह सुन कर उसने मुझे कस के जकड लिया और कहा, ‘ मुझे औंटी कहना अच्छा लगता है, मेरी सेक्सी आंटी! मुझे आपको चोदना है!’

उसकी बात सुनकर मै शर्मा गयी। अब मैंने उसको बिस्तर पर गिरा दिया और उस पर चढ़ गयी। उसके थरथराते हुये लंड को पकड़ा और अपनी चूत पर लगा दिया। उसके दमकते हुये सुपाड़े ने मेरी चूत को छुआ और मुझे उस लंड का एहसास अपने पति के लंड से बिलकुल जुदा और प्यारा लगा। मै लंड पर चढ़ गयी और वोह सटाक से मेरी गीली चूत में घुस गया।

मै धक्का माँरने लगी और खुद ही उसको चोदने लगी। बिना कंडोम के नंगा लंड मेरे अंदर पूरा समां गया और मेरे मुँह से सिसकारी निकल रही थी। उसके लंड मुझे अंदर तक मेरी चूत में समा गया था और मेरी चूत ने उस जवान लंड को जकड लिया था। मै धक्के मार रही थी और अभी पूरी तरह चुदाई का मज़ा भी नहीं लिया था कि वोह झड़ गया।

उसने मेरी चूत में अपना पानी फेक दिया। मुझे बहुत खीज हुयी और वोह भी ‘शिट शिट’ कहने लगा। हम दोनों हाफ रहे थे। उसका लंड सिकुड़ के मेरी चूत से बहार निकल आया और वोह मेरे नीचे से निकल के बाथरूम चला गया। मै बिस्तर पर ही पड़ी रही और उसका गरम पानी मेरी चूत से बहता हुआ मेरी जांघो पर आ गया।

थोड़ी देर में शिखर बाथरूम से निकल के आया और झेंपता हुआ सौरी कहने लगा। मैंने उसको मुस्कराते हुए देखा और इशारे से उसको मेरे पास आने को कहा। उसका कड़ा तना हुआ लंड अब सिकुड़ के बिलकुल चूहा बना हुआ था। वो मेरे पास आ कर लेट गया और मैंने उसको बाँहों में ले कर पुछा, ‘क्यों, कुछ ज्यादा ही उतेजित हो गये थे?’

उसने शर्मायी आँखों से कहा, ‘मेरा पहली बार था न और मुझे यह भी मालूम है कि आँटी लोगो को संभालना असान नहीं होता’

उसके यह कहने पर मै हॅस दी और वह भी हॅसने लगा। मैंने फिर गर्म होने लगी थी। मै जानती थी कि समय कम है और इसके लंड को दोबारा खड़ा होने में थोडा वक्त लगेगा, इसलिए मैंने उससे कहा कि मेरी चूत में ऊँगली डाले।

उसने मेरे कहने पर पहले मेरी चूत को अपनी हथेली से ढ़ाप कर उसको सहलाने लगा और फिर मेरी चूत में उंगली डाल कर अंदर बाहर करने लगा। उसकी ऊँगली जब मेरी चूत में अंदर बाहर हो रही थी, तब मेरी आँखे आनंद में चढ़ने लगी और वोह मुझे देख कर समझ गया था कि उसकी ऊँगली मुझे मजा दे रही है।

उसने अपना मुँह नीचे कर अपने ओठो को मेरी चूंचियों पर रखा और उन्हें चूसने लगा था। मुझे अच्छा तो लग रहा था लेकिन मै अभी पूरी तरह उतेजित नहीं हो पायी थी। मैंने उसको हुकम देने के अंदाज़ में कहा, ‘मेरी चूत को चाटो’।

जल्दी झड़ने के कारण वोह पहले से ही हिला हुआ था और अब तो वोह सिर्फ मेरे हुक्म का गुलाम था। उसने नीचे आ कर मेरी चूत पर अपना मुँह रख दिया और नौसिखिये ऐसा मेरी चूत को चूसने लगा। मैंने उसके सर पर हाथ रख कर उसको अपनी क्लिट तरफ इशारा किया। उसकी जीभ जब मेरी क्लिट लगी तो मेरे अन्दर एक गुदगुदी सी दौड़ गयी थी और मैंने कहा, ‘उसको कायदे से चाटो’।

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मेरे कहते ही वोह मेरी क्लिट को कस के चाटने लगा और मै मस्ती में झूम उठी और मेरे पैर और फ़ैल गए। मेरे मुँह से अब सीत्कार निकलने लगी थी और इसका असर उस पर भी पड़ा, वोह मेरी चूत और क्लिट को अपने ओठो में लेकर और शिद्दत से चूसने लगा। मेरी चूत बहुत दिनों बाद ओठो और जीभ का सुख ले रही थी और मुझे उतेजित कर रही थी।

मेरी उत्तेज़ना बढ़ती ही जारही थी। मेरे हाथ उसके सर को दबोचे हुए थे और मेरी टांगे पूरी तरह फ़ैल गयी थी। मै आज पहली बार बहुत ज्यादा वहशी हो रही थी। इतने साल दूसरे को चुदाई का सुख देने के बाद, आज मै अपना सुख चाहती थी।

मै चुदाई का सुख लेना चाहती थी और शिखर मेरे लिए अब एक प्रेमी से ज्यादा एक ऐसा गुलाम हो गया था, जिसे मेरी हर इच्छा को को पूरा करना था और मै अपने को एक महारानी से कम नहीं समझ रही थी। मैंने उसके बाल पकड़ पर उसका सर उठाया और उसकी तरफ देख के बोली, ‘अपनी जीभ चलाओ। इसे मेरी चूत के अंदर पूरा डाल के चोदो’।

इतना सुनते ही उसने अपनी जीभ मेरी चूत में डाल दी और मेरी चूत के अंदर कि दीवारो को उससे चाट लिया। उफ़!! जब उसकी जीभ ने मेरी चूत को अंदर से छुआ तो मेरे मुँह से आह आह निकलने लगी। वोह मेरी चूत को अब अपनी जीभ से चोदने लगा और मै उसके सर पर हाथ रख कर उसके सर को अंदर कि तरफ धक्का मारने लगी, साथ में अपने अपने चूतरो को भी बराबर ऊपर उठा रही थी, ताकि मेरी पूरी चूत के अंदर उसकी पूरी जीभ जाये।

मै उसकी पूरी जीभ अंदर समेत लेना चाहती थी। वोह भी मेरी तेज़ी और मेरे हाथ का अपने सर पर बढ़ते हुए दबाव को समझ रहा था और लगातार अपनी जीभ मेरी चूत में अंदर बहार करने लगा। मै सिसयानी लगी। मेरे अंदर का तूफान चरम सीमा पर पहुच गया था। अचानक मेरी चूत के अंदर एक विस्फोट हुआ और मेरा शारीर अकड़ सा गया। मुझे ओर्गास्म होने लगा था।

मेरी चूत ने पानी छोड दिया और मैंने कस के अपनी दोनों जांघो के बीच उसका सर दबा दिया और उसके सर और पीठ को नोचने लगी। मेरी यह हालत एक आध मिनट तो रही होगी। उस वक्त मुझे कुछ भी होश नहीं था, मेरी चूत से लगातार पानी निकल रहा था। मुझे याद नहीं पड़ता की मुझे कभी भी इतना जबर्दस्त ओर्गास्म इससे पहले हुआ हो।

मै हाफ रही थी और मेरी आँखों में अजीब सा नशा चढ़ा हुआ था। जब मेरा शरीर स्थिर हुआ, तो मैंने पाया वोह मेरी जांधों में सर रक्खे हुए था ।

मै उसकी तरफ देख कर मुस्करायी और वोह भी अपनी सफलता से खुश हो कर मुझे देख रहा था। मैंने उसे ऊपर खीच के अपनी बाँहों में ले लिया और उसको चूम लिया। उसका मुँह मेरे चूत के पानी से सराबोर था।

उसने मुझ को बाँहों में लेकर मेरे ऊपर चढ़ने कि कोशिश कि लेकिन मैंने उसको रोक दिया और कहा, ‘शिखर, बाथरूम से टॉवेल ला कर मुझे साफ करो और खुद भी साफ हो कर आओ’।

वोह चला तो गया लेकिन उसकी आंखो में मायूसी थी। मै जानती थी उसका लंड खड़ा होने लगा है और वोह मुझे चोदना चाहता था। लेकिन मै झड़ चुकी थी और उसको यह एहसास भी करवाना चाहती थी की जब उसकी मर्ज़ी होगी, वोह मुझे नहीं चोद सकता है।

यहाँ बिस्तर पर मेरी मर्ज़ी ही चलेगी। मैंने खुद की चुदने की इच्छा के कारण उससे चुदवाया था, न कि उसकी चोदने की इच्छा पूरी करने के लिए। वोह टॉवेल ले कर आ गया, उसने टॉवेल एक कोने से गीली भी कर रक्खी थी। मैंने पैर फैला कर उसको पोछने को कहा। उसने मेरी चूत, मेरी जांघे, मेरा पेट, मेर चुतड, जहाँ जहाँ मै कहती गई वोह सब पोंछा।

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उसके बाद वोह मेरे पास आकर लेटने लगा तब मै उठ गयी और कहा, ‘शिखर, अब कपडे पहन कर निकलो। अब कोई न कोई आ जायेगा’।

उसने कहा, ‘आंटी, एक बार तो और चोदने दो।’

मैंने उस के गालो को सहलाते हुए कहा, ‘क्या एक ही दिन में ही सब कर लोगे? जाओ, कही कोई आ गया तो फिर कभी नहीं हो पाएगा’।

यह कह कर मैंने अपना ब्लाउज और पेटीकोट उठाया और बाथरूम में चली गई। शावर कर के जब मै निकली तब तक वो कपडे पहने हुए मेरे बिस्तर पर बैठा था। मै बाहर निकली और बाहर का दरवाज़ा खोलने चली गयी। वोह मेरे पीछे पीछे आया और उसने मुझे अपनी बाँहों में ले लिया। मैंने भी उसको अपनी बाँहों में ले कर उसको चूम लिया और कहा, ‘चलो फिर मिलते है’।

उसने मुझे चूमते हुए कहा, ‘आंटी, आई लव यू। फिर चुदवाओगी न?’

अजीब बात थी कि इस वक्त उसके ‘चुदवाओगी’ कहने ने मुझे बिलकुल भी रोमांचित नहीं किया। मैंने उसके गाल पकडे और कहा, ‘शिखर, यह आई लव यू अपने दिमाग से निकाल दो। हम बाहर जब मिलेंगे तो अजनबी कि तरह और जब मौका मिलेगा मै तुम को कॉल करूंगी’।

और यह कह के मैंने दरवाज़ा खोल दिया। जब वोह बाहर जा रहा था तब उसने कहा, ‘आंटी कल बस पर मिलते है’।

मैंने कहा, ‘अब बस पर नहीं मिलूंगी। बाय’

और मैंने दरवाज़ा बंद कर लिया।

मेरे सम्बन्ध शिखर से ४ महीने रहे। इस बीच उसने मुझे १० बार या यह कहिये कि मैंने उसको १० बार चोदा। वोह लड़का बाद में मुझ पर आसक्त हो गया और मेरे पति कि बराबरी करने लगा था।

तब मैंने समझ लिया इस को अपनी ज़िन्दगी से निकाल देना है, नहीं तो उसके लड़कपन में मेरी खुशहाल ज़िन्दगी बदहाल हो जायेगी। बेटी के इम्तिहान के बाद मैंने अपने पति से तबादला लेने को कहा और हम बेंगलोर चले गए।

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