शाम के वक्त लाइट चली गई और गर्मी से बुरा हाल था ना जाने लाइट में इतनी कटौती क्यों हो रही थी फिर मैंने फैसला किया कि मैं छत पर ही चला जाता हूं। लाइट आने की फिलहाल तो कोई संभावना ही नहीं थी इसलिए मैं छत पर चला गया जब मैं छत में गया तो वहां पर मैंने देखा वहां पर और भी लोग थे और दूर दूर तक कहीं लाइट नजर नहीं आ रही थी।
लाइट को गए हुए करीब एक घंटा हो चुका था सब लोग बड़े परेशान थे घर का इनवर्टर भी कुछ काम नहीं कर रहा था इसलिए छत में हीं मुझे टहलना पड़ा। मेरे मम्मी पापा भी छत में आ गये और वह लोग भी छत में हीं टहलने लगे हम लोग छत में ही थल रहे थे तभी अचानक से जोरदार हवा चलने लगी और हवाओं के साथ साथ पूरा मौसम बदल गया।
मैंने जब आसमान की तरफ देखा तो मुझे ऐसा लगा कि शायद बादलों से वर्षा होने वाली है और कुछ ही देर बाद बारिश शुरू हो गई जैसे ही बारिश शुरु हुई तो मैंने पापा मम्मी से कहा चलो नीचे चलते हैं और हम लोग नीचे चले आए।
जब हम लोग अपने कमरे में आए तो मौसम में थोड़ा बहुत परिवर्तन था लेकिन फिर भी गर्मी लग रही थी। अचानक से मौसम ने ऐसी करवट ली की बारिश तेज हो गई थी हम लोग बैठे हुए थे तो मैंने मां से कहा अब मौसम बड़ा सुहाना हो गया है। मेरी मां कहने लगी हां बेटा मौसम अब अच्छा हो गया है और गर्मी से थोड़ी बहुत राहत तो मिली चुकी है लेकिन लाइट अब तक नहीं आई थी।
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लाइट रात के 10:00 बजे तक आ गई थी जब लाइट आई तो मैंने अपनी मां से कहा मां खाना बना दो फिर मां खाना बनाने लगी और कुछ देर बाद खाना तैयार हो चुका था। जब खाना तैयार हो गया तो हम लोगों ने खाना खा लिया और सोने की तैयारी करने लगे लेकिन तभी मेरे फोन की घंटी बजी मैंने जब देखा तो मेरी बहन का फोन आ रहा था।
मैंने उसे फोन उठाते हुए कहा हां बोलो तो वह कहने लगी भैया मुझे आप लोगों की बड़ी याद आ रही है मैंने उसे कहा क्या हो गया है तुम कुछ बोल क्यों नहीं रही हो मैं चिंतित हो गया। जब मेरी बहन ने मुझे बताया कि उसके ससुराल वाले उसे परेशान कर रहे हैं तो मैंने उसे कहा कि क्या मैं तुम्हें लेने के लिए अभी आ जाऊं कहने लगी नहीं कल मैं आपको फोन करूंगी।
वह कहने लगी आप लोगों से मेरा बात करने का बहुत मन था परंतु मुझे डर लग रहा था कि कहीं पापा कोई परेशानी में ना पड़ जाये इसलिए मैंने आपको फोन किया। जब मुझे मेरी बहन सुरभि ने फोन किया था तो मैं वाकई में चिंतित हो गया था क्योंकि उसे हम लोगों ने बड़े लाड़ प्यार से पाला है और वह मुझसे उम्र में 5 वर्ष छोटी है और मैं उसे बहुत प्यार करता हूं।
रात भर मेरी आंखों से नींद गायब थी मैं सिर्फ सुरभि के बारे में ही सोच रहा था मैं यह सोच रहा था कि उसके साथ उसके ससुराल वाले कितना अन्याय कर रहे हैं। जैसे ही सुबह हुई तो मैं अपनी मां के पास गया और मैंने मां से कहा कि मां कल रात को सुरभि का फोन आया था। मेरी मां ने मुझे कहा कि बेटा अभी तुम चुप हो जाओ यदि तुम्हारे पापा ने यह बात सुन ली तो वह परेशान हो जाएंगे अभी उन्हें ऑफिस जाने दो।
पापा को ह्रदय रोग की बीमारी है जिस वजह से उनसे कोई भी बात कहने से पहले सोचना पड़ता है यदि उन्हें यह बात पता चलती तो वह और भी ज्यादा गुस्से में हो जाते और बेमतलब परेशान होने लगते इसलिए उन्हें फिलहाल तो मैंने यह बात नहीं बताई थी। जैसे ही पापा ऑफिस के लिए निकले तो मां कहने लगी कि बेटा अब तुम सुरभि को फोन कर दो मैंने भी सुरभि को फोन कर दिया जब मैंने सुरभी को फोन किया तो वह मुझे कहने लगी भैया आप लोग यहां आ जाओ।
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मैंने मां से कहा सुरभि तो कह रही है कि आप लोग यहां आ जाओ मेरी मां कहने लगी हां बेटा हम लोगों को वहां चले जाना चाहिए। हम दोनों ही चिंतित हो गए हम लोग जब सुरभि से मिलने के लिए गए तो उसकी आंखों में नमी थी और उसने अपनी भीगी हुई आंखों से कहा की मैं बहुत ज्यादा परेशान हो चुकी हूं।
मेरी मां कहने लगी बेटा बताओ क्या हुआ है उसने सारी बात बताई और कहने लगी मुझे यहां पर कोई भी प्यार नहीं करता और मेरी सासू मां तो मुझ पर ही इल्जाम लगाती रहती है। वह कहने लगी कि कुछ दिनों पहले ही यहां से कुछ पैसे चोरी हो गए थे तो उन्होंने मुझ पर ही इल्जाम लगा दिया अब आप ही बताइए कि क्या मैं पैसे चोरी करूंगी क्या आप लोगों ने मुझे ऐसे संस्कार दिए हैं।
हम लोग आपस में बात कर रहे थे तभी सुरभि के पति महेश आ गए और वह कहने लगे देखिए मां और सुरभि के बीच में कुछ गलतफहमियां पैदा हो गई है जिसकी वजह से सुरभि भी परेशान है और मां भी बहुत परेशान है। मैंने महेश से पूछा हुआ क्या है तो वह कहने लगे कि कल रात को घर से कुछ पैसे चोरी हो गए थे और उसके बाद मां और सुरभि के बीच बहुत झगड़े हुए जिस वजह से मुझे लगा कि मुझे बीच में कुछ भी नहीं कहना चाहिए लेकिन अभी तक पैसे नहीं मिल पाए हैं मुझे पूरा यकीन है कि सुरभि ने वह पैसे चोरी नही किये है लेकिन मां भी कल बहुत ज्यादा टेंशन में थी इसलिए उन्हें लगा कि सुरभि ने हीं पैसे निकाले हैं।
मेरी मां कहने लगी देखो बेटा हम लोगों ने सुरभि को कभी भी इस प्रकार के संस्कार नहीं दिए हैं कि वह घर से कुछ चीज चोरी करें अब तुम्हारे घर से कोई चीज गायब हो जाती है तो उसके लिए यदि तुम्हारी मां सुरभि को दोषी ठहराती है तो वह भी उचित नहीं है अब तुम ही बताओ यदि बेवजह किसी पर कोई इल्जाम लगा दिया जाए तो क्या वह बर्दाश करेगा।
महेश मेरी मां की बात से पूरी तरीके से सहमत थे और वह कुछ भी ना कह सके वह सिर्फ अपनी गर्दन को हिलाते रह गए और जब वह अपनी गर्दन को हिला रहे थे तो मुझे एहसास हो चुका था कि महेश भी कुछ कहने वाले नहीं हैं और महेश ने कुछ भी नहीं कहा।
उस दिन तो हम लोग घर वापस लौट आए लेकिन मुझे सुरभि की चिंता सताने लगी थी और मैंने मां से कहा कि मां मुझे सुरभि की बहुत चिंता होती है। मां कहने लगी बेटा तुम उसकी चिंता मत करो सब कुछ ठीक हो जाएगा। मैंने सुरभि को फोन किया तो वह कहने लगी हां भैया अब सब कुछ ठीक है और यह सब शायद महेश की वजह से ही हुआ था क्योंकि महेश को अपनी चुप्पी तोड़नी पड़ी और उसके बाद उसने अपनी मां से कह दिया था कि आप सुरभि पर बेवजह इल्जाम ना लगाया करें।
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जब इस बारे में पता चला कि वह पैसे तो घर के नौकर ने चोरी कर लिए थे तो इस बात से महेश को भी बुरा लगा और महेश ने भी शक्ति से अपनी मां से कहा कि मां देखिए आपके और सुरभि के बीच बेवजह दीवार के चुकी है और उसे आप लोगों को ही दूर करना चाहिए आगे से आप ऐसा ना करें। जब यह बात मुझे सुरभि ने बताई तो मैंने उसे कहा चलो कम से कम महेश को तो अब समझ आ चुकी है और वह समझ चुका है कि तुम ऐसी बिल्कुल भी नहीं हो।
हमारे पड़ोस में मेरी मुलाकात शालिनी से होती है और जब मेरी मुलाकात शालिनी से होती है तो ना जाने उसकी आंखों की नमकीन मस्तियां मुझे अपना बना रही थी और मुझे अपनी और आने के लिए विवश कर रही थी। मुझे वह अपनी ओर खींचने की कोशिश करती मैंने भी एक दिन शालिनी से बात की जब मेरी शालिनी से बात हुई तो मुझे उससे बात करना बहुत अच्छा लगा और काफी समय तक हम दोनों एक दूसरे से बात करते रहे। मैं शालिनी की अंदर की सेक्स भावना को समझ चुका था वह भी टूटे दिल की थी उसका दिल भी टूट चुका था और उसे बड़ा अच्छा लग रहा था।
मैं उससे बात कर रहा था उससे बात कर के उसके चेहरे की खुशी बयां कर रही थी कि वह मेरे साथ बहुत खुश है। मैंने उसकी तारीफ के पुल बांध दिए थे भला वह कैसे पीछे रह सकती थी उसने भी मेरे सामने अपने कपड़े उतारते हुए अपने स्तनों को दिखा दिया। उसके गोरे और बड़े स्तन देखकर में मजे मे आ चुका था और मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था।
मैंने जिस प्रकार से उसके स्तनों को अपने मुंह में लेकर चूसा उससे उसकी उत्तेजना में चार चांद लग गए थे। उसकी योनि पर मैंने अपनी उंगली को लगाया तो उसकी योनि से पानी बाहर की तरफ को निकलने लगा था वह पूरी तरीके से मचलने लगी थी मेरे अंदर गर्मी पैदा हो चुकी थी।
मैंने उसे कहा मैं तुम्हारी योनि में लंड डाल रहा हूं शालिनी ने भी अपने पैरों को चौड़ा कर लिया। मैंने जैसे ही उसकी योनि के अंदर बाहर अपने लंड को करना शुरू किया तो मुझे अच्छा लगने लगा उसकी योनि के अंदर बाहर मै अपने लंड को करता जाता और उसे बड़ा मजा आता वह अपने मुंह से मादक आवाज मे सिसकिया ले रही थी और कह रही थी कि मुझे और भी तेजी से चोदो।
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मैंने भी उसे बड़ी तेज गति से धक्के दिए और उसकी योनि के मैंने बडे देर तक मजे लिए काफी देर तक मजा लेने के बाद उसने मुझे कहा कि मुझे अब तुम घोड़ी बना दो। मैंने उसको घोड़ी बनाया मैने जब उसकी चूतड़ों को देखा तो मैंने उसकी गांड को अपनी जीभ से गिला कर दिया था मैंने उसे कुछ देर तक अपने लंड को चूसवाया तो मेरे लंड से पानी बाहर निकलना शुरू हो गया था।
जैसे ही मैंने अपने लंड को उसकी गांड के अंदर प्रवेश करवाया तो वह चिल्ला उठी उसके मुंह से तेज चीख निकलने लगी। मैंने उसे बड़ी तेज गति से धक्के मारने शुरू कर दिए मैं उसे बड़ी तेज गति से धक्के मार रहा था उसकी गांड का छेद मैंने और भी चौड़ा कर दिया था उसकी गांड से खून बाहर आ चुका था।
अब वह बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी शालिनी कहने लगी मैं बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर पा रही हूं और इसी के साथ जैसे ही मैंने उसकी गांड के अंदर अपने वीर्य को गिराया तो वह खुश हो गई।