हैलो दोस्तों, मेरा नाम रिकी है मै 23 साल का हूं और मै मध्यप्रदेश का निवासी हूं। मै आपको बता दूं कि मै आज पहली बार ये सेक्स कहानी लिख रहा हूं इससे पहले मैने काफ़ी कहानियां पढ़ी हुई हैं। जब मै 15 साल का था तब से ऐसी कहानियां पढ़ रहा हूं और काफ़ी लड़कियों और औरतों के साथ ऑनलाइन सेक्स चैट भी किया है। और लगभग रेगुलर सेक्स कहानी और सेक्स चैट करता रहता हूं। गांव की चुदाई कहानी
अब मै अपनी कहानी पर आता हूं, मै आपको बता दूं कि मै सरकारी नोकरी के एग्जाम के लिए तैयारी कर रहा हूं इसलिए 2 साल से दिल्ली में रह रहा हूं। और मुझे ये कोरोना की वज़ह से घर वापस आना पड़ा। तब मैने सोच क्यों ना मै भी अपना एक्सपीरिएंस सभी के साथ शेयर करूं।
तो ये कहानी 2 साल पहले की है, जब मै रिश्तेदार के यहां शादी मै जा रहा था। जिसके लिए मुझे एक छोटे से गांव में जाना था जहां कोई खास ट्रांसपोर्ट भी नहीं था, पहले ट्रेन से 4 घंटे सफर करो, फिर वहां से छोटी वाली बस पकड़ो, जिसमें 2 लोगों की सीट पर भी 2 लोग ठीक से नहीं बैठ पाते, पर फिर जाना तो था मुझे। सीट भी मिल गई एकदम बीच में।
सफर लगभग 4 घंटे का था और मै सोच रहा था ये समय केसे कटेगा यहां तो कोई लड़की भी नहीं मिलेगी जिससे बातें करते हुए टाइमपास हो जाए। फिर कुछ देर बाद एक स्टॉप से कुछ कॉलेज वाली लड़कियां चढ़ी मुझे बहुत खुशी हुई कि अब थोड़ा मज़ा आयेगा। बस में सीट खाली नहीं थी तो वो मेरे पास में ही खड़ी हुईं थीं, पर कोई ज्यादा हॉट टाइप नहीं थी पर फिर भी लड़की तो लड़की ही होती है, जिसके एक स्पर्श से आपका सब कुछ खड़ा हो जाता है, बस ऐसा ही कुछ मेरे साथ हुआ। कुछ देर ऐसे ही स्पर्श करते हुए कत गया और मेरा खड़ा भी हो चुका था। पर उसका स्टॉप आ गया और वो चली गई।
फिर कुछ देर बाद 5 औरतें बस में चढ़ी, जिनमें से 2 लगभग 30-32 कि रही होंगी, 2 शायद उनकी सास थीं और एक नई नवेली दुल्हन जैसी ही थी करीब 25-26 साल की थी एकदम गोरी, नीले रंग की साड़ी पहने हुए थी और सेक्सी भी थी, मुझे उसका फिगर लगभग 34c-28-34 जैसा लगा वो तो मेरे लिए भाभी जैसी ही थी । वो सब ठीक मेरे पास ही खड़ी थीं क्यूंकि बस में काफी भीड़ भी थी और सीट खाली नहीं थी। और हमारी नज़रें भी बार बार मिल रहीं थीं, क्यूंकि उस बस में लगभग सारे ही 30+ दिख रहे थे और मै ही उसके हम उम्र जैसा था। Anatarvasna Story
वो भाभी मेरे एकदम पास में ही खड़ी थी और मेरी सीट पर हाथ रखे हुए थी, तो मैने सोने का बहाना करके उसके हाथ पे अपना सर रख दिया, तब उसने अपना हाथ खिसका लिया और मै सोने का नायक कर रहा था, फिर मैने धीरे से अपना पैर खिसका कर उसके पैर से टच कर दिया, उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी तब मुझे लगा शायद आगे बढ़ना चाहिए। सड़क वैसे ही कच्ची थी तो सब कुछ आसान था, जैसे ही बस हिलती में बहाने से अपना पैर उसके पैर पे सहलाता और अभी भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, शायद उसे भी अच्छा लग रहा होगा।
फिर मैने सोने के बहाने से फिर अपना सर उसके हाथ पर रख दिया इस बार उसने हाथ नहीं हटाया, तब मुझे आत्मविश्वास मिला की अब मै आगे बढ़ सकता हूं, फिर मै धीरे धीरे उसके हाथ पे अपना गाल सहलाता रहा और वो कुछ नहीं बोली। तभी कुछ लोग पीछे के दरवाजे से चढ़े तो वो मेरी सीट से थोड़ा आगे हो गई, और मै उसके कोमल हाथ के मज़े नी के पा रहा था, और वो भी मुझे बार बार देख रही थी जैसे वो भी मायूस हो गई हो।
फिर मैने एक तरकीब लगाई, मैने अपना एक पैर उसकी तरफ बढ़ाया और उसके पंजों पर रख दिया वो मेरी तरफ देख रही थी तो मैने उसको स्माइल दिया उसने अपना सर झुका लिया, फिर मै समझ गया मुझे क्या करना है। फिर मैने धीरे उसके पैरों की सहलाने लगा और वो भी धीरे धीरे पास खिसक रही थी, पर उसकी साड़ी की वजह से मुझे उसके मुलायम पैर का फील नही मिल रहा था, तब मैने उसको दोनों पैर के बीच मै अपना पर दाल दिया, और वो फिर मेरी तरफ देखने लगी, तो मैने इशारा किया कि वो थोड़ा और करीब आ जाए। Desi Sex Kahani
जब वो करीब आई तब मैने एक पैर से उसकी साड़ी को थोड़ा ऊपर करके अपना दूसरा पैर अंदर कर दिया और उसके नंगे पैरों को सहलाने लगा, मेरा लंड एकदम टाइट हो गया जो की उसको भी मेरे पैंट पर दिखने लगा, फिर ऐसे ही कुछ सहलाते हुए मै उसकी जांघ के पास पहुंच गया तभी कुछ और लोग चढ़े और इस बार वो थी मेरे पास आ गई, और वो मुझे देख कर मुस्कुराने लगी मेरा तो मन करने लगा इसको यही अपनी गोद में बिठा कर चोद दूं, पर ये पोर्न मूवी थोड़ी है जो ऐसा होगा।
अब वो ठीक मुझसे चिपक के खड़ी हुई थी उसकी चिकनी कमर बार बार मेरे गालों से रगड़ रही थी, मुझे तो जन्नत मिल गई थी। फिर मैने भी अपना हाथ बढ़ा कर उसकी कमर पर लगा दिया और सहलाने लगा। फिर वो थोड़ा घूम गई मुझे लगा शायद किसी ने देख लिया होगा, पर फिर उसने धीरे से अपनी गान्ड को मेरी तरफ किया फिर भी मै समझ नहीं तभी उसने धीरे से अपनी गान्ड को मेरे गाल पे रगड़ा, फिर मैने मुड़कर देख तो उसने इशारा किया की इसे भी सहलाओ फिर धीरे धीरे उसकी गान्ड को सहलाने लगा। वो फूल मज़े ले रही थी और इधर मेरा लंड सजा काट रहा था बेचारा जैसे भूख से तड़प रहा था। पर ऐसे माहौल में और क्या कर सकते थे। फिर मैने तरकीब लगाई और उसकी सास जो कि लगभग 50-55से ज्यादा रही होगी, उनसे कहा कि वो मेरी सीट पर बैठ जाएं और आसानी से मां गईं क्योंकि इतनी भीड़ में तो सभी को सीट चाहिए । और मै अपनी माल के पास खड़ा हो गया और मुझे सुकून मिला, पर शायद मेरे से ज्यादा खुशी मेरी माल को थी वो भीड़ के बहाने से तुरंत मेरे से चिपक गई और उसकी गान्ड ठीक मेरे लुनद के उपर थी, मैने भी अपना एक हाथ बढ़ाया और उसकी कमर पर रख दिया और उसकी गान्ड पे लंड रगड़ रहा था तभी उसका हाथ मेरे लंड और उसकी गान्ड के बीच आया और उसने लंड को पकड़ लिया मेरी तो आह निकल गई, वो धीरे धीरे लंड को मसल रही थी और मै बेकाबू हो रहा था।
फिर मैने सोचा इसके सामने इसकी भाभी खड़ी है तो मै कुछ मज़े ले लूं, तो मैने धीरे से अपना हाथ उसकी कमर से उसकी साड़ी के अंदर कर दिया और सहम गई, फिर मैने उसके कान में बोला ” रुक क्यों गई हम पर किसी की भी नजर नहीं पड़ने वाली” तब उसने अपना हाथ वापस लंड पर रखा, तो मैने भी अपना कम शुरू कर दिया। मै धीरे धीरे अपना हाथ उसकी चूत तक ले गया, और उसने पैंटी नहीं पहन रखी थी, शायद गांव में ना पहनते हों। खैर मुझे क्या, मैने अपना काम जारी रखा, और जब उसकी चूत को टच किया तो जैसे करंट सा दौड़ गया। उसकी चूत एकदम गीली थी, बिल्कुल चुदने को तैयार। मैने उसकी चूत को सहलाना शुरू किया और वो शिहरने लगी, तभी मैने अपनी एक उंगली को उसकी चूत में रखा और धीरे से अन्दर किया, चूत एकदम गीली होने की वजह से मेरी उंगली फिसलते हुए अंदर चली गई, और उसके मुंह से आह निकल गई पर किसी को शायद सुनाई नहीं दिया।
फिर मैने उसकी चूत को उंगली से चोदना शुरू कर दिया, लगभग 3-4 मिनट बाद वो फिर से मेरा लंड मसलने लगी, तब मुझे लगा उंगली का डोज बढ़ा देना चाहिए, तब मैने धीरे से अपनी दूसरी उंगली को भी चूत में डाल दिया और इस बार उसे थोड़ा दर्द हुआ पर उसने मुंह नहीं खोला, शायद वो भी चाहती थी काम पूरा हो जाए किसी को शा भी ना हो। अब मैने फिर से उसकी चूत को उंगली से चोदना शुरू कर दिया, चूत इतनी गीली थी कि उंगलियां आसानी से अंदर बाहर फिसल रहीं थीं, फिर मैने अपने पैंट का ज़िप खोल दिया और उसके कान में बोला “दरवाज़ा खोल दिया है, अंदर आ जाओ” वो समझ गई और उसने अपना हाथ ज़िप के अंदर डाल दिया और लंड को पकड़ लिया।
अब मै चूत में उंगली करने की स्पीड बढ़ा दी, और उसकी प्रतिक्रिया में उसने भी मेरा लंड हिलाना शुरू कर दिया। उसके सॉफ्ट हाथ लगते ही मेरा लंड लोहे की रॉड जैसा हो गया। अब जैसे जैसे में उसे उंगलिंस चोद रहा था वो भी मेरा लंड हिला रही थी।जो कि वो काफी देर से मेरे लंड को रगड़ रही थी (पैंट के बाहर से भी) मेरा मा निकलने वाला था।
तब मै उसके कान में बोला ” मेरा निकलने वाला है”
वो बोली “मेरे हाथ में निकल दो सारा”
वो हिलाती रही और मेरा निकल गया और उसने मेरा माल अपने हाथ में ले लिया और अपनी कमर पर लगा लिया। अब मेरी बारी थी उसका माल निकालने की, और मै ज़ोर से उंगली करने लगा, वो शिहरने लगी, मै समझ गया इसका माल आने वाला है, और मै उंगली करते रहा और उसका माल निकल गया। मेरा तो फिर से खड़ा होने लगा उसके माल की गर्मी से। मैने फिर से उसकी चूत सहलाना शुरू कर दिया, जिससे शायद वो फिर से गर्म होने लगी और साथ में मेरा लंड भी खड़ा होने लगा था।
तभी उसकी भाभी बोली “शिखा तुम थक तो नहीं गई इतनी देर से खड़ी हो” तब मैने अपना हाथ बाहर निकाल लिया कि कहीं उनकी नजर ना पड़ जाए
फिर शिखा बोली ” नहीं भाभी, मै ठीक हूं”
भाभी “अरे तुम्हें आदत नहीं ना ये गांव की चीज़ों की इसलिए पूछा मैने”
शिखा “नहीं भाभी, अब शहरों के साथ गांव वाले तौर तरीके भी जरूरी हैं”
भाभी “वैसे हम कुछ देर में पहुंचने वाले है”
शिखा “इतना जल्दी, मुझे तो लगा अभी काफी टाइम बचा है”
भाभी ” नहीं बस आधे घंटे में पहुंच जाएंगे”
शिखा “अच्छा ठीक है फिर”
तब मै उसके कान में बोला “अब हम क्या करें, आप तो पहुंचने वाले हो”
शिखा “जितना बन सके कर लेते हैं, वैसे भी ये हमारी आखिरी मुलाक़ात जो होने वाली है”
मै “पहली मुलाक़ात तो काफी हसीन रही बस ये आखिरी नहीं चाहते”
शिखा “क्या मतलब”
मै “ऐसी और भी मुलाकाते मिले तो कुछ मज़ा आए”
शिखा “अब हमारे नसीब में शायद इतना ही है”
तभी मैने फिर से उसकी सदी में हाथ डाल दिया और चूत सहलाने लगा, मेरा लन्ड फिर लंड फिर से टाइट हो गया और मैने उसकी गान्ड पे लगा दिया उस भी काफी मज़ा आने लगा, और उसने अपनी गान्ड मेरे लंड पर सटा दी और धीरे धीरे लंड पर रगड़ने लगी मुझे तो बस लग रहा था कि अभी इसको नगा करके चोद दूं और शायद वो भी यही सोच रही थी, पर हम दोनों ही मजबूर थे कि सब कुछ मिलते हुए भी चुदाई का सुख नहीं ले पा रहे थे मै तो मन ही मन उसको नंगा कर के उसी बस में सबके सामने चोद था, तभी मैने सीधा 2 उंगली उसकी चूत में डाल दी और वो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरे हाथ को चूत में धक्का देने लगी, मै समझ गया कि इसे भी बहुत जल्दी है
तभी मै उसकी चूत में ज़ोर ज़ोर से उंगली करने लगा और वो मेरे लन्ड पे गान्ड रगड़ रही थी, मेरे कहने पर उसने फिर से मेरे पैंट में हाथ डाल कर मेरा लंड हिलाना शुरू कर दिया। इस बार वो भी हार्डकोर तरीके से हिला रही थी, मुझे तो बहुत मज़ा आ रहा था। और उसके ऐसे हिलाने की वज़ह से में मेरा मा निकलने वाला था। मैने भी ज़ोर ज़ोर से उंगली करना शुरू कर दिया। तभी मै झड़ने लगा और मैने सारा माल अपने हाथ में ले कर पीछे से उसकी साड़ी के अंदर डाल दिया थोड़ा माल उसके हाथ में भी लगा था जिसे उसने चाट लिया, मै तो देखता रह गया कि गांव में भी ये सब होता है। पर मै अपने काम पे लगा रह और वो झड़ने लगी।उसकी साड़ी अंदर से गीली हो चुकी थी।
शिखा “आपने मेरी साड़ी खराब कर दी”
मै “कुछ अच्छा करने पर्दाग लगते हैं, तो दाग अच्छे हैं”
शिखा “वैसे अब ये मेरी फेवरेट साड़ी है आज से”
फिर इसे ही गान्ड सहलाते हुए उसका गांव आ गया और वो मुस्कुराते हुए चली गई, फिर थोड़ा आगे जा कर मेरा स्टॉप आ गया और मै भी उतर गया।
तो दोस्तों अगर आपको मेरी कहानी अच्छी लगी तो मुझे जरूर बताएं मेरा ईमेल आईडी [email protected] पर संदेश भेजें
वैसे ये कहानी यहीं खत्म नहीं होती है, इसके बाद मेरे साथ एक और घटना हुई जो कि मै अगले पार्ट मै लिखूंगा।

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