दोस्तों को राघव का प्रणाम। दोस्तों आप के लंड को फिर से खड़े करने के लिए मैं अपनी Antarvasna Sex Story ले के आया हूँ। बात आज से कुछ महीनो पहले की हे। मेरे कोलेज के एक दोस्त की शादी हो रही थी। तो हम सब दोस्त उसकी शादी में हरयाणा के एक छोटे से गाँव में गए थे। वैसे तो बहुत कुछ हुआ था लेकिन मैं कट शोर्ट कर के सीधे सेक्स के किस्से पर आता हूँ।
मेरे दोस्त के बाजूवाले घर में एक देसी लड़की का घर था। उस सेक्सी लड़की की उम्र 18 के करीब थी और उसका नाम निशा था। उसके बूब्स अभी उग रहे थे और अभी आधी साइज़ के थे। गांड भी चपट सी ही थी। उसका रंग एकदम साफ़ था। वो ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं थी। वैसे भी गाँव में एवरेज फिमेल लिट्रसी काफी कम ही होती हे ना।
दो दिन तक मैंने उसे लाइन दी और वो भी मेरे में इंटरेस्ट दिखा रही थी। तीसरा दिन आया और मैने सोचा की बहुत हो गया लाइन वाइन। मैंने उसे आँख मारी और चलती क्या वाला इशारा भी कर दिया। मेरे इशारे से वो हंस पड़ी। मैं छत पर गया और वो मुझे देख रही थी। सीड़ियों पर चढ़ते हुए फिर से मैंने उसे उपर आने के लिए इशारा कर दिया। और वो आ भी गई।
वो आई तो मैंने उसके हाथ को पकड लिया। शायद जल्दबाजी थी वो मेरी। वो पीछे हटी तो मैंने फट से हाथ छोड़ा और उसे पूछा, मुझे इतना क्यूँ देखती हो?
वो बोली, आप मुझे अच्छे लगते हो।
मैंने उसको कहा, तुम भी मुझे पसंद हो निशा!
और फिर मैंने फिर से उसका हाथ पकड़ा। इस बार वो हिली नहीं तो मैंने उसे खिंच के उसको एक चुम्मा दे दिया। उसने भी मुझे किस कर ली। और फिर कुछ कर पाता उसके पहले ही वो भाग खड़ी हुई।
जिस दिन शादी थी उसकी अगली रात का किस्सा हे ये। सब लोग सो गए थे, देर तक डांस चला था इसलिए वैसे भी सब थके हुए थे। मैं अपने एक दोस्त के साथ छत पर सोने के लिए गया। महमान बढे हुए थे और निचे सही जगह नहीं थी।
छत पर भी पूरा मजमा लगा हुआ था। मुश्किल से एक आदमी के लिए ही जगह थी। मैंने दोस्त से कहा तू सो जा मैं मूवी देखता हु मोबाइल पर। वो लेटा ही था की बगल से आवाज आई, जी हमारी छत पर आ जाओ गारा वहां पर जगह नही हे!
वो निशा के डेड ने बोला था। मैं एक चद्दर और तकिया पकड के छत फांग के उधर चला गया। और एक साइड में चद्दर बिछा के सो गया।
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अभी तो ठीक से नींद भी नहीं आई थी और मुझे लगा की कोई अपने लेग्स को मेरी लेग्स में घिस रहा था। मैंने साइड में नजर की तो वो निशा ही थी। वो आँखे बंध कर के ऐसी सोयी थी जैसे नींद में ही हो। मैंने देखा तो उसके पापा और मम्मी चद्दर खिंच के सोये हुए थे। और मुझे लगा की जब ये गाँव की छोरी सामने से लेना चाहती हे फिर क्या प्रॉब्लम हे। मैंने हाथ आगे कर के उसकी चुन्ची को दबा दी। निशा सलवार कमीज पहन के सोयी हुई थी। कमीज के अन्दर धीरे से हाथ डाला तो पता चला की अंदर उसने ब्रा नहीं डाली थी। मैं उसके बूब्स को मसलने लगा। और फिर हाथ को निचे की तरफ ले जा के मैंने उसकी सलवार का नाडा खोल दिया। उसने अन्दर पेंटी भी नहीं पहनी थी। मैं उसकी जवान देसी चूत को हाथ से टच कर के उत्तेजना के सैलाब में गोते लगाने लगा था!
निशा ने हलके से सिसकारी ली और मेरी तरफ देखा। वो होंठो को दांतों तले दबा के अपने सेक्स-आवेग को कुचल रही थी। बड़ी ही होर्नी लग रही थी वो इस अवस्था में!
मैंने उसकी चूत में धीरे से अपनी एक ऊँगली घुसेड दी। वो मजे की वजह से उछल गई। मैंने उस वक्त बनियान और ट्रेक पेंट पहनी हुई थी। मैंने ट्रेक पेंट से लंड को पूरा बहार कर दिया। मेरा लंड एकदम फुला हुआ था। निशा ने उसे अपने हाथ में ले लिया और हिलाना चालू कर दिया।
मेरी ऊँगली अभी भी निशा के बुर में ही थी। और फिर मैंने चिकनाहट बढ़ी ऐसा महसूस करने पर दूसरी ऊँगली को भी अन्दर कर दिया। निशा के बदन पर चद्दर थी। उसने मुझे भी अन्दर आ जाने को इशारा कर दिया। हम दोनों चद्दर में घुस गए ताकि कोई हमें देख ना ले!
मैंने उसे खिंच के अपने लंड की तरफ उसका सर करवा दिया। वो खूब समझती थी की क्या करना हे। उसने लंड को अपने मुहं में भर के मुझे ब्लोव्जोब देना चालू कर दिया। और मैंने उसकी जलेबी जैसी रसीली चूत को सामने देखा तो मैं भी उसे चाटने से दूर न रह सका। मैं चूत को जबान डाल के लिक करना चालू कर दिया। निशा ने एक मिनिट तो पूरा लौड़ा मुहं में डाल लिया और वो उसे जोर जोर से चूसने लगी। 2 मिनिट में हम दोनों ने एक दुसरे के माउथ में कामरस की पिचकारियाँ छोड़ दी!
निशा सीधी हो के लेट गई। अब उसके बूब्स मेरे सामने थे। मैंने उन्हें अपने होंठो में भर के पीना चालू कर दिया। एक मिनिट के अन्दर तो मेरा लंड फिर से फुल गया था। मैंने निशा को कान में कह के उसे अपनी तरफ गांड कर के लिटा दिया। फिर मैंने पीछे से उसकी चूत में ऊँगली की। उसकी चूत एकदम गीली थी तब मैंने अपना लंड अन्दर कर दिया। मेरे लौड़े का सूपाड़ा अंदर पेल के मैंने एक हाथ से निशा का मुहं बंध कर दिया। आवाज को रोक के मैंने जैसे ही पीछे से जोर का धक्का लगाया तो मेरा पूरा लंड अन्दर समा गया।
और फिर मैं अपनी कमर को आगे पीछे करने लगा। मेरा लौड़ा इस देसी लड़की की चूत में मस्त अन्दर बहार होने लगा था। वैसे यहाँ इस देसी लड़की की चुदाई करना किसी महाखतरे से कम नहीं था। पर लोगों ने चूत के लिए रियासतें छोड़ दी फिर मैं इतना खतरा तो मोल ले ही सकता था।
निशा भी बड़ा एन्जॉय कर रही थी। वो भी अपनी कमर को आगे पीछे कर के हिलाने लगी थी। मैं उसे चोदते हुए उसकी गांड को टच करता था और उसके बूब्स भी दबाता था। करीब 12-14 मिनिट के अन्दर मैंने इस देसी लड़की के बुर में ही अपने वीर्य का पाइप खोल दिया!
और फिर हम दोनों अलग हो के लेट गए। उसने अपनी कमीज और सलवार को पहन लिया। मैंने भी ट्रेक पेंट चढ़ा ली। फिर निशा मेरे से अलग हो के सो गई। और मुझे भी उस रात को बड़ी मस्त नींद आई। आज बहुत समय के बाद किसी की चूत जो चोदी थी।
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सुबह में फ्रेश हो के शादी में लग गए हम लोग दोस्त की बरात नजदीक ही एक गाँव में जानी थी। शा को दुल्हन ले के वापसी भी हो गई। पड़ोस की सब औरतें दुल्हन देखने के लिए आ रही थी। निशा और उसकी माँ भी आये।
तब उसे चोली में देख के मेरा लंड फिर से हिल गया। वो भी मुझे देख के स्माइल दे रही थी। मैंने स्माइल के साथ उसे आँख मारी। वो निचे देख पड़ी। मैंने उसे इशारा कर के बुलाया। उसने इशारे में ही मुझे पीछे बुला लिया।
पीछे मैंने निशा से कहा, यार फिर से मुड हो रहा हे। वो बोली रात को मजा नहीं आया क्या? मैंने कहा मजा आया इसलिए तो लंड बिगड़ रहा हे फिर से तुम्हे चोली में देख के। वो बोली लेकिन अभी तो मुश्किल हे न। सब तरफ महमान ही महमान हे, तुम खुद ही देखो।
मैंने उसे खेतों की तरफ दिखा के कहा, वो निम् के पेड़ के निचे मिलोगी मुझे 1 घंटे में, वहां अपनी जगह खोज लेंगे हम। वो हंस के हां कर दी। शायद उसे भी लंड का बल्ला अपनी बिल में लेने में मजा आया था।
मैं खेत में बैठा हुआ था। तभी निशा सब की नजरों से बच के वहाँ आ गई। उस वक्त उसने लूज टी-शर्ट और पेंट पहनी थी। मैंने कहा, चोली मस्त थी वो क्यूँ उतार दी। तो वो बोली, बुध्धुराम वो शादी में पहनते हे। मैंने कहा, माल लग रही थी एकदम कडक वाला!
मैं उसका हाथ पकड़ के उसे अन्दर ले गया। मक्के के खेत में अन्दर घुस के मैंने उसे निचे बिठा दिया। और उसने मेरे लंड पर हाथ रख के दबा दिया। मैंने भी उसके बूब्स को चुसना चालू कर दिया और उसकी चूत से खेलने लगा।
2-3 मिनिट फॉर-प्ले करने के बाद मैंने कहा, आज तो मैं तुम्हे एकदम नंगा कर के चोदना चाहता हूँ निशा। वो बोली, ऐसा क्यूँ। मैंने कहा,, रात को कुछ देखा नहीं इसलिए अभी देखना चाहूँगा न!
मैंने अपने हाथ से उसके सब कपडे उतारे और खुद भी एकदम नंगा हो गया। वो शर्मा रही थी। मैंने अपने लंड को उसकी छेद पर रखा। और मैं वहां पर घिसने लगा। वो सिहर उठी और उसकी चूत पानी चोदने लगी। फिर मैं घुटनों के बल खड़ा था। उसे निचे झुक के मेरे लंड को मुहं में डाल लिया और उसे चूसने लगी। करीब 10 मिनिट के ब्लोव्जोब में ही उसके मुहं में पानी चूत गया।
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मैंने उसकी जांघ के ऊपर पप्पी दी और फिर स्लोवली उसकी चूत की तरफ बढ़ गया। निशा की चूत को देख के चाटने में अलग ही आनन्द आ रहा था। फिर मैंने चूत को लिक करते हुए उसके अंदर एक ऊँगली डाल दी। वो मस्तियाँ उठी थी एकदम से।
खेत के अन्दर ही निशा को मैंने घोड़ी बना दिया। और फिर पीछे से अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया। निशा भी अपनी गांड को हिला के मेरा पूरा सपोर्ट कर रही थी। मैंने हाथ को आगे कर के उसके आधे खिले हुए बूब्स को पकड़ के मसल दिया। मैंने चूत मारते हुए कहा, निशा मैं पीछे डालूं?
वो बोली नहीं नहीं पीछे नहीं दुखता हे! मैंने सोचा की साली ये ऐसे तो गांड मारने नहीं देगी। इसलिए मैंने सोचा की वैसे ही डाल देता हूँ बिना कुछ कहे। मैंने कुछ देर चूत मारी और फिर एकदम से लंड चूत से निकाल के गांड पर लगा दिया।
वो संभलती उसके पहले धक्का लगा के मैंने लंड को अन्दर कर दिया। वो ऐसी चिल्लाई की मुझे लगा की साला कोई आ जाएगा। वो रोने लगी और उसकी गांड से खून भी निकल गया।
वो मुझे कह रही थी की प्लीज़ निकालो इसे वरना मैं मर जाउंगी। मैंने कहा निशा एक मिनिट में दर्द कम न हुआ तो निका ल लूँगा। और ये कह के मैं उसके बूब्स और जांघो को सहलाने लगा। उसका दर्द कुछ देर में ही कम हो गया। मैंने उसकी गांड के छेद पर थूंक दिया। मेरा 25% लंड तब अन्दर ही था। फिर मैंने धीरे से धक्का लगाया और बाकी के 75% में से आधा लंड अन्दर कर दिया। दर्द मेरे लंड के सूपाड़े पर भी हो रहा था। लेकिन गांड सेक्स का मजा ही अलग हे!
मैंने अब धीरे धीरे से आधे लंड से उसकी गांड मारनी चालू कर दी। वो भी सहजता से धीरे धीरे कुल्हे मटका रही थी। खून अभी भी दिख रहा था लेकिन अब और नहीं निकल रहा था। कुछ 8-10 मिनिट गांड चोदने के बाद मेरा वीर्य निकल गया। उसकी गांड के छेद से वीर्य निकल के खून के साथ मिक्स हुआ। मैंने अपने रुमाल से निशा की गांड को साफ़ किया।
और फिर मैंने उसे कहा, निशा कैसे लगा पीछे लेने में?
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वो बोली, तुम बहुत खराब हो, पीछे मना किया फिर भी। मुझे कितना दर्द हुआ वो तुम्हे क्या पता!
फिर हम लोग कपडे पहन के खेत से निकल पड़े। निशा की टांगो में चलने के भी होश नहीं रहे थे। वो मुझे बोली की शाम की दावत भी नहीं खा पाऊँगी तुम्हारे लंड की वजह से।
मैंने कहा, आई लव यु।
वो बोली, आई लव यु टू।
खाने की दावत में वो सच में नहीं आई। दुसरे दिन सुबह में जब निकल रहा था तो वो छत से मुझे देख रही थी। मैंने अपना मोबाईल नम्बर उसे दिया तो था लेकिन आजतक उसने कॉल नहीं किया हे मुझे। और मैंने माँगा तो उसने कहा था की मेरे पास मोबाइल नहीं हे।