दोस्तो, आप सभी ने मेरी कहानियाँ को इतना प्यार दिया, उसके लिए धन्यवाद।
आपके सामने फिर अपनी एक कहानी लेकर हाज़िर हुआ हूँ, उम्मीद है इसे पढ़ कर मुझे मेल जरूर करोगे।
मेरे ऑफिस में ही काम करने वाली लड़की, जिसका नाम अनुष्का था, के साथ मिल कर मुझे एक प्रोजेक्ट पर काम करना था।
हमें अपने प्रोजेक्ट के लिए कुछ दिन कंप्यूटर पर काम करना था और कुछ दिन बाहर फील्ड में जाकर काम करना था।
अनुष्का का रंग काफी गोरा और भाबी जी घर पर हैं! की अनीता उर्फ़ अन्नू जैसा सेक्सी जिस्म था, वो लुधियाना में गर्ल्स पीजी में रहती थी।
मैं भी उन दिनों मैं अलग रूम लेकर ही रहता था।
मैं कम्पनी की तरफ से दिए गए काम को पूरा करने के लिए कुछ दिनों से अनुष्का से मिल कर काम कर रहा था।
एक दिन शाम का समय था बरसात का मौसम था, हम दोनों एक गाँव से वापिस आ रहे थे। मैं बाइक पे था और अनुष्का मेरे पीछे बैठी थी।
शाम के करीब 7 बजने वाले थे हम ऑफिस का काम करके वापिस आ रहे थे कि अचानक बरसात शुरू हो गई।
मैंने बाइक को सड़क के एक किनारे एक पेड़ के नीचे रोक दिया और हम दोनों वहाँ रुक कर बरसात रुकने की प्रतीक्षा करने लगे।
लेकिन बरसात थी कि और तेज हुए जा रही थी।
हमने ऑफिस में फ़ोन कर दिया कि अब हम ऑफिस के बजाये सीधा अपने पीजी में जायेंगे, क्योंकि वैसे भी ऑफिस का समय ख़त्म हो चुका था।
बॉस को हमने फ़ोन पर रिपोर्ट दे दी थी।
मेरा प्लान था कि रास्ते में जाते हुए अनुष्का को रास्ते में उसके पीजी में छोड़ दूंगा।
जब हमने देखा कि पेड़ के नीचे भी हम पर पानी गिरने लगा है तो हमने वहाँ से बारिश में ही निकलने का फैसला लिया।
हम बरसात में ही आगे बढ़ते जा रहे थे, बारिश भी तेज हो गई थी, हम दोनों पूरे भीग चुके थे।
अनुष्का की शर्ट उसके बदन के साथ चिपक गई थी और उसकी ब्रा साफ़ दिखाई दे रही थी, इधर मेरी भी शर्ट भीगने की वजह से मेरी बनियान दिख रही थी।
अनुष्का बाइक पे दोनों टाँगें इधर उधर करके मुझे अच्छी तरह से पकड़ कर बैठ गई, अनुष्का के मम्मे मेरी पीठ पे टच कर रहे थे, जिसकी वजह से मेरे अंदर थोड़ा थोड़ा मीठा सेक्सी एहसास होने लगा था, शायद ऐसा एहसास अनुष्का को भी हो रहा था, वो इसीलिएजब बाइक किसी खड्डे में लगता तो वो आह भर कर जोर से मुझे पकड़ लेती।
मेरा लंड भी थोड़ा तन गया था, मैंने बाइक को रोड के एक किनारे एक बिल्डिंग की दीवार के पास रोक लिया, वहाँ कोई नहीं था, बस वहाँ बरसात से बचने का थोड़ा इंतजाम लग रहा था।
अनुष्का बाइक से उतरते ही बोली- क्यों, अब आप रुक क्यों गये सर?
मैंने कहा- बारिश को थोड़ा थम लेने दो, बारिश बहुत तेज है ऐसे में बाइक चलने में दिक्कत हो रही है।
थोड़ा थोड़ा अँधेरा भी होने लगा था, अनुष्का को ठण्ड लग रही थी, उसके दांत कम्पने लगे।
मैंने अनुष्का कि हालत देख कर कहा- अनुष्का, तुम तो बहुत कांप रही हो।
अनुष्का ने बताया कि उसे बहुत ठण्ड लग रही है।
कम्पन की वजह से अनुष्का के मम्मे भी हिल रहे थे।
मैंने उसे थोड़ा इंतज़ार करने को कहा, मैं अनुष्का को बोला- अगर तुम ठीक समझो तो आज रात मेरे रूम पर रुक जाओ, कल सन्डे है, कल चले जाना, क्योंकि उसका पीजी शहर के दूसरी तरफ़ हमारे ऑफिस के नजदीक था।
तो पहले तो वो तैयार न हुई, परन्तु मेरे ज्यादा जोर देने पे वो बोली- पर सर, मेरे पास कोई कपड़ा तो है नहीं, मैं कपड़े कैसे सुखाऊँगी?
मैंने उसे कहा- तुम मेरी शर्ट पहन लेना, वैसे भी तुम जीन्स और शर्ट ही पहनती हो, रात को सोने के लिए भी मेरा ही नाईट सूट पहन लेना! ये गीले कपड़े रात को धो कर डाल देंगे, कल तक ये सूख जायेंगे, कल रविवार है, तुम कल को जाते हुए यही कपड़े पहन लेना।
तो वो मेरे पास ही रुकने को तैयार हो गई।
अनुष्का ने नीचे मेरी पैंट की तरफ देखा तो वो मेरा खड़ा लंड देखकर थोड़ी शर्मा सी गई।
हम कुछ देर और वहीं पे रुके, परन्तु जब देखा कि बरसात नहीं रुक रही है तो हम बारिश में ही अपने रूम की तरफ निकल गए।
मेरा रूम जिस एरिया में था, वहाँ आबादी कम थी, और मेरे रूम के अलावा वहाँ दो रूम और थे, परन्तु वो अभी किसी ने भी नहीं लिए थे, इस लिए वहाँ ताला लगा हुआ था।
रूम में पहुँच कर मैंने अनुष्का को अपने कपड़े बदलने के लिए दिए। अनुष्का नहाने और कपड़े बदलने के लिए बाथरूम में चली गई।
मैं भी अपने कपड़े बदल कर किचन चला गया, मैंने चाय के साथ स्नैक्स बना लिए।
जब वो वापिस आई, मैंने चाय के साथ स्नैक्स उसके सामने रख दिए, तो वो बोली- ओह सर, इसकी क्या जरूरत थी।
अनुष्का का बदन बहुत सेक्सी लग रहा था।
मैंने कहा- कोई बात नहीं, ये लो!
हमने चाय पी और उसके बाद मैं खाना बनाने लगा तो अनुष्का बोली- अरे सर, आप खुद बनाते हो खाना?
मैंने कहा- खाना तो यहाँ पर टिफन सर्विस से आता है लेकिन जैसे आज बरसात का मौसम है, मुझे नहीं मालूम कि टिफिन सर्विस आएगी यहाँ पर! वो फ़ोन भी पिक नहीं कर रहे हैं इसलिए इमरजेंसी के लिए खुद भी तैयार करना पड़ जाता है।
तो अनुष्का बोली- नहीं सर, आप रहने दीजिये, खाना आज मैं बनाऊँगी, आप जाओ नहा लो।
अनुष्का के जोर देने पर मैं मान गया।
मैं जब तक नहा कर आया, तब तक अनुष्का ने खाना बना लिया था, हम दोनों ने एक साथ खाना खाया।
बाहर बरसात लगातार हो रही थी, बिजली भी बंद हो चुकी थी, हमारे रूम में इनवर्टर की वजह से रोशनी तो थी, परन्तु टी वी नहीं चल रहा था, तूफ़ान और बरसात की वजह से केबल टूट चुकी थी।
मेरे रूम में एक ही बैड लगा हुआ था, मुझे कभी दूसरे बैड की जरूरत ही महसूस नहीं हुई थी।
अनुष्का हिचकचाते हुए बोली- सर, हम दोनों एक ही बैड पर…!
मैंने कहा- नहीं अनुष्का, तुम ऊपर सो जाओ, मैं नीचे चटाई पर सो जाता हूँ।
वो बोली- नहीं, मैं नीचे सो जाती हूँ।
मैंने कहा- नहीं, तुम काँप रही थी, तुम्हें सर्दी लग जायेगी, वैसे भी आज तुम मेरी मेहमान हो, हम मेहमानों को नीचे नहीं सुलाते। मैं ही नीचे सोऊंगा।
वो बोली- नहीं, आपको भी सर्दी लग सकती है।
खैर ऐसे ही कुछ देर बहस करने के बाद यह तय हुआ कि हम दोनों ही बैड पे सोयेंगे, आखिर हम एक ऑफिस में काम करते हैं तो हम एक दूसरे के दोस्त भी तो हैं।
अब हम दोनों बैड पे थे, कुछ देर बातें करते करते धीरे धीरे मैं अनुष्का की जांघें सहलाने लगा। उसने कोई विरोध नहीं किया तो मैं थोड़ा और बातें करते करते अपना हाथ उसके मम्मों तक ले गया।
मैं धीरे धीरे उसको मम्मों को कपड़ों के ऊपर से ही सहला रहा था, उसकी तरफ से कोई विरोध नहीं हुआ, शायद वो भी आज के मौसम और इस बारिश का मज़ा लेना चाहती थी, तो मैंने एक हाथ उसकी शर्ट के अंदर डाल दिया।
तो एक बार तो वो थोड़ा उठने का नाटक करने लगी परन्तु मैंने जब कहा- क्या हुआ अनुष्का डार्लिंग?
तो वो वैसे ही लेट गई और बोली- अरे धीरे करो न!
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मुझे परमिशन मिल गई थी।
फिर क्या था, मैंने धीरे धीरे उसके मम्मों को दबाना शुरू कर दिया और फिर उसकी शर्ट के बटन खोल दिए, अब मैं उसके बिना ब्रा के नंगे मम्मों को देख रहा था।
मैंने देखा उसकी आँखों में भी वासना थी, मैंने उसके दोनों मम्मों को दबाना शुरू किया और इस बार मैंने उसके एक निप्पल पर किस भी कर दी थी तो अनुष्का के मुंह से सिसकारी निकल गई।
मैंने उसके दोनों मम्मो को चुसना शुरू कर दिया। मैं जैसे जैसे उसके मम्मे चूस रहा था तो उसका चेहरा लाल होता जा रहा था। अनुष्का के होंठों पे मैंने पहले अपनी जीभ रखी और फिर उसके होंठों को आने मुंह में ले लिया।
मैं उसे किस कर रहा था, मैं उसको स्मूच करने लगा था और अनुष्का की लोअर में हाथ डाल दिया।
मैंने जैसे ही ओअर में हाथ डाल तो वहाँ पैंटी नहीं थी, क्योंकि पैंटी तो गीली हो चुकी थी इसलिए उसने निकाल दी होगी।
मैंने एक उंगली उसकी चूत में डाल दी और उसकी शर्ट भी निकाल दी।
अब अनुष्का सिसकारियाँ लेने लगी, उसे मज़ा आ रहा था।
मैंने अनुष्का के होंठों को, मम्मों को, उसकी जांघों को, उसकी बाजू को, उसकी नाभि को, उसकी आँखों को, हर जगह किस किया और उसे बहुत हद तक फॉर प्ले किया ता कि वो बहुत ज्यादा उतेजित हो जाए।
मेरे ऐसा करने से उसकी चूत पानी छोड़ने की कगार तक पहुँच गई थी, और ऐसे में वो बहुत तेज सिसकारने भी लगी थी।
अब मैंने अनुष्का के मज़े को दुगना करते हुए आखिर उसकी चूत पे अपनी जीभ रख दी, उसकी गीली चूत से गीला गीला पानी मेरी जीभ पर आया, तो मैंने उसे चाट लिया।
‘उम्हा उन्हा उमाहा…’ करके मैं उसकी चूत चाट रहा था।
मैं हाथ से उसके मम्मे को भी मसल रहा था और अब एक उंगली से उसकी गांड को भी छुआ, उंगली थोड़ी सी उसकी गांड में डाल भी दी थी।
अनुष्का भी इस मौसम और जवानी का मज़ा ले रही थी, वो बोलने लगी ‘आऊ आह आह उई सर आह आह आप बहुत अछे हो उमंह आह आज ले लो मुझे मज़ा दे दे दो ऐसे ही उमंह…’
ऐसे ही वो बोल रही थी, मैं भी उसकी चूत में अपनी जीभ अंदर तक घुसा कर उसकी चूत को कुरेद रहा था।
मैंने देखा कि अनुष्का झड़ने लगी है, अनुष्का ने भी मुझे कस कर पकड लिया था और तेज तेज सिसकारियाँ निकाल रही थी।
तभी मैंने अनुष्का की चूत को समूच किया और उसकी गांड में भी एक उंगली आगे पीछे करने लगा, उसकी चूत के दाने को दांतों से काटने लगा।
अब अनुष्का की जवानी का रस मेरे होंठों पे गिर चुका था, मैंने उसका स्टायल बदल दिया और उसको अपने लंड पे बिठा लिया, अनुष्का मेरा पूरा साथ दे रही थी, हम बीच बीच में बातें भी कर रहे थे।
अनुष्का बोली- सर आप ऊपर आओ!
मैंने कहा- नहीं, तुम ऊपर बैठो, मैं तुम्हारे निप्पल चूसते हुए तुझे मज़ा देता हूँ!
मेरी बात मान कर अनुष्का मेरे लंड पे बैठ गई। अनुष्का की चूत में मैंने जैसे ही लंड डाला तो मैंने पहले दो झटके तो धीरे लगाए। जब तीसरा झटका लगाया तो अनुष्का को थोड़ा दर्द महसूस हुआ तो मैंने उसके होंठ अपने होंठों में ले लिए।
अब अनुष्का की बच्चेदानी तक मेरा लंड जा चुका था, मेरे लंड का हर झटका अनुष्का की बच्चेदानी को छू रहा था।
अनुष्का को भी अब मज़ा आ रहा था, वो खुद अपनी गांड उचका उचका कर मेरा साथ दे रही थी, वो अपनी गांड को कभी ऊपर करती और कभी नीचे।
मैं भी उसे बोल रहा था ‘उन्म्ह… साली… कु.ति.या.. कैसा… लग.. र.हा.. है. आ..ज?
वो बोली- बहुत.. म.ज़ा.. आ.. र.हा. है. जा.नू…
मैंने कहा- ये. ले.. फिर. चु.द सा.ली.. अ.प.ने.. या.र… से… ते.री. .ब.ह.न.. की… चूत.. चो.दुं. तुझे.. क.भी.. दो .दो.. लं.डों.. से.. चु.द.वा.उ.न.. कुति.या.. ते.री.. गां.ड.. औ.र.. चू.त.. में.. ए.क. सा…थ… लं.ड… डा.लू.. ये… चू.त.. ये… ले.. औ.र.. झ.ट…का.. ते.री. .चू.त.. में.. कु.ति.या.. ले.. चु.द.. आ.ह.. उ.ई.. आ.ह. चु.द… चु.द… चु.द.. आ.ह…
अनुष्का भी मजेदार सिसकारियाँ लेती हुई कराहती हुई चुदाई के मज़े ले रही थी और बोल रही थी- उ..ई.. आ.ह. आ.ह.. उई.. चोद.. चो…द.. दो.. आ.ह .लो.. चो.दो.. मे..री .ज.वा..नी .मे.री.. बह.न.. चो.दो. .मे.री.. गां.ड.. और.. चूत.. में .लं.ड.. डा.लो .2.. क्या.. ती.न. .ती.न.. लंड.. डा..ल. दो.. .मेरे..अं.द.र.. लो. मे.री… ज.वा.नी. की.. आ.ग. बु..झा.. दो. मे.रे.. मर्द..उ.ई .अ.ह.. आह.. आ.ह. उ..ई.. ले .चो.द. चो.द.. मे.री. ज.वा.नी. के.. म.र्द. ले.. चो.द .दे.. आज.. अ.प.नी.. कु.ति..या. को.. आ.ह. आ.ह आ.ह. .आः .उ.ई. उ.ई. उई. उ.ई…
अनुष्का इस तरह बोलती हुई चुद रही थी।
एक बार फिर मुझे लगा जैसे अनुष्का की चूत में बाढ़ आ गई हो, मैंने अनुष्का की चूत में जोरदार दो तीन झटके लगाये तो उसकी चूत का पानी मेरे लंड पे निकल गया, आखिर वो फिर झड़ चुकी थी।
मैंने भी लंड को तेजी उसकी चूत में आगे पीछे करना शुरू कर दिया था, आखिर मेरे लंड का दरवाजा भी खुल गया, मेरा लंड रस भी फ़ूट पड़ा, मेरे लंड की पहली धार जैसे ही निकलने लगी तो मैंने तुरंत अपना लंड अनुष्का की चूत से खींचा और उसके मम्मों पे कर दिया, मेरा रस अनुष्का के मम्मों पर गिर रहा था।
अनुष्का मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चाटने लगी थी, मेरा पूरा लंड रस अनुष्का ने चाट चाट कर साफ़ कर दिया।
आखिर हम दोनों चुद चुके थे।
अनुष्का बोली- साले बेशर्म… आज मुझे भी अपने सामने बेशर्म बना ही लिया?
मैंने उसे किस की और कहा- साली अब तो एक साथ काम करने का भी मज़ा आएगा।
ऐसे बातें कारते हुए हम हँसते खेलते एक साथ नहाए और दूसरे दिन इतवार को भी हमने दिन में कई बार चुदाई की तो फिर शाम को अनुष्का अपने पीजी चली गई।

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