चाचा के सामने चाची को चोदा

दोस्तो, मेरा नाम रुद्र ठाकुर है, और मैं भोपाल में रहता हूँ। मैं अपने आप को बहुत बड़ा इनसेस्ट आदमी समझता हूँ। इनसेस्ट वो इंसान होता है जो अपने ही घर की औरतों के साथ सेक्स करता है। मैंने भी अपने ही घर की बहुत सी औरतों से सेक्स किया है, मगर मैं शुरू से ऐसा नहीं था, पहले तो मैं बहुत ही शर्मिला सा लड़का था, मगर जो किस्मत में लिखा होता है, वो तो होता ही है, और ऐसे ही एक बार एक ऐसी घटना घटी जिसने मेरे जीवन की दिशा ही बदल दी। मगर ये सब कैसे हुआ, कब हुआ, आज मैं आपको उसकी ही बात बताने जा रहा हूँ। चाचा के सामने चाची को चोदा

मैं अपने परिवार के साथ में भोपाल में रहता हूँ, घर में माँ, पिताजी, बड़ी बहन और मैं हम चार ही लोग है। कुछ ही दूरी पर हमारा चाचा जी का घर है, चाचा फौज में हैं। घर में चाची और उनके बच्चे ही रहते हैं। उनका घर पास होने की वजह से हमारा हर वक़्त का उनके घर आना जाना है। हमें कभी यह पता नहीं चला कि हमारे और चाचा के घर में क्या फर्क है, बस यही लगता था कि हमारे दो घर हैं।

जब तक मैं छोटा था, बच्चा था, मैंने न तो कभी इन बातों पे ध्यान दिया, और न कभी मुझे ऐसा कुछ नज़र आया, क्योंकि चाची को भी मैं अपनी माँ ही समझता था, बस कहता चाची था।
मगर ज्यों ज्यों मैं बड़ा होता गया, मुझे कुछ कुछ समझ आने लगा कि मेरी चाची जो है वो कोई ठीक औरत नहीं है, तब मैं 12वीं क्लास में था, जब मुझे पहली बार यह पता चला। Aunty Sex Story

माँ पिताजी को बता रही थी कि अंजलि का बाहर कहीं चक्कर चल रहा था। अंजलि मेरी चाची का नाम है। मुझे बड़ा अजीब लगा कि यार चाचा इतने हैंडसम आदमी है, इतनी अच्छी सेहत है, शक्ल से ही हट्टे कट्टे मर्द लगते हैं तो चाची को बाहर किसी और की तरफ देखने की क्या ज़रूरत है। मुझे ये बात तब समझ नहीं आई थी।
मगर ये जो नाजायज रिश्ते होते हैं न, कभी छुपते नहीं हैं।

एक बार चाची छुट्टी पर घर आए हुये थे, एक मिलिट्री ऑपरेशन में उनकी टांग ज़ख्मी हो गई थी, तो इलाज के बाद उनको आराम करने के लिए 2 महीने की छुट्टी पर भेज दिया गया। इसी दौरान एक दिन चाची के चक्कर का चाचा को भी पता चल गया, दोनों में बहुत झगड़ा हुआ, चाचा उठ नहीं सकते थे, वरना उस दिन चाची की खूब पिटाई हो जाती।

मैं कुदरती उस वक़्त उनके घर गया, तो अंदर से शोर सुन कर मैं बाहर ही रुक गया। अंदर चाचा के चीखने की और चाची के रोने की आवाज़ आ रही थी।
मैं रुक गया और सुनने लगा कि आखिर झगड़ा किस बात पर हो रहा है।

चाचा के सामने चाची को चोदा

चाचा बोले- तो अब तुम्हें इतनी आग लग रही है कि अगर मैं घर में नहीं हूँ, तो तू किसी और के नीचे लेट जाएगी, मादरचोद, मेरे से पेट नहीं भरता तेरा?
चाची भी रोते रोते बोली- आप चार दिन के लिए आते हो, और फिर सारा साल मुझे अकेली को मरना पड़ता है, आप क्या जानो, अकेले रहने की तकलीफ क्या होती है।
चाचा गरजे- क्यों, मैं वहाँ अकेला नहीं रहता क्या?
चाची फिर बोली- आपके साथ तो बहुत से आपके साथी होंगे, मेरे पास कौन है जिस से मैं अपने दिल की बात करूँ, मेरा भी दिल है, मेरे भी अरमान हैं।
चाचा फिर बोले- तो इसका मतलब ये कि अगर पति घर में नहीं है तो किसी और से यारी कर लो, किस और से अपनी माँ चुदवा लो। हैं? हरामजादी, कितने समय से उसका लंड खा रही है, कुतिया, बता मुझे।

मैंने देखा चाची भी पूरी बेशर्मी पर उतरी हुई थी, बोली- एक साल हो गया।
चाचा कुछ चुप से हो गए, बोले- शादी करेगा तुझसे?
चाची बोली- नहीं, वो शादीशुदा है, बाल बच्चेदार है।
चाचा फिर भड़के- तो हवस न नंगा नाच खेलने के लिए वो तुम्हारा इस्तेमाल कर रहा है, समझ में नहीं आता, क्या करूँ, दिल तो कर रहा है कि तुम्हें गोली मार दूँ। Desi Sex Story

चाची डर गई और जा कर चाचा के पाँव में पड़ गई- नहीं, मुझे माफ कर दो, मैं बहक गई थी, अपनी मजबूरी के हाथों विवश हो कर मैंने ऐसा काम किया.
और चाची रोने लगी।
चाची अब चाचा के पास थी तो चाचा ने उसके बाल पकड़ लिए और उसके मुँह पर तड़ातड़ कई चांटे मारे और बालों से पकड़ कर उसकी चोटी खींच दी, मुझे भी बाहर से ये सब देखते हुये डर सा लगा कहीं चाचा चाची को मार ही न दें, तो मैं भी आगे को बढ़ कर उनके सामने हो गया।
चाचा ने मुझे देखा और रोआब से पूछा- तू यहाँ कब आया?
मैंने चाचा से डरते डरते कहा- जी थोड़ी देर हुई। चाचा के सामने चाची को चोदा

तो चाचा ने चाची से कहा- ले देख ले, अब तेरी काली करतूत का बच्चों को भी पता चल गया, छिनाल, अब बोल क्या कहती है?
और चाचा की जो टांग ठीक थी, वही उन्होंने चाची को दे मारी और चाची दर्द से बिलबिला उठी, मैंने जा कर चाची को संभाला। चाची को शायद मैं ही उनके दर्द का सहारा मिला तो वो मुझसे ही लिपट कर रोने लगी। बेशक चाची मुझसे लिपटी थी, मगर उनके नर्म और बड़े बड़े मम्में जो मेरे कंधे से सटे थे मुझे बड़ा आनन्द दे रहे थे। बेशक वो मेरी चाची थी, और मैंने कभी उन्हें पहले गंदी नज़र से न कभी देखा, न छुआ था, मगर आज तो वो मुझसे लिपटी पड़ी थी।

मैं भी 18 साल का जवान हो गया था और अब मेरी सेक्स के प्रति चाहत बढ़ रही थी। मगर चाची का मुझसे यूं लिपट कर रोना तो मुझे इतना अच्छा लगा कि उसने तो मेरी चाची के प्रति सारी सोच ही बदल दी।
चाचा ने गुस्से से कहा- जानता है रुद्र, ये तेरी चाची, किसी और से अपनी माँ चुदवा रही है।
चाची भी एकदम से पलटी- चुप रहो, बच्चों को इन सब बातों में मत लाओ।
चाचा चीखे- क्यों न लाऊं, अब बच्चे बड़े हो गए हैं, उन्हें भी तो सब पता चले कि उनके घर वाले क्या कर रहे हैं। कुत्ती, छिनाल, अपने यार से भी ऐसे ही लिपटी होगी। Antarvasna Story

चाची ने एकदम से मुझे छोड़ा, और चाचा पर गरजी- हाँ लिपटी हूँ, और इससे भी ज़्यादा लिपटी हूँ, और आगे भी लिपटूँगी, कर ले जो तुझसे होता है, जा मर जा कहीं जा कर, अब मैंने भी सोच लिया, जो करना है, खुल कर करूंगी, तेरे सामने करूंगी, तेरे से जो उखाड़ होता है, उखाड़ ले।
चाची का ये रूप देख कर मैं और चाचा दोनों सहम गए।

अब चाचा को भी समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करें, मेरी तो क्या समझ में आना था। फिर चाचा जो पहले गरज रहे थे, थोड़ा धीमे स्वर में बोले- सुन अंजलि, ऐसा नहीं हो सकता कि तू घर के बाहर मेरी इज्ज़त को मिट्टी में मत मिला।
उनका नर्म सा स्वर सुन कर चाची भी नर्म पड़ गई और जाकर उनका घुटना पकड़ कर बैठ गई- मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ, आपको कभी धोखा नहीं देना चाहती थी, पता नहीं क्यों मेरे भाग फूटे कि मैं उसकी चिकनी चुपड़ी बातों में आ गई। चाचा के सामने चाची को चोदा

चाची रोने लगी तो चाचा उसका सर सहलाने लगे, फिर बोले- तू ऐसा कुछ क्यों नहीं करती के जिस से घर से बाहर न जाना पड़े तुम्हें।
चाची बोली- ऐसा क्या है, जिस से मैं घर से बाहर न जाऊँ?
चाचा बोले तो कुछ नहीं पर उन्होंने मेरी तरफ देखा, उनके देखने का अर्थ तो मैं नहीं समझा, मगर मेरे दिमाग में जैसे एक खतरे की घंटी बजी हो।

चाची ने पहले चाचा की ओर देखा और फिर मेरी ओर, फिर बड़ी हैरानी से बोली- रुद्र?!? आप पागल तो नहीं हो गए हो?
चाचा बोले- नहीं, मैं पागल नहीं हूँ, अब अपना रुद्र भी जवान हो गया है, ये तुम्हारा अच्छे से ख्याल रखेगा।
फिर मुझसे बोले- क्यों रुद्र, अपनी चाची का ख्याल रखेगा न?
मैं क्या कहता बस हल्के से सर हिला दिया।

चाचा बोले- चल जा घर जा, कल मैं जब बुलाऊँ तब आना।
मैं चुपचाप अपने घर आ गया.

उस दिन मैंने पहली बार चाची को सोच कर अपना लंड हिलाया, मैं बार उस नर्म एहसास को महसूस कर रहा था, जब चाची का मोटा मम्मा मेरे कंधे को छू रहा था। मैं सोच रहा था कि अगर मुझे चाची को चोदना पड़ा तो मैं कैसे चोदूँगा, बाथरूम में खड़ा मैं कई तरह से अपनी कमर हिला हिला कर प्रेक्टिस करता रहा।
अभी तक मैंने चूत चोदनी तो क्या, देखी तक नहीं थी कि होती कैसी है।

अगले दिन दोपहर बाद चाचा का फोन आया कि रुद्र इधर आ।
मैं अपने बाल मन में सैकड़ों अरमान लिए चाचा के घर जा पहुंचा। चाचा ने मुझे अपने पास बैठाया, इतने में चाची चाय लेकर आ गई, उसने बहुत सुंदर साड़ी पहनी थी, पूरा मेक अप किया था। खूबसूरत लग रही थी। गहरे हरे रंग की साड़ी, सफ़ेद ब्लाउज़, ब्रा में कसे हुए उसके मम्मे, और थोड़ा सा बाहर झाँकता उसका क्लीवेज, जिसमें उसके गले की चेन का पेंडेंट फंसा हुआ था। चाचा के सामने चाची को चोदा

चाय पीते पीते चाचा बोले- रुद्र, कल जो हमारा झगड़ा हुआ, वो तुमने सुना, तुम्हें पता लग ही गया होगा के तुम्हारी चाची का किसी और मर्द से चक्कर है। मगर मैं चाहता हूँ कि हमारे घर की कोई भी औरत बाहर ना जाए, अगर उसको ज़रूरत है, तो अपने घर में ही ढूँढे, बाहर किसी का क्या पता, कौन है कौन नहीं, अपने का ये है कि घर की बात घर में ही रह जाएगी, काम भी बन जाएगा, और किसी को पता भी नहीं चलेगा, और बदनामी भी नहीं होगी।
मैंने चुपचाप चाचा की बातें सुनता रहा।

वो आगे बोले- कल तुम्हारे जाने के बाद हमने इस विषय पर बहुत सोचा, और फिर ये तय किया कि इस काम के लिए तुम सबसे सही बंदे हो। बोलो, अपनी चाची को संतुष्ट कर पाओगे?
अब मेरे पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं थी, तो मैं हकलाते हुये चाचा से कहा- चाचाजी मैं… मैं… चाची से कैसे…?
वो बोले- कल मैंने देखा था, जब वो तुमसे लिपटी हूई थी तो तब तो बड़े मज़े से उसके साथ तू भी चिपका पड़ा था, भोंसड़ी के अब मेरे सामने ड्रामें करता है।

मैंने समझ लिया के चाचा ने मेरी चोरी पकड़ ली थी, अब किसी भी ड्रामे की कोई गुंजाइश नहीं थी, मगर शर्म अभी भी बाकी थी।

चाचा बोले- अंजलि से मैंने बात कर ली है, और वो तुमसे संबंध बनाने को मान गई है, अब तुम्हारी भी मंजूरी चाहिए, बोलो, करोगे अपनी चाची के साथ?
मैंने सोचा, अब अगर चुप रहा तो कहीं ये मौका मेरे हाथ से न चला जाए, सो मैंने हल्के से सर हिला कर हाँ कर दी।

मगर मुझे शरमाता देख चाची ने मेरे सर को सहला दिया और बोली- ये तो बहुत शरमाता है।
चाचा बोले- रुद्र सुन, पहले कभी किया है?
मैंने ना में सर हिलाया। चाचा के सामने चाची को चोदा

तो चाचा बोले- अबे चूतिये, अब तक क्या हाथ से हिला हिला कर ही जी रहा है।
चाची ने चाचा को मीठी झिड़की थी- चलिये न आप भी, एक तो वो पहले से नर्वस है, दूसरा आप उसे और डरा रहे हो।
फिर चाची मुझसे बोली- देखो रुद्र, एक न एक दिन तुमको ये सब करना ही है, इस लिए डरो मत, शर्माओ मत, मैं और तुम्हारे चाचा है, हम तुम सब सिखाएँगे, ठीक है.
मैंने हाँ में सर हिला दिया मगर अंदर से मेरी फटी पड़ी थी कि पता नहीं कुछ हो भी पाएगा मुझसे या नहीं।

फिर चाचा बोले- तो चलो फिर शुरू करो, मैं भी देखूंगा.

मैं तो वैसे ही बैठा रहा, मुझे तो समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या करूँ।
पर चाची उठ कर आई, और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बिस्तर पर ले गई, चाचा भी सामने ही सोफ़े पर अधलेटे से बैठे थे, एक टांग पर प्लास्टर और वो टांग उन्होंने सामने मेज़ पर रख रखी थी। मैं और चाची बेड पर थे, हम दोनों ने अपनी टाँगें नीचे लटका रखी थी।

चाची ने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी जांघ पर रख लिया, साड़ी के अंदर से भी मुझे उनकी गुदाज़ जांघ का एहसास हुआ, मेरे चेहरे पर अपना हाथ फिरा कर बोली- इतना डर क्यों रहे हो?
बड़ी मुश्किल से मैं बोल पाया- नहीं चाची।
वो बोली- अब मैं तुम्हारी चाची नहीं हूँ, मुझे मेरे नाम से पुकारो, अंजलि कहो।
मैंने थोड़ा सा हिचकिचाते हुये कहा- अंजलि।
सच में बड़ा अच्छा लगा मन को।

उधर से चाचा बोले- अंजलि, ऐसे ये नहीं खुलेगा इसे कुछ दिखा कर गरम करो।

चाची उठ खड़ी हुई और बिल्कुल मेरे सामने उन्होंने अपने कंधे से अपनी साड़ी का आँचल उतारा और नीचे फर्श पर गिरा दिया।
आज पहली बार चाची को ब्लाउज़ में देखा था, सफ़ेद ब्लाउज़ में उनके उठे हुये चूचे बहुत मस्त लग रहे थे।
देखते देखते चाची ने अपनी साड़ी खोल दी, सिर्फ एक सफ़ेद ब्लाउज़ और हरे रंग के पेटीकोट में वो मेरे सामने खड़ी थी। पेटीकोट का नाड़ा अपने पेट पर सामने बांध रखा था। चाचा के सामने चाची को चोदा

चाची ब्लाउज़ पेटीकोट में चल कर मेरे पास आई, उनके मम्में बिल्कुल मेरे चेहरे के सामने थे, दो बड़े ही उन्नत, भरपूर, मोटे, गोरे और नर्म मम्मे, जो मेरे मन में हलचल मचा रहे थे।
मैं मन ही मन सोच रहा था, क्या आज मुझे इन मम्मों से खेलने का मौका मिलेगा।

चाची ने मेरा चेहरा ऊपर उठाया और अपने सीने से लगा लिया। चाची के दोनों मम्में अब मेरी गाल और मेरे चेहरे पर दबा कर लगे हुये थे, मुझे तो जन्नत का नज़ारा आ रहा था। मैंने भी चाची की कमर पर अपनी बाहें कस दी।
चाची ने मेरा मुँह सीधा किया तो मैंने ब्लाउज़ के ऊपर से ही चाची के मम्मे पर किस किया, चाची मुस्कुरा उठी और बोली- पिएगा लल्ला?
मैंने भी हां में सर हिलाया।

चाची थोड़ा सा पीछे को हटी और अपने ब्लाउज़ के हुक खोलने लगी, अपने ब्लाउज़ के हुक खोल कर उसने अपना ब्लाउज़ सारा ही उतार दिया।
वाह… क्या मस्त लग रही थी चाची सफ़ेद ब्रा और पेटीकोट में… मेरी तो आँखें चौंधिया गई, उसकी सेक्सी फिगर देख कर।
चाची ने अपनी भवें उचका कर पूछा- कैसा लगा?
मैंने भी बड़ी सारी स्माइल दे कर कहा- मस्त, चाची आप तो कोई अप्सरा हो।
उधर से चाचाजी बोले- और आज से ये तेरे ही दरबार में नाचेगी, अगर तूने इसकी तसल्ली करवा दी तो।

मैं चुपचाप बैठा आगे होने वाली घटना का इंतज़ार कर रहा था।

फिर चाची ने अपने पेटीकोट का नाड़ा खोला और पेटीकोट नीचे गिर गया, नीचे चाची ने हल्के गुलाबी से रंग की चड्डी पहनी थी। मगर चड्डी से बाहर चाची की लंबी गुदाज़, मांसल जांघें, तो बस जैसे कहर ही बरपा कर रही थी। मुझे नहीं पता था कि चाची की टाँगे इतनी सेक्सी भी हो सकती हैं। चाचा के सामने चाची को चोदा

तब चाची मेरे पास आई और मेरे कमीज़ के बटन खोलने लगी, मेरी कमीज़ उतारी, फिर बनियान, उसके बाद मेरे जूते उतारने के लिए नीचे बैठी। ब्रा में कैद चाची के मोटे मम्में और गांड की चौड़ाई देख कर मेरा तो जैसे लंड मेरी पैन्ट के अंदर ही हिलने लगा।
बूट जुराब उतार कर चाची खड़ी हुई और फिर मेरी बेल्ट और पैन्ट खोल दी। मैं भी बड़े आराम से चाची के हाथों से नंगा हो रहा था।

चड्डी में मेरा तना हुआ लंड देख कर चाची मुस्कुरा उठी और उस पर अपने हाथ की नर्म उँगलियाँ फिरा कर बोली- अरे ये तो तैयार हो गया, तो शुरू करें?
चाची ने मुझे बेड पे लेटा दिया और खुद भी मेरे साथ ही लेट गई। बगल के बल लेटे होने के कारण उसका बहुत बड़ा सारा क्लीवेज, उसकी ब्रा से बन कर बाहर आ रहा था। मैं उस क्लीवेज को ही घूर रहा था।
चाची ने मेरा एक हाथ पकड़ा और अपने सीने पर रख लिया और धीरे से बोली- अब दबाओ।

अब तो मुझे खुली छूट मिल गई थी, मैंने न सिर्फ चाची का मम्मा दबाया, बल्कि उसके बड़े सारे क्लीवेज पर चूम भी लिया। चाची खुश हो गई और उसने अपने मम्में मेरे चेहरे से सटा दिये और चड्डी के ऊपर से ही मेरा लंड पकड़ कर सहलाने लगी।
अब तो मुझे भी मस्ती चढ़ने लगी, मैंने अपना हाथ अंजलि चाची की कमर पर रखा और उसकी कमर को सहलाया, फिर ऊपर की तरफ आते हुये, उसके क्लीवेज को छू कर देखा। दोनों मम्मों की बीच में बन रही बड़ी सी वक्ष रेखा यानि क्लीवेज में अपनी उंगलियाँ घुसा कर देखी।

चाची ने अपनी ब्रा की हुक खोल दी। मैंने चाची के कंधे से उसके ब्रा का स्ट्रैप निकाला और चाची का ब्रा उतारने लगा। सबसे पहले चाची का एक मम्मा बाहर आया, बेहद गोरा, गोल, भूरे रंग का निप्पल। मैंने उसका निप्पल पकड़ा और मसला, चाची ने हल्की सी सिसकी भरी। चाचा के सामने चाची को चोदा

अब ये न जाने क्या चक्कर है कि जब भी कोई मर्द एक शानदार मम्मा देखता है, उसकी पहली इच्छा उसे पकड़ कर दबाने की और दूसरी इच्छा उसको चूसने की होती है। मैंने भी वही किया, पहले उसके बड़े सारे मम्मे को अपने हाथ से पकड़ कर दबाया, और फिर उसका मम्मा अपनी तरफ खींचा तो चाची भी खुद को आगे हुई, शायद वो जान गई थी कि मैं उसका मम्मा चूसना चाहता हूँ। उसने खुद आगे हो कर अपना निप्पल मेरे मुँह में दे दिया।
मैंने अपने होंटों में उसका निप्पल पकड़ा और चूसा।

मजा आ गया यार… कितना टेस्टी होता है औरत का मम्मा!
मैंने बहुत चूसा, खूब दबाया।

चाची अब सीधी हो कर लेट गई और उसने अपनी ब्रा उतार कर रख ड़ी और दोनों मम्में निकाल कर मेरे हवाले कर दिये। कभी मैं ये मम्मा चूसता और दूसरा दबाता, और कभी वो मम्मा चूसता और ये दबाता।
मैं चाची के मम्मों से खेल रहा था और चाची मेरे लंड से, जो उसके नर्म हाथों की छूने से पत्थर की तरह सख्त हो गया था।

अब मेरे दिल में विचार आया, अगर चाची मेरे लंड को छू सकती है, तो मैं इसकी चूत को क्यों नहीं छू सकता… मैंने भी पैन्टी के ऊपर से ही चाची की चूत को छू कर देखा, तो चाची बोली- अरे ऊपर से क्या हाथ लगाता है, अंदर हाथ डाल!
मैंने चाची के पैन्टी के अंदर हाथ डाला, अंदर पहले चाची की चूत के आस आस के झांट जो शायद चाची ने दो चार दिन पहले शेव किए होंगे, वो हल्के से चुभे, और उसके बाद मेरी उंगलियों को जैसे कोई मांस का उभरा हुआ टुकड़ा सा लगा। ये चाची की भगनासा थी।
मैंने उसको भी अपनी उँगलियों में पकड़ कर मसला, तो चाची ने बड़े ज़ोर से सिसकी भरी- आह सी… क्या करता है ज़ालिम, अभी से तड़पाने लगा है।

मैंने फिर से उसकी भागनासा को मसला तो चाची ने अपनी चड्डी भी उतार दी और अपनी टाँगें हिला हिला कर चड्डी बिल्कुल ही उतार कर फेंक दी। मेरे दिल में चाची की चूत देखने की इच्छा हुई, और मैं उठ कर बैठ गया, बिल्कुल छोटे छोटे बालों वाली झांट के बीच लंबी सी गहरी लकीर और उसी लकीर में से थोड़ा सा काला सा मांस बाहर को निकला हुआ।
मुझे देख कर चाची ने अपनी टाँगें मेरी तरफ घुमा दी और पूरी खोल दी तो चाची की चूत भी खुल गई।
ऊपर से थोड़ी काली सी थी मगर अंदर से बिल्कुल गुलाबी! चाचा के सामने चाची को चोदा

चाची ने अपने हाथ की उंगलियों से अपनी चूत के होंठ और खोल दिये और अंदर से पूरी गुलाबी चूत को खोल कर दिखाया।

मैं अभी चाची की गुलाबी चूत देख ही रहा था कि चाची ने अपने पाँव की एड़ी मेरे सर के पीछे लगाई, मेरे चेहरे को खींच कर अपनी चूत तक लाई और मेरे मुँह को अपनी चूत से लगा दिया। मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था तो मैंने चाची की चूत को अपने मुँह में ले लिया।
चाची बोली- अरे, ये खाने की चीज़ नहीं है जो मुँह में लेकर बैठा है, चाटने की चीज़ है, चाट इसे!

मैंने अपनी जीभ से चाची की भग्नासा को चाट कर देखा, नमकीन सा स्वाद आया जो मुझे अच्छा लगा, थोड़ा थोड़ा करके मैं उसकी भगनासा पर अपनी जीभ फेरता रहा, और जितनी जीभ फेरता रहा, उतना मुझे अच्छा लगता गया, पहले तो सिर्फ उसकी चूत को बाहर बाहर से चाट रहा था, मगर फिर मेरा स्वाद बढ़ता गया और मैं उसकी चूत के और अंदर तक जीभ फेरने लगा।

जब मैंने चाची की चूत के अंदर तक अपनी जीभ घुमाई तो चाची ने मेरे सर के बाल पकड़ कर मेरा सर और अपनी चूत से चिपका लिया। मैं अपने दोनों हाथों से कभी चाची मोटी मोटी जांघें सहलाता तो कभी उसके गोल गोल मम्में दबाता, चाची खुद भी अपने पाँव से मेरी पीठ और टाँगों को रगड़ रही थी, सिसकारियाँ और चीत्कार बार बार उसके मुँह से फूट रहे थे। अपनी कमर वो वो हल्का हल्का हिला रही थी, जैसे मेरे मुँह पर रगड़ रही हो।

अब तो मुझे चाची की चूत इतनी टेस्टी लग रही थी कि मैं उसे बिना रुके बहुत लंबे समय तक चाट सकता था। मगर मेरी चटाई से चाची की तड़प बढ़ती जा रही थी। वो अपने दोनों हाथों से अपने मम्में दबा रही थी, दोनों एड़ियों से उसने मेरे चूतड़ और जांघें जैसे छील कर रख दिये। मेरे चेहरे को अपनी जांघों में बड़ी मजबूती से जकड़ लिया ताकि मैं उसकी चूत को चाटना छोड़ न दूँ।
मगर मैं क्यों छोड़ता… मुझे तो खुद मजा आ रहा था। मैं चाटता रहा और चाची तड़पती रही।

फिर चाची बोली- खा इसे मेरे राजा, अपने दाँतों से काट ले, बहुत तंग करती है, ये मुझे! चबा जा इसे ताकि मैं झड़ जाऊँ, खा इस मेरी जान, आह… काट इसे…
और फिर चाची ने बहुत ज़ोर से अपनी कमर चलानी शुरू कर दी। वो कभी उठ कर मुझे देखती, कभी तड़पती हुई, फिर लेट जाती, मगर उसकी बेचैनी, उसकी तड़प देख कर मुझे बहुत मजा आ रहा था और मैं उसकी भगनासा अपनी मुँह में खींच खींच कर चूस रहा था, बहुत बार मैंने उसकी भगनासा को अपने दाँतों से काटा भी, जो उसे बहुत तड़पा देता था। चाचा के सामने चाची को चोदा

फिर चाची ने मेरे सर के बाल अपने दोनों हाथों से पकड़ लिए- मर गई मैं, मेरे राजा… आ…ह मर गई आई… आह… ऊई… काट… खा… इसे कुत्ते… आह… खा जा, खा जा, खा जा, आह…
और चाची ने अपनी कमर ऊपर को उठा ली, जितना ऊपर वो उठा सकती थी, मैं फिर भी चाटता रहा!
और फिर चाची धाड़ से नीचे गिरी बेड पर… उसकी टाँगें खुल गई, मेरा चेहरा आज़ाद हो गया, मैंने देखा कि उसकी चूत का सुराख अंदर बाहर को हो रहा था, जैसे मछली पानी पीती हो।
वो बड़े प्यार से मुझे देख रही थी।

कुछ देर वैसे ही देखते रहने के बाद वो बोली- बता मेरे राजा, अब मैं तेरी क्या सेवा करूँ?
मैं उठ कर खड़ा हो गया, बिल्कुल नंगा, तना हुआ लंड… मैंने कहा- अब मेरा लंड चूसो।

चाची उठ कर बैठ गई और मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ा, उसका टोपा बाहर निकाला और अपने मुँह में लेकर ऐसे चूसने लगी, जैसे कोई मिठाई हो।

पहले जब मैं पॉर्न वीडियोज़ देखता था तो सोचता था, लोग कैसे एक दूसरे की पेशाब करने की गंदी सी जगह को मुँह लगा कर चूस चाट लेते हैं। मगर आज मुझे समझ आया कि जब काम दिमाग में चढ़ता है, तो यही सबसे लज़ीज़ शै (चीज) लगती है।

चाची ने खूब अच्छे से मेरे लंड को चूसा, जितना हो सकता था, अपने मुँह के अंदर लिया। मैं भी अपनी कमर हिला कर उसके मुँह को चोद रहा था.

उधर मेरे चाचा सोफ़े पर अपना लंड निकाल कर अपने हाथ में पकड़े बैठे थे और उसको सहला रहे थे, मगर उनका लंड पूरा तना हुआ नहीं था, थोड़ा सा ढीला था, शायद इसी वजह से चाची को बाहर किसी और से चुदवाना पड़ा हो।
मैंने भी चाची के सर के बाल पकड़ कर उसके मुँह की चुदाई की क्योंकि अब मेरी बारी थी।
मैंने भी जोश में आकर चाची को कहा- चूस मेरी जान, अपने यार का लंड चूस, खा इसे साली, मादरचोद चूस इसे!
मैंने चाची को गाली दी, उसके सर के बाल खींचे, उसके मुँह को बेदर्द तरीके से चोदा, मगर चाची खुश थी। चाचा के सामने चाची को चोदा

फिर मैंने चाची के मुँह से अपना लंड निकाल लिया, मैंने उसके कंधे को पीछे को धकेला तो चाची बेड पे लेट गई और उसने अपनी दोनों टाँगें खोल कर अपने पाँव के पंजे अपने हाथों में पकड़ लिए। पूरी तरह से अपने बदन को खोल कर मेरे सामने रख दिया कि आओ पिया अपनी प्रिय की काम पिपासा को शांत करो, इसके सुंदर बदन का भोग लगाओ।

मैं चाची के ऊपर लेट गया और मेरा लंड बिना कोई सेटिंग किए खुद ब खुद ही चाची की चूत में घुस गया। बिल्कुल वैसे ही एहसास जैसा चाची के मुँह में अपना लंड डाल कर आया था, नर्म, गर्म, गीला गीला।
बस इसमें कोई दाँत नहीं था चुभने को…
बहुत ही कोमल और प्यारा एहसास।

मैंने अपनी कमर चलाई तो चाची ने अपने पाँव छोड़ दिये और मेरी कमर के दोनों और अपने हाथ रखे, फिर बोली- अरे ऐसे नहीं, आराम से ऐसे कमर हिलाओ!
और चाची ने अपने हाथों से मुझे कमर चलाने का तरीका बताया।
मैंने वैसे ही कमर चलाई तो फिर चाची ने मेरी कमर छोड़ दी और अपने हाथों से मेरी पीठ, मेरा सीना, कंधे, और मेरे निप्पल सहलाने लगी।

इसके बाद क्या हुआ, अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज साईट पर कुछ दिन बाद पढ़ें!

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