पापा का ट्रांसफर कुछ समय पहले ही लखनऊ में हुआ और जब पापा का ट्रांसफर हुआ तो पापा को लखनऊ में घर ढूंढने में उनके दोस्त ने मदद की। हम लोग अब लखनऊ में आ चुके थे और जब हम लोग अपना सामान शिफ्ट कर रहे थे तो उस वक्त पापा के दोस्त मोहन अंकल भी घर पर आए हुए थे उन्होंने भी हमारी काफी मदद की और हम लोगों ने अपना सामान शिफ्ट कर लिया था।
जब हम लोगों ने अपना सामान शिफ्ट कर लिया तो उसके बाद मैं अपने लिए नौकरी की तलाश करने लगा मैं चाहता था कि मैं कोई पार्ट टाइम नौकरी कर लूँ क्योंकि मेरा कॉलेज पूरा हो चुका था और मैं अपनी प्रशासनिक परीक्षा की तैयारी कर रहा था इसलिए मैं चाहता था कि मैं अपने खर्चे खुद ही उठाऊँ। पापा पर मैं किसी भी प्रकार का बोझ नहीं बनना चाहता था इसलिए मैंने एक पार्ट टाइम नौकरी करनी शुरू कर दी मैं हर रोज वहां पर जाया करता था।
मैं जब भी शाम के वक्त अपने काम से वापस लौटता तो मुझे अक्सर एक लड़की दिखाई देती थी जो कि हमारी कॉलोनी में ही रहती थी मैं उसे जब भी देखता तो मुझे उसे देख कर बहुत अच्छा लगता और वह भी मुझे देखकर अक्सर मुस्कुरा दिया करती थी लेकिन मैं उसके बारे में कुछ जानता नहीं था।
हम लोगों को वहां पर रहते हुए करीब 3 महीने हो चुके थे 3 महीने बीत जाने के बाद मैं भी अब कुछ लोगों को वहां पर जानने लगा था। हमारे कॉलोनी के बाहर ही एक दुकान है मैं अक्सर शाम के वक़्त वहां पर थोड़ी देर रूक जाया करता था। एक दिन मैं दुकान पर ही खड़ा था तब मुझे वही लड़की वहां से गुजरती हुई दिखाई दी मैंने दुकान वाले से पूछा कि तुम इस लड़की को जानते हो तो मुझे लगा कि यह तो महिमा है और हमारी कॉलोनी में ही रहती है।
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मुझे उसका नाम पता चल चुका था अब मैं चाहता था कि किसी भी प्रकार से मैं महिमा से बात करूं और उसके नजदीक आने की कोशिश करूं लेकिन यह सब इतना आसान होने वाला नहीं था उसके लिए मुझे कई पापड़ बेलने पड़े।
महिमा के पिताजी बहुत ही सख्त मिजाज हैं और वह महिमा पर पूरी तरीके से नजर रखते हैं कई बार तो महिमा के भैया ही उसे उसके ऑफिस तक छोड़ने के लिए जाया करते हैं। जिस दिन मेरी छुट्टी होती है उस दिन मैं भी महिमा के पीछे पीछे चला जाया करता एक दिन मुझे मौका मिल गया था उस दिन महिमा बस से ही घर वापस लौट रही थी और जब वह वापस लौट रही थी तो मैंने उस दिन बस में महिमा से बात की।
मैंने महिमा से कहा कि मैं आपको अपनी कॉलोनी में आते जाते देखता हूं महिमा ने मुझसे पहले तो कोई बात नहीं की फिर उसने मुझसे कहा कि मैंने भी तुम्हें एक दो बार कॉलनी में देखा है। मेरे लिए तो यह बहुत ही सुकून भरा पल था कि कम से कम महिमा को यह तो पता है कि मैं उस कॉलोनी में रहता हूं उसके बाद हम दोनों के बीच बातें होने लगी थी लेकिन महिमा मुझसे कम ही बातें किया करती थी।
मेरे पास महिमा का कोई नंबर तो नहीं था लेकिन मैं उसे उसके ऑफिस से फ्री होने के बाद अक्सर मिल जाया करता था हम लोगों की बातें कभी कबार फेसबुक चैट के माध्यम से हो जाया करती थी।
एक दिन मैंने महिमा से उसका नंबर लिया तो महिमा ने मुझे अपना नंबर दे दिया अब हम लोग फोन पर भी बातें करने लगे थे धीरे-धीरे हम दोनों एक दूसरे से कुछ ज्यादा ही बातें करने लगे थे जिस दिन भी हम दोनों एक दूसरे से बातें नहीं करते या फिर मिलते नहीं थे तो हमें बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता जो हाल मेरा था वही हाल महिमा का भी था।
एक दिन महिमा ने मुझसे कहा कि हम लोग आज मूवी देखने के लिए चलते है महिमा को मूवी देखने का बड़ा शौक था तो महिमा से मैंने कहा कि क्यों नहीं। महिमा जैसे ही ऑफिस से फ्री हुई तो हम दोनों मूवी देखने के लिए साथ में चले गए मैं महिमा के साथ मूवी देख कर बहुत खुश था क्योंकि मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि महिमा के मैं इतना करीब आ जाऊंगा की महिमा मुझसे इतनी बात करने लगेगी।
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महिमा मुझे अपना सबसे करीबी दोस्त मानने लगी थी और मैं महिमा के साथ बहुत ही खुश था उस दिन हम लोगों ने मूवी देखी और फिर हम लोग घर वापस लौट आए। महिमा को जब भी कहीं जाना होता तो वह मुझे कह देती थी और अब ऐसा ही चलने लगा था।
एक दिन मैं फोन पर बात कर रहा था तो पापा मेरे रूम में आए और कहने लगे की आकाश बेटा तुम किस से बात कर रहे हो मैंने पापा से कुछ नहीं कहा और मैंने तुरंत ही फोन काट दिया पापा मेरे साथ बैठे और वह कहने लगे कि आकाश बेटा तुमने आगे क्या सोचा है।
मैंने पापा से कहा कि पापा मैं तो अभी अपनी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा हूं और मैं चाहता हूं कि किसी भी तरीके से मेरा सरकारी विभाग में सिलेक्शन हो जाए। वह कहने लगे कि ठीक है बेटा तुम मेहनत करते रहो जरुर तुम्हारा सिलेक्शन हो जाएगा मैं और पापा साथ में ही बैठे थे फिर पापा चले गए।
मैंने दोबारा से महिमा को फोन किया तो महिमा ने फोन उठा लिया था और मैं महिमा से बात करने लगा कुछ देर हम लोगों ने फोन पर बात की फिर मैं सो गया। मुझे काफी नींद आ रही थी हम लोग देर रात तक फोन पर बात करते रहे, अभी तक हम लोगों ने एक दूसरे से अपने दिल की बात का इज़हर नहीं किया था लेकिन फोन पर हम लोग काफी देर तक बातें किया करते थे हम दोनों को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि पहले किसे बोलना चाहिए। महिमा के दिल में भी मेरे लिए प्यार उमड़ने लगा था और मैं तो महिमा को पहले से ही पसंद करता था।
एक दिन महिमा ने मुझे प्रपोज किया तो मैं बहुत खुश हो गया मेरे लिए तो इससे ज्यादा खुशी कुछ हो ही नहीं सकती थी। मैं और मेरी माहिमा एक दूसरे को अक्सर मिला करते जब भी हम दोनों एक दूसरे को मिलते तो हम दोनों एक दूसरे के साथ समय बिताया करते लेकिन मैं महिमा के यौवान को अपना बनाना चाहता था और उसके लिए मैंने एक दिन उसे अपने घर पर बुला लिया।
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जब वह घर पर आई तो उस समय पापा ऑफिस गए हुए थे और मां भी घर पर नहीं थी मां अपनी सहेली के घर गई हुई थी इसलिए महिमा और मैं ही घर पर अकेले थे। हम दोनों को बहुत ही अच्छा मौका मिल चुका था पहली बार जब मैंने उसके होंठों को चूमा तो वह मुझे कहने लगी आकाश तुम बड़े अच्छे से किस कर रहे हो।
हम दोनों की फोन पर भी अक्सर ऐसी बातें होती रहती थी लेकिन मैंने कभी भी उसके साथ सेक्स करने के बारे में सोचा नहीं था लेकिन मुझे मौका मिल गया था। मै उसके होठों को अच्छे से चूम रहा था मैंने उसके होठों को से खून निकाल दिया था अब वह उत्तेजित होने लगी थी ।
मैंने उसे कहा तुम अपने कपड़े उतार दो उसने मेरे सामने अपने कपड़े उतारे जब मैने उसका नंगा बदन देखा तो मैं अपने लंड को हिलाने लगा मेरा लंड देखकर वह मेरे पास आई जब उसने मेरे लंड को अपने हाथ से छुआ तो वह कहने लगी तुम्हारा लंड कितना मोटा है। मैंने उसे कहा इसे तुम्हें अपनी चूत के अंदर लेना है वह खुश हो गई और कहने लगी क्या मैं तुम्हारे लंड को अपनी चूत मे ले पांऊगी। मैंने उसे कहा क्यों नहीं जब मैंने उसे अपने लंड को सकिंग करने के लिए कहा तो वह उसे अपने मुंह में लेने लगी और उसे बहुत मजा आने लगा।
वह मेरे लंड को अपने मुंह में ले रही थी मुझे बहुत अच्छा लगा और काफी देर तक उसने मुझे मजे दिए जब मेरी गर्मी बढ़ने लगी तो मैंने उसके बूब्स को अपने हाथों से दबाना शुरू किया। उसके बूब्स को मैंने अब अपने मुंह में ले लिया उसके निप्पलो को जब मैं अपने मुंह में लेकर चूसने लगा तो वह मुझे कहने लगी आकाश तुम जब मेरे निप्पलो को चूस रहे हो तो मेरी चूत से एक अलग ही प्रकार की गर्मी पैदा हो रही है।
मैंने जब उसकी चूत पर अपनी उंगली को लगाया तो उसकी चूत से कुछ चिपचिपा सा बाहर की तरफ आ रहा था मैंने उसके पैरों को चौड़ा करते हुए उसकी योनि पर अपनी जीभ को लगाया और उसकी योनि को चाटना शुरू कर दिया।
मैंने उसकी योनि को बहुत देर तक चाटा और उसके बाद तो वह इतनी ज्यादा उत्तेजित हो गई कि वह रह नहीं पाई वह मेरे लंड को लेने के लिए बहुत तड़पने लगी थी।
मैंने अपने लंड पर तेल की मालिश करते हुए उसकी मुलायम और कोमल चूत के अंदर अपने लंड को डाला तो जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत के अंदर घुसा तो उसकी योनि से खून बाहर निकल आया वह एकदम सील पैक माल थी मेरे लिए यह बहुत ही अच्छा मौका था। मैंने उसके दोनों पैरों को अपने कंधों पर रखते हुए बड़ी तेज गति से धक्के देने शुरू कर दिए थे मै बड़ी तेजी से उसे धक्के मारे जा रहा था।
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मैं बहुत ज्यादा खुश हो गया था मैंने उसे कहा मुझे बहुत मजा आ रहा है वह मुझे कहने लगी मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा है हालांकि उसके मुंह से बडी तेज सिसकिया निकल रही थी वह मुझे अपनी और आकर्षित कर रही थी।
वह मुझे कहने लगी तुम मेरी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को करते रहो। मैंने उसकी योनि के अंदर बहुत देर तक अपने लंड को ऐसे ही किया मैने उसकी गर्मी को पूरी तरीके से बुझा दिया था उसकी गर्मी शांत होने लगी थी लेकिन उसकी योनि से पानी बाहर ही निकल रहा था।
जैसे ही मैंने अपने माल को गिराया तो वह बोली आकाश आज तो मजा ही आ गया ऐसा लग रहा है कि जैसे तुम्हारे साथ सेक्स करती रहूं। मैंने उसकी चूत के अंदर लंड को घुसाया तो वह मेरा साथ बड़े अच्छे से दे रही थी वह बहुत ही ज्यादा खुश थी।
उसने मेरा साथ बहुत अच्छे से दिया जब मैंने 5 मिनट के बाद उसके स्तनों पर अपने वीर्य को गिराया तो वह कहने लगी आकाश अब मैं तुम्हारा साथ नहीं दे पाऊंगी मेरी चूत बहुत ज्यादा छिल चुकी है। कुछ दिनों तक हम लोग एक दूसरे से फोन सेक्स पर ही बात करते रहे लेकिन जब भी मुझे मौका मिलता तो मैं उसे चोदता जरूर था।