मेरा नाम कोमल है. मेरी उम्र अभी 24 साल की है, मैं सूरत की रहने वाली हूँ, मेरा फिगर साइज 34-30-36 है.
मैं कई दिनों से अपनी कहानी बताना चाह रही थी पर किसी वजह से कहानी लिखने का समय नहीं मिल पा रहा था मगर अब मैं नियमित रूप से कहानी भेजा करुँगी. मैं जो भी कहानी यहाँ पर भेजूँगी अपनी ही जिंदगी की भेजूँगी … हमेशा बिल्कुल सच्ची घटना! मैं कैसे बन गई चुदक्कड़
आज आपको पहले मैं अपने बारे में बता दूँ, मैं बहुत एक सामान्य परिवार से हूँ. मेरे घर पर मेरी माँ और एक छोटी बहन है। पिता जी कुछ साल पहले गुजर गए तो घर की जिम्मेदारी माँ और मुझ पर आ गई. मेरी माँ स्कूल में टीचर है उनकी जॉब से हमारा घर बस किसी तरह से चल रहा था।
19 साल की उम्र में मैंने अपनी 12वीं की पढ़ाई पूरी कर ली और कुछ काम की तलाश करने लगी पर मुझे मन का काम नहीं मिल पा रहा था.
पर एक दिन मेरी किस्मत बदल गई, एक शाम को 8 बजे मैं घर जाने के लिए बस स्टॉप पर खड़ी थी, पर कुछ साधन मिल नहीं रहा था. तभी एक कार आकर मेरे बगल में रुकी और कार में सवार आदमी ने मुझसे पूछा- कहीं जाओगी क्या आप?
मैंने ना में अपना सर हिला दिया.
पर उसने बोला- डरो नहीं मुझसे, रात होने को है, अगर कहीं जाना है तो बता दो, नहीं तो कोई बात नहीं!
मैं सोचने लगी कि बात तो सही है कि रात होने वाली है. अब पता नहीं कुछ साधन मिलता भी है या नहीं.
तो मैं बोली- गाँधीनगर जाना है.
वो बोला- मैं वहीं से होकर गुजरूँगा चाहो, तो चल सकती हो.
मैंने ओके कह दी.
उस आदमी की उम्र लगभग 45-50 के बीच रही होगी, मैं पीछे वाली सीट पर बैठ गई.
कुछ दूर जाने के बाद ही उसने मुझसे पूछा- क्या करती हो?
मैं बोली- अभी कुछ नहीं कर रही, अभी बस हायर सेकेंडरी की पढ़ाई पूरी की है।
हम दोनों ऐसे ही बात करते रहे. उसको इतना तो पता चल गया था कि मैं काम की तलाश कर रही हूँ पर उसने कुछ बोला नहीं.
ऐसे ही मेरा घर आ गया और मैं गाड़ी रोकने को बोली. गाड़ी रुकने पर मैं उतर गई और थैंक्स बोली.
उसने मुझे रुकने को कहा और मुझे अपना कार्ड दिया, बोला- अगर काम की जरूरत हो तो मेरे ऑफिस में कुछ जगह खाली हैं, अगर चाहो तो एक बार आकर देख लेना.
मैंने कार्ड लिया और थैंक्स बोल के घर चल दी.
पहले तो मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया पर रात में सोते वक्त उस आदमी की याद आई, मैंने तुरंत उठकर अपने पर्स से कार्ड निकाला, देखा तो किसी सॉफ्टवेयर कंपनी का लग रहा था. मैंने वहां जाने की सोची. मगर अगले दिन रविवार था तो सोमवार को जाने का तय कर लिया. मैं कैसे बन गई चुदक्कड़
सोमवार को मैं जल्दी उठकर तैयार हुई और ऑटो लेकर वहां पहुंच गई. वहां जाकर देखा तो बहुत ही बड़ा और शानदार ऑफिस था.
मैंने वहीं बैठी एक महिला के पास जाकर कार्ड दिखाया तो उसने मुझे 1 नंबर रूम में जाने को कहा.
मैंने रूम के दरवाजे पे जाकर अंदर आने की अनुमति ली अंदर जाते ही देखी तो सामने वही आदमी था। उसने मुझे देखते ही कहा- अरे तुम … आओ आओ बैठो.
मैं बैठ गई उसने कहा- जरूर तुम काम के लिए यहाँ आई होगी?
मैं बोली- जी!
उसने मेरे सभी कागज चेक किये और कहा- मुझे एक सेक्रेटरी की जरूरत है. अगर तुम ये काम कर सको तो तुम्हें काम मिल सकता है. घबराने की जरूरत नहीं है, तुम धीरे धीरे सीख जाओगी.
मैं तुरंत हां बोल दी.
तो उन्होंने कहा- शुरु में तुमको 15 हजार मिलेंगे. बाद में तुम्हारे काम के ऊपर है कि कितना बढ़ाना है.
मैंने ओके बोल दी.
वो बोले- कल से ही आ जाओ!
मैं खुश होकर बोली- जी जरूर!
और फिर मैं घर आ गई, घर में भी सब लोग बहुत खुश थे.
अगले दिन से ही मैं काम पर जाने लगी.
पर मुझे तनिक भी अंदाज़ा नहीं था कि यहाँ से मेरी जिंदगी ही पूरी बदलने वाली थी.
वक्त बीतता गया और 6 महीने कब गुजर गए, पता नहीं चला. अब मैं बॉस का सब काम सीख चुकी थी और पूरी मेहनत से काम करती थी.
कुछ दिनों बाद मुझे कुछ ऐसा पता चला कि मुझे विश्वास ही नहीं हुआ. मुझे पता लगा कि पहले भी कई लड़कियाँ यहाँ काम कर चुकी हैं मगर ज्यादा दिन कोई टिक नहीं सकी.
ऑफिस के कुछ लोगों से पता लगा कि मेरे बॉस कुछ रंगीले टाइप के हैं. पर मेरे साथ अभी तक ऐसा कुछ हुआ नहीं था तो विश्वास नहीं हुआ. मैं अपना काम करती रही. मैं कैसे बन गई चुदक्कड़
जुलाई का महीना चल रहा था. एक दिन रविवार छुट्टी थी मगर बॉस ने कहा- कुछ काम है ऑफिस में तो तुमको आना होगा.
उस दिन मैं घर से ऑफिस की यूनीफॉर्म सफ़ेद रंग की शर्ट और नीले रंग की पैन्ट पहन के निकली तो बाहर बहुत तेज़ बारिश हो रही थी.
मैंने ऑटो लिया और चल दी.
अचानक ऑटो में पानी के कारण कुछ खराबी आ गई, बहुत कोशिश के बाद भी ऑटो स्टार्ट नहीं हुई. मेरा ऑफिस वहां से बस कुछ दूर ही बचा था तो मैंने सोचा कि क्यों न मैं पैदल ही चली जाऊँ.
और मैं जल्दी जल्दी जाने लगी.
मगर बारिश इतनी तेज़ थी कि वहां पहुंचते पहुंचते मैं भीग चुकी थी.
मैं अंदर गई तो बॉस मुझे देख कर बोले- अरे तुम तो पूरी भीग गई. कैसी लड़की हो? कुछ देर रुक जाती कहीं!
मुझे भी समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँँ? यहाँ तो कोई कपड़े भी नहीं थे मेरे पास. Desi Sex Kahani
उस दिन मेरे और बॉस के अलावा और कोई भी ऑफिस में नहीं था.
बॉस ने मुझे एक टॉवल दिया और सर पौंछने को कहा. मैं सर पौंछने लगी.
कुछ देर बाद अचानक मेरी नजर बॉस पे पड़ी तो वो मेरे सीने को घूरे जा रहे थे. तब मैंने देखा कि मेरी सफ़ेद शर्ट गीली होने से मेरी पूरी ब्रा और दूध दिख रहे थे. मैंने तुरंत टॉवल से अपने जिस्म को ढक लिया.
बॉस ने कहा- जाओ अंदर वाले रूम में जाकर कपड़े सुखा लो.
और मैं रूम में चली गई. वहां पंखा चालू किया और अपने कपड़े उतार के टॉवल लपेट ली. मैं उस वक्त पूरी तरह से नंगी थी. अपने गीले कपड़ों को मैंने फैला दिया ताकि कुछ सूख जायें.
मैं वैसे ही टेबल पर बैठ गई.
अचानक दरवाजे पे आवाज हुई, मैं बोली- जी सर?
बाहर बॉस थे, वो बोले- अंदर एक फाइल है, वो चाहिए.
मैंने डरते डरते दरवाजा खोला. बॉस मुझे बहुत वासना भारी निगाह से देख रहे थे और मैं सर झुका के खड़ी थी.
वो अंदर आये और मेरे कपड़ों को देखा, फिर फाइल देखने लगे और फाइल लेकर चले गए.
वो मेरे कपड़े देख कर इतना तो जान चुके थे कि मैं पूरी नंगी हूँ क्योकि मेरी ब्रा और चड्डी वहीं सूख रही थी.
कुछ देर बाद बॉस की आवाज आई- क्या कर रही हो? काम भी तो करना है. मैं अकेला क्या क्या करूँ यहाँ?
तो मैं बोली- मैं कैसे आऊँ … कपड़े अभी गीले हैं.
वो बोले- तो क्या हुआ … टॉवल लपेटे ही आ जाओ. यहाँ कौन है तुमको देखने वाला!
मैं डरते डरते वहां गई. बॉस सोफे में बैठे हुए लेपटाप में काम कर रहे थे. मुझे बोले- जल्दी यहाँ आकर बैठो और इस फाइल में जो लिखा है, उसको बताओ, मैं सब जल्दी से इसमें लोड कर दूँ. मैं कैसे बन गई चुदक्कड़
मैं उनकी बगल में डरती हुई बैठ गई और फाइल को अपनी गोद में रख के उनको सब बताने लगी.
बॉस तिरछी नज़र से मेरे गोरी चिकनी जांघों को देख रहे थे, मुझे बहुत शर्म आ रही थी. मैं बार बार टॉवल को ठीक करती जा रही थी कि कहीं अचानक टॉवल खुल न जाये.
तभी मेरी नजर बॉस की पैन्ट पर गई, वहाँ उनका लड़ बिल्कुल टाईट था क्योंकि मुझे उभार नजर आ रहा था. मैंने कभी चुदाई नहीं की थी मगर इतना तो सब पता ही था मुझे!
उसी समय बॉस ने अपनी टांग मेरे टांग से सटा दी, मैं बिल्कुल सन्न् रह गई मगर कुछ नहीं बोली. मेरे कुछ ना कहने का फायदा लेकर वो और मुझसे सट कर बैठ गए. अब मुझे बहुत बुरा लग रहा था. मगर पता नहीं क्यों मेरे अंदर कुछ अज़ीब सा हो रहा था, बॉस की मंशा जानकर मेरी चूत में कुछ गीला गीला महसूस हो रहा था.
करीब बीस मिनट बाद बॉस ने लेपटाप बंद किया और बोले- आज तो कोई है नहीं, जाओ तुम ही चाय बना लाओ.
मैं उठी और बाहर किचन में जाकर चाय बनाने लगी.
चाय बना कर जब मैं लौटी तो बॉस वहां नहीं थे. मुझे कुछ अज़ीब लगा. टेबल पर चाय रख कर मैं अंदर वाले रूम में गयी, देखा तो बॉस वहां मेरे कपड़े देख रहे थे.
मैंने गौर से देखा तो उनके हाथ में मेरी चड्डी थी.
मैं तुरंत वापस आ गई और डर कर सोफे में बैठ कर बॉस को आवाज लगाई- सर चाय बन गयी है.
वो तुरंत आ गए और मेरी बगल में बैठ गए.
इस घटना से मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था. मैंने डरते डरते बॉस को चाय दी. हम दोनों चाय पीने लगे.
उन्होंने अचानक कहा- कोमल, तुम बहुत सुन्दर हो!
मैं कुछ नहीं बोली, बस थोड़ा मुस्कुरा दी.
उन्होंने चाय पीकर कप टेबल पर रखा और अपना एक हाथ मेरी जांघ पर रख दिया. मैंने तुरंत उनका हाथ हटा दिया.
तो वो बोले- क्या हुआ?
मैं शांत थी, वो मेरे और करीब आ गए, मुझे अलग सा महसूस हो रहा था. मैं कैसे बन गई चुदक्कड़
उन्होंने मेरा एक हाथ पकड़ते हुए कहा- कोमल, मैं तुमसे एक बात कहना चाहता हूँ.
मैं बोली- जी सर, कहिये क्या बात है?
वो बोले- क्या तुम अपनी इस जॉब से खुश हो?
तो मैंने हां में सर हिला दिया.
वो बोले- अगर तुम्हारी नौकरी पक्की कर दी जाये तो कैसा रहेगा?
मैं बोली- ये तो आपके ऊपर है सर, मैं क्या कह सकती हूँ.
तो वो कहने लगे- मेरे ऊपर नहीं … ये तुम्हारे ऊपर है कि तुम क्या चाहती हो, पक्की नौकरी या टाइम पास नौकरी?
मैं बोली- वो कैसे?
वो मेरा हाथ दबाते हुए बोले- अगर जैसा मैं कहूँ, तुम वैसा करने को राजी हो जाओ तो कल से ही तुम्हारी नौकरी यहाँ पर पक्की समझो.
मैं सब कुछ समझ रही थी मगर फिर भी पूछ लिया- क्या करना होगा मुझे सर?
तो वो बिना किसी शर्म के बोले- तुमको मेरे साथ सेक्स करना होगा.
मैंने तुरंत अपना हाथ उनसे छुटा लिया और बोली- मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ सर! ये सब मैं नहीं कर सकती. वैसे भी आप और मुझमें उम्र का काफी फर्क है. आप ऐसा सोच कैसे सकते हैं.
वो बोले- ये सब उम्र की बात मैं नहीं मानता. और मेरी एक बात समझ लो कोमल … अगर जिंदगी में आगे बढ़ना है तो कहीं ना कहीं तो समझौता करना ही होगा. मैं तुमको जोर जबरदस्ती से नहीं कह रहा हूँ, जो भी होगा तुम्हारी और मेरी मर्जी से होगा. और हां … इस बात का कभी किसी को पता तक नहीं चलने दूँगा मैं. और तुमको हर तरह से हेल्प भी करूँगा. तुम और तुम्हारा परिवार एक अच्छी जिंदगी जी सकते हो. सोच लो!
इतना कह कर वे उठे और बोले- मैं बाहर से एक सिगरेट पीकर आता हूँ. अगर तुमको मेरी बात मंजूर है तो रुकना … नहीं तो कपड़े पहन के चली जाना, मैं बुरा नहीं मानूँगा. जैसा अभी तक चल रहा है, सब वैसा ही चलता रहेगा.
और वो इतना कह कर चले गए।
मैं अकेली बैठी सोच रही थी कि क्या करूँ? मन में आया कि चली जाऊँ और मैं उठ के कपड़ों के पास गई.
तभी मेरे मन में आया कि अगर मैंने बॉस की बात नहीं मानी तो वे कुछ दिनों में मुझे नौकरी से निकाल देंगे. तो पता नहीं फिर नौकरी मिलती है या नहीं? और घर की हालत भी ठीक नहीं है. छोटी बहन की पढ़ाई को भी देखना है. अगर मैं बॉस की बात मान लेती हूँ तो घर और अच्छे से चल सकता है. और कभी न कभी किसी के साथ तो सेक्स करना ही है. रब मैंने फैसला कर लिया कि मैं अपने आप को बॉस को सौम्प दूँगी. मैं कैसे बन गई चुदक्कड़
और मैं वापस आकर सोफे में बैठ गई.
कुछ देर में बॉस आये, आते ही मुझे देख कर उनके चेहरे पे एक मुस्कान आ गई, वो बोले- तुम गई नहीं, मतलब तुम तैयार हो?
मैं उनकी तरफ देख कर बोली- हां! पर आपको पहले मेरी नौकरी पक्की करनी होगी.
वो बोले- हां बिल्कुल … कल ही!
दोस्तो, आगे क्या हुआ मेरी जवानी के साथ … वो मैं अपनी कहानी के अगले भाग में बताऊँगी.
मैं कैसे बन गई चुदक्कड़-2
मैं वैसे ही टॉवल लपेटे सोफे में बैठी थी और बॉस भी आकर मेरे बगल में बैठ गए.
अब मैं बिल्कुल शांत बैठी थी, वो अपने दोनों हाथों से मेरे चेहरे को पकड़ के बोले- वाह, कितनी सुन्दर हो तुम कोमल!
मैंने अपनी आँखें बंद कर ली.
उन्होंने अपने होंठ मेरे काम्पते हुये होंठों पर रख दिए, मेरे तो पूरे जिस्म में करंट सा दौड़ गया. वो मेरे गुलाबी होंठ बहुत प्यार से चूस रहे थे और एक हाथ से मेरी चिकनी जांघ को सहला रहे थे.
आज पहली बार किसी मर्द ने मेरे जिस्म को छुआ था. मेरे पूरे जिस्म में अज़ीब सी हलचल मची हुई थी. वो अहसास शायद ही जिंदगी में कभी भूल पाऊँ!
वो बेइंतहा मेरे होंठों को चूसते जा रहे थे. मेरी सांस बहुत जोरों से चल रही थी.
तभी बॉस ने मुझे खड़े किया और अपनी शर्ट उतार दी. मैंने जैसे ही उनका सीना देखा तो डर गई. उनके पूरे सीने में घने बाल थे और उनके पूरे शरीर पर भी बाल ही बाल थे.
वो बोले- क्या हुआ? क्या देख रही हो?
“कुछ नहीं … मैंने कभी ऐसा नहीं देखा.”
तो वो हँसते हुए बोले- अब देख लो मेरे शरीर को!
उनके शरीर के सामने तो मैं बिल्कुल बच्ची लग रही थी.
अब वो बोले- लाओ जरा तुम्हारा जिस्म भी तो देखें कि अंदर से तुम कितनी सुन्दर हो.
यह कहते हुए उन्होंने एक झटके में मेरे जिस्म से टॉवल खींच दिया.
मैंने अपनी आँखें बंद कर ली.
मेरे गोरे जिस्म को देख कर एकदम से बॉस बोले- वाह … तुम तो अंदर से एकदम मलाई हो!
मैं एकदम नंगी उनके सामने खड़ी थी. मेरा फिगर 34-30-36 है, वो ऊपर से नीचे तक मुझे देखे जा रहे थे.
अचानक बॉस ने मेरा हाथ पकड़ के अपनी बांहों में ले के लिपटा लिया. उनके शरीर का स्पर्श पाकर मेरे मुँह से आह निकल गई. वो मुझे बेदर्दी से हर जगह चूमने लगे. उनका शरीर बहुत भारी था 90 किलो से कम तो नहीं रहा होगा. और तब मैं मात्र 51 किलो की थी. मैं कैसे बन गई चुदक्कड़
उनके अंदर गजब की ताकत थी, अपने मोटे सख्त बाजुओं से बॉस ने मुझे जकड़ रखा था. उन्होंने मुझे अब सोफे पे लिटा दिया और मेरी गोरी जांघों को फैला दिया.
मैं अपनी आँख बंद किये हुए थी.
मेरी कुंवारी बुर को देख कर वे बोले- बाप रे … इतनी छोटी सी बुर है तेरी, कैसे ले पायेगी मेरे इस लंड को?
उन्होंने अपनी पैन्ट और चड्डी को उतार दिया, बोले- जरा आँखें तो खोल!
जैसे ही मैंने आँखें खोली, उनका विशालकाय लंड देख कर मेरी आँखें फटी सी रह गई. काला सा मोटा सा 8 इंच का लंड मेरे सामने था.
फिर पता नहीं क्या हुआ कि वो बोले- चल आज तुझे नहीं चोदता, 2 दिन बाद मुझे ऑफिस के काम से बाहर जाना है. तब तू भी चलना साथ में, वहां मजा करेंगे.
और मुझे कपड़े पहनने को कह कर उन्होंने अपने भी कपड़े पहने और फिर मुझे अपनी कार से घर छोड़ने चल दिए.
पूरे रास्ते मैं बस यही सोच रही थी कि ऐसा क्या हुआ जो बॉस ने मुझे गर्म करने के बाद भी नहीं चोदा.
घर पहुंच कर उन्होंने माँ से मुझे साथ ले जाने की इजाजत ले ली और खुशखबरी भी दे दी कि मुझे नौकरी में पक्का कर दिया है और मेरी सैलरी अब 40000 कर दी है.
मेरे घर पर सभी बहुत खुश थे. मगर उनको क्या पता था कि मैं आज अपने आप को बेच कर आई थी।
2 दिन बाद हम दोनों वायुयान से गोवा चले गए.
वहाँ जाकर उन्होंने बताया- यहाँ कोई काम से नहीं आये हैं हम … यहाँ बस मैं तुझे चोदने के लिए लाया हूँ.
वहाँ 5 सितारा होटल में बहुत आलीशान रूम लिया.
फिर वे मुझे होटल के पास ही एक पार्लर ले गए और मुझे वहाँ फुल बॉडी हेयर रिमूवल करने को बोला. पार्लर में उन्होंने 5000 रुपये दिए. करीब 2 घंटे बाद मैं पार्लर से निकली और सीधा होटल चली गई.
वहां सर मेरा इन्तजार कर रहे थे.
बॉस ने मुझे नहाने को बोला और मैं बाथरूम में चली गई. वहां जब मैंने अपने कपड़े उतारे, तब सामने लगे शीशे में अपने आपको देख कर दंग रह गई. मेरी पूरी बॉडी दूध जैसी चमक रही थी.
अब मैं समझी कि वो मुझे पार्लर क्यों ले के गए.
मैं अच्छे से नहा कर बाहर निकली तो उन्होंने पहले से ही मेरे लिए एक खास ड्रेस लेकर रखी थी, ब्लू कलर की वो छोटी सी ड्रेस पहन के मैं तैयार हो गई.
फिर हम दोनों ने बाहर जाकर रेस्टोरेंट में खाना खाया, उस ड्रेस में सभी लड़के मुझे ही घूर रहे थे, मैं बहुत असहज महसूस कर रही थी. सभी की निगाह मेरी मोटी गोरी नंगी जांघों पर ही जा रही थी.
खाना खाकर हम दोनों रात करीब 8 बजे वापस होटल आ गए.
रूम में आकर बॉस ने रूम का दरवाजा लॉक किया और रूम का ए सी फुल कर दिया. कुछ ही देर में पूरा रूम बिल्कुल ठंडा हो गया. रूम का जो पलंग था वो इतना बड़ा था कि कई लोग उस पर सो सकते थे. और इतना गद्देदार कि क्या बताऊँ … आज तक इतने अच्छे पलंग पर मैं कभी नहीं सोई. उस पर लाल रंग की चादर बिछी थी और पूरे रूम में एक मादक गंध फैल रही थी जिससे माहौल पूरा सेक्सी हो रहा था. मैं कैसे बन गई चुदक्कड़
मैं यही सब देख रही थी कि तभी सर बाथरूम से बाहर आये. वो एक पिंक कलर की नाईट ड्रेस पहने थे जो सामने से पूरी खुली थी और एक डोरी से बंधी हुई थी. ऐसी ड्रेस मैंने पहले फिल्मों में ही देखी थी.
सर मेरे पास आये और मेरे कंधों पर दोनों हाथ रख कर बोले- आज तैयार हो ना जान?
मैंने बस हां में अपना सिर हिला दिया।
वो मेरी गोरी मोटी बांहों को सहला रहे थे और ऐसे ही प्यार से मुझे लेकर पलंग पर बैठ गए और मेरे गोरे गाल को सहलाते हुए बोले- जानती हो कि मैं तुमको उस दिन ऑफिस में क्यों नहीं चोदा?
मैं बोली- नहीं … मैं यही सोच रही थी कि आपने क्यों नहीं किया मुझे नंगी करने के बाबजूद?
तो उन्होंने कहा- जान, मैंने जब तुमको नंगी किया और देखा कि तुम तो बिल्कुल कुंवारी हो और तुम्हारी बुर इतनी छोटी है कि तुमको वहां चोदता तो तुम सह नहीं पाती. और मैं तुमको बहुत अच्छे से चोदना चाहता था क्योंकि आज तक मैंने किसी कुंवारी लड़की की सील नहीं तोड़ी है. और जल्दबाजी में मैं तुमको नहीं चोदना चाहता था. इसलिए तुमको यहाँ लेकर आया हूँ.
ऐसा कहते हुए उन्होंने मेरे होंठों पे अपने होंठ रख दिए और उनको चूसने लगे।
उन्होंने मेरी ड्रेस उतार कर फेंक दी. अब मैं केवल चड्डी में थी क्योंकि उस ड्रेस के साथ ब्रा नहीं पहनी थी.
उन्होंने मेरे दोनों बड़े बड़े दूध को दोनों हाथ से सम्हाला और मेरे गुलाबी निप्पल को चूसने लगे. ऐसा करने से मेरे जिस्म में एक अलग ही तरंग फैल गई, वो बहुत जोर जोर से दूध दबा रहे थे. जिससे मुझे दर्द हो रहा था और मैं आआअ आह आअ आआउम्मआ आआआ किये जा रही थी. Antarvasna
उन्होंने भी अपना लबादा उतार फेंका. वो अंदर से बिकुल नंगे थे, उनका काला मोटा लंस फनफना के सामने आ गया. उसको देख मैं यही सोच रही थी कि ये कैसे मेरे अंदर जा पायेगा. आज पता नहीं मेरा क्या होगा।
इतने में सर ने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और बिस्तर पर लिटा दिया. उनके वजन से मैं दबी जा रही थी. मैं भले कद काठी में अच्छी थी मगर वो मुझसे काफी ज्यादा मोटे और ताकतवर थे
वो मेरे होंठ को अपने दांतों से मसल रहे थे.
मैं भी अपने दोनों हाथ उनकी पीठ पर रख कर साथ देने लगी, उनकी पीठ पर भी बहुत बाल थे. उनका लोहे जैसा गर्म लंड मेरी जांघों को सहला रहा था. वो मेरे होंठ और गालों को पागलों की तरह चूम रहे थे. बॉस एक हाथ से मेरे दूध के निप्पल को दबाने लगे जिससे मैं बहुत ही तेजी से चिल्लाई- उईईईई उईई ईईई!
अब मैं भी गर्म होती जा रही थी और धीरे धीरे मेरी दोनों जांघें अपने आप फैल गई और उनका लंड मेरी चड्डी के ऊपर से मेरी बुर में टिक गया. मेरी बुर से भी पानी निकल रहा था और चड्डी गीली हो गई थी.
वो एकदम से उठे और मेरे जांघों के बीच में बैठ कर मेरी चड्डी निकाल दी. अब मैं पूरी नंगी थी. वो मेरी बुर में हाथ रख कर सहलाने लगे और मेरी बुर की लाइन को उंगली से फैला कर बुर के छेद को देखा और बोले- वाह … क्या मस्त बुर है तुम्हारी मेरी रानी! आज मजा आ जायेगा. मैं कैसे बन गई चुदक्कड़
और फिर अपने होंठ मेरी बुर में रख दिए.
कसम से मेरी आह निकल गई.
वो अपनी जीभ से मेरी मुलायम चुत को चाटने लगे. मैं तो बिना पानी की मछली की तरह पूरे बिस्तर पे मचलने लगी. मेरे मुँह से बस आआ आअह्ह आअह्ह ऊऊईई ईईई निकल रहा था. 5 मिनट के बाद अचानक मेरे अंदर से एक झटका सा लगा और मेरी बुर ने पानी छोड़ दिया. मैं सुस्त हो गई पर वो रुके नही और पूरी बुर चाट के साफ़ कर दी.
मेरे बॉस बुर फैला के जीभ से छेद को चाटने लगे, कुछ ही देर में मैं फिर से गर्म हो गई. वो मुझे अभी भी पागलों की तरह चूम-चाट रहे थे.
करीब आधे घंटे तक यही सब चलता रहा और तब जाकर वो मेरी बुर के पास से उठे और अपना घोड़े जैसा लंड दिखा कर बोले- अब मैं तुझे चोदने वाला हूँ.
वे मेरे ऊपर आ गए और एक हाथ से लंड को बुर में रगड़ने लगे. उनका 3 इंच मोटा लंड था, उनके सामने मेरी बुर कुछ नहीं थी.
सर ने मुझे जोर से अपनी बांहों में कस लिया और अपने होंठों से मेरा मुँह बंद कर दिया। वे अपना एक हाथ नीचे ले गए और लंड पकड़ के मेरी बुर पे रगड़ने लगे. उनका लंड इतना गर्म था कि क्या बताऊँ … उनके लंड का सामने का भाग काफी मोटा था. वो मेरी गुलाबी बुर को लंड से दबा दबा के रगड़ रहे थे.
मेरी बुर अब बिल्कुल गीली हो गई थी, वो अब चोदने वाले थे. उन्होंने अपने पैरों से मेरी जांघों को दबा लिया और दोनों हाथ को मेरी पीठ पे ले जाकर मुझे अपने सीने से चिपका लिया. अब मैं बिल्कुल भी हिल नहीं पा रही थी.
उन्होंने अपना लंड मेरी नाजुक नन्ही बुर के छेद में लगाया. मैंने जोर से अपनी आँख बंद कर ली क्योंकि मैं जान गई थी कि अब वो काला मोटा लंड मेरे शरीर के अंदर जाने वाला है।
उन्होंने मेरे होंठों को आजाद कर दिया. शायद वो मेरी चीख सुनना चाहते थे.
अब उन्होंने अपनी कमर को थोड़ा ऊपर किया, मैंने कस के उनको पकड़ लिया. उन्होंने जोर से एक धक्का लगाया मगर लंड छिटक के मेरे पेट की तरफ आ गया. उन्होंने फिर से लंड मेरी बुर में लगाया और फिर धक्का दिया. मगर बुर इतनी टाईट थी कि फिर वो छिटक के मेरी जांघ की तरफ चला गया।
पर वो भी बहुत माहिर थे एक हाथ से लंड को बुर में सेट किये और वैसे ही एक जोरदार धक्का लगा दिया।
लंड का मोटा सुपारा मेरी बुर के छेद को फाड़ता हुआ अंदर घुस गया।
मैं एकदम से चिल्लाई- उईईई ईईईईई आआआ आआआअह्ह्ह ह्ह्ह!
मेरी आँखों के सामने अन्धेरा छा गया, इतना तेज़ दर्द हुआ मुझे … मैं जोर जोर से चिल्लाने लगी- नहीं, मत करो, मत करो, नहीं जा रहा है! छोड़ दो मुझे! मैं मर जाऊँगी.
मगर वो कहाँ मानते … अपने कमर की पूरी ताकत लगा दी और उनका लोहे जैसा लंड बुर को चीरता हुआ आधा अंदर चला गया. अचानक हुए इस हमले को मैं सह नहीं सकी और जोर जोर से चिल्लाते हुए रोने लगी. मेरी आँखों से आंसुओं की तेज़ धार निकल रही थी.
मैं बस ‘आआआ आआअ नही नहीं नहीं … छोड़ दो मुझे … भगवान के लिए निकाल लो!’ यही कहती जा रही थी.
मगर वो नहीं माने और एक और धक्का दे दिया. लंड मेरी बुर को चीरता हुआ पूरा का पूरा अंदर घुस गया और सीधा मेरे बच्चेदानी से टकराया. मैं उनसे छूटने की पूरी कोशिश कर रही थी मगर उनकी ताकत के सामने मैं कुछ भी नहीं थी. मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कोई गर्म चाकू मेरी बुर में डाल दिया गया हो. मेरा पूरा शरीर दर्द से काम्प रहा था। मैं कैसे बन गई चुदक्कड़
वो ऐसे ही मेरे ऊपर लेटे रहे. मैं उनके शरीर के नीचे दबी थी और कुछ भी नहीं कर पा रही थी.
करीब 15 मिनट के बाद मुझे दर्द से कुछ आराम मिला। मगर अभी भी दर्द हो रहा था. हम दोनों कुछ भी नहीं बोल रहे थे, बस वो मेरे ऊपर लेटे हुए थे।
अब उन्होंने अपना लंड आराम से बाहर किया, तब मुझे कुछ अच्छा लगा.
मैंने चादर को देखा तो मेरी बुर से निकला खून लगा था. मैं डर गई कि ये क्या हुआ.
तो वो बोले- ऐसा पहली बार होता ही है. आज तुम्हारी बुर फटी है. अब आज से तुमको कभी तकलीफ नहीं होगी, आज से बस तुम चुदाई का मजा लो.
इतना कह कर वो फिर मेरे ऊपर लेट गए और फिर से लंड अंदर डालने लगे. लंड बुर में एकदम टाईट था अभी भी मुझे दर्द हो ही रहा था. मेरे बॉस ने पूरा लंड फिर अंदर किये और अब धीरे धीरे मुझे चोदना शुरु कर दिए. लंड बुर से बिल्कुल चिपक के अंदर बाहर हो रहा था। मैं आअह आअह उम्म्ह… अहह… हय… याह… अह्ह ऊऊऊ उईई ईईई उफ अह कर रही थी. वो बस मुझे चोदे जा रहे थे.
धीरे धीरे उनके झटके तेज़ होते जा रहे थे, अब मेरा दर्द कुछ मजे में बदल रहा था. मेरे हाथ अपने आप उनकी पीठ पर चले गए और मैंने अपने नाख़ून पीठ पे गड़ा दिए. वो भी समझ गए और अपने धक्के तेज़ करते गए. मेरी चिल्लाने की आवाज अब सिसकारी में बदल गई. अपने आप मेरी गांड ऊपर उठने लगी. उन्होंने धीरे से अपने दोनों हाथ मेरे गांड के नीचे लगा दिए और मेरी गांड को कस के पकड़ के तेज़ी से धक्के मारने लगे.
अब मुझे मजा आ रहा था, मेरी बुर से फच फच की आवाज़ आने लगी. उनका पूरा लंड मेरे अंदर तक जा रहा था और हर चोट में बच्चेदानी से टकरा रहा था. मुझे इतना ज्यादा मजा मिलने लगा कि अभी कुछ समय पहले के जानलेवा दर्द को भूल गई.
अब वो अपनी पूरी ताकत से मुझे चोदने लगे, मैं उनसे चिपक गई और झड़ गई. वो भी 30-40 धक्कों के बाद झड़ गए और अपना पूरा माल मेरी बुर में भर दिया और मेरे ऊपर ही लेट गए.
करीब आधे घंटे के बाद उनका लंड एक बार फिर से टाईट हो गया और हम दोनों ने फिर से चुदाई शुरु कर दी. इस खेल में अब मुझे भी मजा आ रहा था, मैं भी उनका पूरा साथ दे रही थी. मैं कैसे बन गई चुदक्कड़
चुदाई करते करते कब सुबह हो गई, पता नहीं चला. हम दोनों ही बहुत थक चुके थे. 4 बार चुदाई से मेरा पूरा बदन दर्द कर रहा था.
ऐसे ही हम दोनों नंगे चिपक के सो गए.