दोस्तो, मैं आपकी अपनी प्यारी प्यारी प्रीति शर्मा… आज आपके लिए अपना एक नया कारनामा लेकर आई हूँ। मेरी चूत का टैटू
अभी पिछले दिनों मुझे अपने ससुराल के पैतृक गाँव जाने का मौका मिला। हमारा खानदानी घर उत्तर प्रदेश में लखनऊ से करीब 50 किलोमीटर आगे जा कर है। दिल्ली से लखनऊ ट्रेन से और आगे हमने टेक्सी कर ली। मैं, मेरे पति, मेरी बेटी और मेरे सास ससुर, हम सब घंटे भर में लखनऊ से अपने गाँव वाले घर में पहुँच गए।
गाँव में हमारी पुश्तैनी ज़मीन है, मेरे ससुर के दोनों छोटे भाई वहाँ गाँव में रह कर खेतीबाड़ी करते हैं। बड़ा सारा घर है हमारा!
अपनी शादी के चार साल में मैं सिर्फ 2 बार यहाँ आई हूँ। एक बार शादी के तुरंत बाद, फिर एक बार कोई मर गया था तब। मगर दोनों बार मैं सिर्फ 1-2 दिन ही गाँव में रुकी, और घर के अंदर ही रही, कभी बाहर घूम कर नहीं देखा।
बाहर क्या… मैंने अपना सारा घर भी घूम कर नहीं देखा था। Antarvasna Story
इस बार हम 4-5 दिन के लिए गए थे, कोई फंक्शन भी नहीं था वहाँ, बस इसी लिए बड़े फ्री मूड में गए थे। घर पहुंचे तो सबने हमारा खूब आदर सत्कार किया। पहले तो मेरे ससुर सबसे बड़े और दूसरे मेरे पति, भाइयों में ये भी सबसे बड़े। तो जो भी बुजुर्ग आता हम उसके पाँव छू देते, जो भी छोटा आता वो हमारे पाँव छू देता।
पहली बार ऐसा हुआ के बहुत से लोगों ने मेरे भी पाँव छुए… तो मुझे ऐसा लगने लगा जैसे मैं कोई बहुत बूढ़ी औरत हूँ. इतने लोग आए, कोई मर्द, औरत, लड़का लड़की, और घर के नौकर चाकर भी। सबने बड़ी भौजी यानि मेरे पाँव छुए।
खैर उसके बाद सब अलग अलग हो गए, मैं और मेरी सास औरतों वाले आँगन में चली गई, पति और मेरे ससुर बाहर वाली बैठक में बैठ गए।
अंदर आए तो सब औरतें ही औरतें थी। हर उम्र की, कोई छोटी बच्ची, कोई कच्ची, कोई जवान, कोई अधेड़ तो कोई बुड्ढी… हर उम्र, हर साइज़ की औरत।
मुझे भी उन्होंने खाने पीने को दिया।
सास तो मेरी दूसरे कमरे में बुड्ढियों के साथ बैठ गई, मगर मुझे सब जवान औरतों और लड़कियों ने घेर लिया। उन्हें ऐसे लगता था, जैसे मैं दिल्ली से नहीं, कहीं विदेश से आई हूँ। हर कोई मेरे कपड़ों, गहनों को छू छू कर देख रहा था।
एक दो ने मेरे जिस्म को भी छू कर देखा कि हाथ कैसे हैं, मुँह कैसा है। पर मुझे सब बहुत अच्छा लगा, सबने बहुत प्यार दिया। मेरी चूत का टैटू
अगले दिन मैंने सारा घर घूम कर देखा, सारे कमरे, कौन सा कमरा किस का है। जानवरों का बाड़ा, खेत, खलिहान, सब देखा। मैंने अपने साथ एक लड़की से पूछा, रानी नाम था उसका- रानी, क्या आप लोग अभी भी सुबह सुबह खेतों में जाते हो?
वो बोली- नहीं भाभी, अब तो सबके घर में ही शौचालय बन गए हैं, अब खेतों में कोई नहीं जाता। आपने जाना है?
मैंने कहा- अरे यार, मैं तो यूं ही पूछ रही थी, वैसे ये भी एक निराला ही काम है, सुबह सुबह उठ कर खेतों में जाना।
वो बोली- ऐसा करते हैं, कल सुबह आप और मैं, दोनों खेतों में हगने जाएंगे।
उसकी बात सुन कर मैं भी हंस दी और वो भी।
रात को 9 बजे तक सबने खाना पीना करके सोने चले गए, अब मुझे तो 11-12 बजे से पहले कभी नींद ही नहीं आई। मगर यहाँ तो जल्दी सोने का रिवाज है, रात को सब मर्द औरतें अलग ही सोते हैं तो मैं रानी के साथ ही सोई। कितनी देर हम दोनों इधर उधर की बातें करती रही।
अगली सुबह हम बहुत जल्दी जाग गई, शायद 4 बजे होंगे, अभी पूरा अंधेरा था।
रानी ने मुझे जगाया, और हम दोनों उठ कर अपनी अपनी शॉल उठा कर चल पड़ी। अंदर मौसम ठीक था, मगर बाहर हल्की ठंड थी, इस लिए, शॉल लेनी ठीक रही।
काफी दूर चल कर हमारे खेत आ गए, तो हम अपने खेतों में चली गई। गेहूं की फसल अभी बिल्कुल छोटी छोटी थी, इसलिए पर्दे की बड़ी दिक्कत थी क्योंकि हल्का हल्का उजाला सा हो चुका था, अगर कोई उधर से आ जाता, तो हमें देख सकता था, पर ये भी था कि इतना चलने के बाद प्रेशर इतना बन गया था कि और आगे चल कर जाना संभव नहीं था।
मैं और रानी खेत के पास कुछ दरख्तों की आड़ में गईं। एक पेड़ के पीछे रानी बैठी तो उसके पास ही मैं।
पहले तो मैंने आस पास अच्छी तरह से देखा कोई आ तो नहीं रहा, जब सब तरफ से आश्वस्त हो गई, तो मैंने अपनी सलवार का नाड़ा खोला और सलवार उतार कर बैठ गई।
बस बैठने की देर थी, 1 मिनट में ही पेट साफ हो गया। क्या आनन्द आया… खुली,जगह, साफ हवा, हल्का सा उजाला और हम दो नंगी लड़कियां।
मैंने रानी से पूछा- यहाँ कोई डर तो नहीं अगर कोई आ जाए, तो?
वो बोली- अरे भाभी, यहाँ कोई नहीं आता। अपने खेत हैं सारे, सिर्फ अपने काम वाले नौकर ही आते हैं, और वो अभी नहीं आए।
वैसे तो मैं फ्री हो गई थी, मगर फिर भी बैठी रही, मैंने रानी की तरफ ध्यान दिया, मैं देख कर हैरान रह गई, उस लड़की की चूत पर एक भी बाल नहीं था। मेरी चूत का टैटू
मैंने उससे पूछा- रानी क्या लगाती है, वीट या रेज़र?
वो बोली- चाची, यहाँ तो रेज़र ही चलता है।
मैंने उसे आँख मार कर कहा- किसको दिखाती है?
वो शर्मा सी गई और हंस कर बोली- अपने साथ वाले गाँव का ही है, मोहन।
मैंने कहा- सिर्फ दिखाती भी है या कुछ और भी?
वो बोली- अरे लो चाची, जब अगला इसे देखने तक पहुँच गया, तो क्या खाली हाथ वापिस जाएगा। कुछ न कुछ तो करके ही जाएगा!
फिर बड़ी खुश हो कर बोली- एक और चीज़ दिखाऊँ?
मैंने कहा- क्या?
वो उठी और उठ कर मेरी तरफ पीठ करके बैठ गई।
ठीक उसके चूतड़ों के ऊपर एक बड़ा सा टैटू बना हुआ था। पूरी कमर पर और उस टैटू की एक पूंछ सी उस लड़की के दोनों चूतड़ों के बीच में जाकर खत्म होती थी।
रानी ने मुझसे पूछा- कैसा लगा टैटू भाभी?
मुझे बड़ा अच्छा लगा कि एक गाँव की लड़की टैटू बनवाए फिरती है, और वो भी पीछे अपनी गांड पर, और मैं दिल्ली वाली मॉडर्न लेडी और मेरे हाथ पर भी टैटू नहीं।
मैंने उसे पूछा- कहाँ बनवाया?
वो बोली- एक बार मैं बैंक का पेपर देने लखनऊ गई थी, तभी मोहन भी मेरे साथ था, सुबह पेपर दिया, दोपहर के बाद एक जगह जा कर मैं ये बनवाया।
मैंने पूछा- किसी लड़की से बनवाया?
वो बोली- अरे यहाँ लड़की कहाँ, यहाँ तो सब लड़के ही बनाते हैं।
मैंने फिर पूछा- और तू उसके सामने नंगी लेट गई?
वो बोली- फिर क्या हुआ, मोहन मेरे साथ था, उसने खास खयाल रखा कि टैटू वाला मेरे साथ कोई गलत हरकत न करे। मोहन मुझे बहुत प्यार करता है, कहता है, कहीं नौकरी लग जाए, फिर हमारे घर रिश्ता ले कर आएगा।
पर सच कहती हूँ, उसका टैटू देख कर मेरी गांड जल गई, गाँव की लड़की अपनी गांड पर टैटू बनवा के घूम रही है, और मैं शहर वाली कुछ भी नहीं कर पा रही हूँ।
फिर मैंने पूछा- अब मेरा तो हो गया, साफ कैसे करें?
वो बोली- किसी पत्थर से कर लो, बाद में ट्यूबवेल पे जाकर पानी से धो लेंगे।
मैंने वैसे ही किया, एक पत्थर से उठाया और उस से अपनी गांड पोंछ कर उठी और सलवार का नाड़ा बांध लिया, रानी भी उठ खड़ी हुई, सामने ही हमारे खेतों का ट्यूबवेल था, हम वहाँ गई और हौद से पानी लेकर अपने अपने चूतड़ धो लिए।
मगर जब चूतड़ धोने के लिए रानी ने अपनी सलवार खोली तो मुझे दोबारा उसकी गांड पर बना टैटू दिख गया और मेरी झांट जल गई कि जो भी हो मुझे भी अपने टैटू बनवाना है, इसने गांड पे बनवाया है, तो मैं तो हर हाल में अपनी चूत पे टैटू बनवाऊँगी।
चलो जी… 4-5 दिन गाँव में रह कर हम वापिस आ गए।
दिल्ली वापस आते ही सबसे पहले जो बात मैंने अपने पति के कान में डाली वो यही थी कि मुझे टैटू बनवाना है।
वो बोले- तो बनवा लो, किसी दिन किसी टैटू स्टूडियो में चलते हैं और बनवा लेते हैं।
मैंने कहा- जी नहीं, किसी भी स्टूडियो में नहीं, कोई ऐसा स्टूडियो देखो जहां लड़की टैटू आर्टिस्ट हो, मैं किसी लड़की से ही टैटू बनवाऊँगी। मेरी चूत का टैटू
पति ने आँख मार कर पूछा- कहाँ टैटू बनवाने का इरादा है?
मैंने साफ कहा- यहाँ पे!
और अपनी चूत पे अपनी उंगली लगा के दिखाई।
वो एकदम चौंके- अरे पागल हो क्या, यहाँ टैटू बनवाना है तुम्हें?
मैंने कहा- यहाँ, और सिर्फ यहीं बनवाना है। रानी है न अपनी, उसके देखो, उसने अपनी गांड पे टैटू बनवाया है।
पति बोले- कम ऑन यार, वो मेरी बहन लगती है।
मैंने कहा- बात वो नहीं है, पर बात यह है के वो गाँव की लड़की गांड पे टैटू लिए घूमती है, और मैं दिल्ली जैसे शहर में रह कर भी टैटू नहीं बनवा सकती।
खैर बड़ी मशक्कत और बहस के बाद पतिदेव मान गए। फिर उन्होंने एक टैटू स्टूडियो ढूंढ निकाला।
एक दिन हम दोनों वहाँ गए। वहाँ पे एक लड़की थी, उस से बात की, एप्पोइंटमेंट फिक्स हो गई। टैटू का डिजाइन भी पसंद कर लिया गया।
तय दिन और वक़्त पर हम दोनों वहाँ पहुंचे।
मेरी चूत का टैटू
घर से खैर मैं अपनी पूरी साफ सफाई करके गई थी, मेरे पति सामने कुर्सी पर बैठ गए, मुझे उसने बड़े से काउच पे लेटा दिया। उसने अपने सारे औज़ार और मशीन वगैरह सब रेडी किए।
फिर मुझे से बोली- चलिये मैडम, पेंट उतारिए।
तब मुझे थोड़ा सा डर सा लगा। उसके बाद मैंने उठ कर अपनी पेंट और पेंटी दोनों उतार दी। बड़ी अजीब सी फीलिंग आ रही थी। किसी बिल्कुल अंजान के सामने नंगी होने की।
मगर होना तो था, पेंट उतार कर मैं फिर से लेट गई।
वो लड़की बिल्कुल मेरे ऊपर चढ़ कर ही बैठ गई, पहले उसने कोई एंटीसेप्टिक लोशन सा लगाया, फिर अच्छी तरह से एक तेल से मालिश सी की, फिर उसने जो डिजाइन हमने पसंद किया, था उसका कागज़ पर बना स्टेंसिल मेरी कमर पर रख कर चिपकाया, और जब कागज़ उठाया, तो मेरी चूत के ऊपर एक निशान छाप गया। देखने में तो ये भी बड़ा अच्छा लग रहा था, मगर असली काम तो अभी होना था। Desi Sex Kahani
फिर उसने उस डिजाइन के एक कोने पर स्याही लगाई और फिर मशीन से जब गोदा तो एक बार तो मैं उछल पड़ी।
वो लड़की बोली- काम डाउन मैडम, आराम से… अगर ऐसे उछलोगी, तो काम खराब हो जाएगा।
मैं आराम से लेटी तो उसने फिर से चालू किया, और धीरे धीरे वो डिजाइन बनाने लगी। बेशक दर्द हो रहा था, मगर असली बात मेरे मन की संतुष्टि थी. मगर आधा डिजाइन बनाने के बाद वो लड़की रुक गई, बोली- मैडम आपकी स्किन सेन्सटिव है, आपको स्वेल्लिंग हो रही है। मेरी चूत का टैटू
मैंने देखा, मेरे पति ने भी उठ कर देखा। जहां उसने डिजाइन बनाया था, वहाँ से मेरी चूत थोड़ी सूज सी गई थी।
मैंने पूछा- तो अब क्या?
वो बोली- आपका एक सेशन में काम नहीं होगा, आपको 2-3 सिटिंग्स देनी पड़ेंगी।
उसके बाद हमें ज़रूरी बातें समझा कर उसने वापिस भेज दिया।
दो दिन बाद मैं ठीक हो कर फिर से गई। मगर आज मेरे पति साथ नहीं जा सके, क्योकि उनको कोई ज़रूरी काम था, पर वो मुझे जाते हुये उसी टैटू स्टूडियो के बाहर छोड़ गए।
मैं अंदर गई, और अंदर जा कर उस लड़की के बारे में पूछा- तो पता लगा किसी वजह से वो लड़की आज नहीं आई है। मैं तो बड़ी असमंजस में पड़ गई।
तो रिसेप्शन पर बैठी लड़की बोली- आप चाहें तो हमारे किसी दूसरे आर्टिस्ट से भी अपनी जॉब पूरी करवा सकती हैं।
मैंने कुछ सोच कर कहा- और कौन है?
उस लड़की ने फोन पे किसी गगनप्रीत को बुलाया। एक लड़का आया, उम्र लगभर 25-26 साल। लंबा 6 फीट, और बहुत ही शानदार मसकुलर बॉडी, जिम जा कर पूरी तरह तराशा हुआ बदन, काली आधी बाजू की टी शर्ट और काली ही जीन्स पहने हुआ था। रंग थोड़ा सा सांवला था, मगर नैन नक्श बहुत ही तीखे।
एक बार ही उसको देख कर मेरे दिल में जैसे कोई काँटा चुभा हो कि ‘हाय, क्या शानदार नौजवान है। इसको तो किसी फिल्म में शानदार विलेन होना चाहिए।’
उसकी अपनी बाजू, गले और हाथ पर भी कई सारे टैटू बने हुये थे। एक बार तो उसको देख कर मेरा भी दिल धड़क गया।
वो मुझे अपने साथ अपने स्टूडियो में ले गया।
मैंने उस से पूछा- क्या नाम है तुम्हारा?
वो बोला- जी गगन प्रीत सिंह है।
मैंने कहा- कितने साल हो गए, टैटू बनाते हुये?
वो बोला- जी 5 साल से बना रहा हूँ।
मैंने कहा- देखो गगन, मुझे पूरी प्राइवेसी चाहिए।
वो बोला- आप चिंता न करें मैडम, यहाँ आप पूरी तरह से निश्चिंत हो कर काम करवा सकती हैं।
मैं अपने आप काउच पर लेट गई। वो भी अपना सारा समान लेकर मेरे पास आ बैठा।
मेरी तरफ देख कर बोला- हां जी मैडम!
मैंने कहा- देखो गगन, मैं परसों भी आई थी, और मैंने टैटू बनवाना शुरू भी कर दिया था, मगर मेरी स्किन बड़ी सेंसिटिव है, इसलिए मुझे उस दिन भी थोड़ी सूजन आ गई थी।
वो बोला- ओ के… पर आपने टैटू बनवाया कहाँ पे था?
मुझे पहले तो बड़ी शर्म सी आई, फिर मैंने उसे कहा- मैं तुम पर पूरा भरोसा कर सकती हूँ?
वो बोला- बिल्कुल मैडम, ये मेरा काम है और काम में मैं कोई भी बेईमानी नहीं करता।
तो मैंने अपनी चूत की तरफ इशारा करके कहा- वहाँ, वहाँ पर टैटू बनवाना है।
उसने कहा- मैं देख सकता हूँ?
मैंने कहा- हाँ, देख लो, पर प्लीज…
वो मेरी बात समझ गया- आप निश्चिंत रहें मैडम!
और उसने मेरी साड़ी ऊपर उठानी शुरू की। सच में मर्द के हाथ का लगना ही बदन में बिजली दौड़ा देता है, और जबकि उसने सिर्फ मेरी साड़ी को ही छुआ था। मेरी साड़ी और पेटीकोट उठा कर उसने मेरे पेट पर रख दिया।
नीचे मैंने पेंटी पहनी थी।
वो बोला- ये मैडम?
मैंने कहा- उतार दो!
कुछ कुछ तो मैं भी हरामी हो रही थी।
उसने मेरी पेंटी के दोनों तरफ अपने अंगूठे फंसाए और खींच कर मेरी पेंटी मेरे घुटनो से भी नीचे उतार दी। मेरे रीढ़ की हड्डी में सौ बार सिहरन जागी हो जैसे। एकदम से जैसे मुझे पसीने आ गए हों।
उसने मेरी चूत को देखा और फिर बोला- डोंट वरी मैडम, आज आपको न दर्द होगा, न ही स्वेल्लिंग आएगी। आप बस अपनी टाँगें चौड़ी कर लीजिये, और हो सके तो ये साड़ी और पेटीकोट भी उतार दीजिये।
उसके व्यावसायिक व्यवहार ने जैसे मुझे बहुत प्रभावित किया हो, मैं उठी और अपनी साड़ी खोली, पेटीकोट खोला और उतार दिया और सिर्फ ब्लाउज़ पहने उसके सामने काउच पर अपनी टाँगें खोल कर लेट गई।
उसने पहले अपने हाथों में दस्ताने पहने, फिर एक स्प्रे किया, उसके बाद एक तेल से मालिश की।
मगर एक बात थी, बेशक वो मेरी चूत को छू रहा था, मगर मुझे चूत को छूने से कोई फीलिंग नहीं आ रही थी, हाँ उसको देख कर मुझे बहुत फीलिंग आ रही थी। मेरी चूत का टैटू
उसकी एक बाजू बिल्कुल मेरे पास थी, जिस पर गहरा सा टैटू बना था।
उसने दोबारा से स्टेंसिल रख कर डिजाइन उकेरा और फिर मशीन लेकर लगा टैटू बनाने। मगर आज सच में मुझे न तो कोई दर्द हुआ, और ना ही मेरे स्वेल्लिंग आई।
हाँ पर इतना ज़रूर था कि मुझे इस काम में बहुत मजा आ रहा था, इतना मजा के मेरी चूत गीली हो गई, और जब मेरी चूत गीली होती है, तो बहुत पानी छोड़ती है। शायद इसी लिए उसने मशीन रोक कर मुझे एक नेपकिन दिया और बोला- मैडम, आप साफ कर लीजिये।
मैंने उठ कर देखा तो मेरी चूत से पानी बाहर टपक रहा था और नीचे काउच पर भी लग रहा था।
मुझे बड़ी शर्म आई, मैंने कहा- आई एम सॉरी!
और मैंने नेपकिन से अपनी चूत का पानी साफ किया।
वो बोला- कोई बात नहीं मैडम, ऐसा अक्सर हो जाता है।
मैंने अपनी चूत साफ करके उसे फिर से काम शुरू करने को कहा। मगर मैं तो उसके स्पर्श से गरम होती जा रही थी। दो मिनट बाद ही उसने मुझे फिर से नेपकिन पकड़ा दिया मगर बोला कुछ नहीं।
मैंने कहा- तुम ही साफ कर दो।
पहले तो उसने मेरी तरफ देखा, इस बार उसकी आँखों में एक अलग ही चमक थी। उसने नेपकिन लिया और मेरी चूत दोनों होंठ खोल कर अंदर तक साफ कर दिया। मगर साफ करते ही फिर पानी आ गया।
वो बोला- मैडम, ये तो बहुत पानी आ रहा है.
और उसने एक नेपकिन की तह लगा कर मेरी चूत के दोनों होंठों के बीच में फंसा दिया।
मगर मेरे दिल की हालत तो और खराब होती जा रही थी। मैं बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी, एक नौजवान लड़के के सामने नंगी हो कर बैठना ही मुझे बहुत रोमांचित कर रहा था।
मेरा बार बार दिल कर रहा था कि मैं उस से पूछूँ, क्या वो मुझे चोदेगा। मेरा दिल बार बार मुझे मजबूर कर रहा था उस से यही सवाल पूछने को।
फिर कुछ अचानक हुआ, मैंने उस लड़के की बाजू को छुआ। उसने मेरी तरफ देखा, मेरी आँखों में वासना ही वासना भरी थी। मैंने अपनी दोनों बाहें उस की तरफ उठा दी।
वो बोला- सॉरी मैडम, इट्स माई जॉब, मैं ये नहीं कर सकता।
मैंने पेंट के ऊपर से ही उसके लंड को छू कर देखा, वो एकदम से पीछे हटा, मगर उसका अपना लंड भी अकड़ चुका था।
मैंने कहा- तुम नहीं कर सकते, ये तो कर सकता है।
वो क्न्फ्यूज सा हुआ खड़ा था, मैं उठी और उठ कर उसके बदन से चिपक गई।
पत्थर जैसा सख्त बदन।
उसने मेरे कंधे पकड़े और बोला- मैडम प्लीज़!
मैंने कहा- यही बात तो मैं कह रही हूँ… प्लीज़।
वो इधर उधर देखने लगा।
मैंने कहा- देखो, ज़िंदगी में एक बात याद रखना, कभी भी किसी कामुक औरत को प्यासी मत छोड़ना।
वो जैसे मजबूर सा हो गया था। मैं नीचे बैठ गई और उसकी बेल्ट और पेंट खोल दी। वो हिला तक नहीं।
पेंट नीचे खिसका कर मैंने उसकी चड्डी उतार दी, अंदर से काले रंग का 7-8 इंच का पूरा अकड़ा हुआ लंड बाहर को झूल कर आया।
बाहर निकलते ही मैंने उसे पकड़ा और अपने मुँह में ले लिया।
मर्द का कड़क लंड, दुनिया का सबसे खूबसूरत नज़ारा है। दो मिनट चूसने के बाद मैं उठी और उसी काउच पर एक घुटना रख कर घोड़ी सी बन कर खड़ी हो गई। मेरी गोरी गोल गांड अब गगन प्रीत की तरफ थी और उसके लंड का इंतज़ार कर रही थी।
मैंने पीछे नहीं देखा, पर तभी मुझे मेरी कमर पर दोनों तरफ दो सख्त मर्दाना हाथों की पकड़ महसूस हुई। उसके बाद एक लंड का टोपा मेरी चूत के मुँह से टकराया। मैंने अपनी आँखें बंद कर ली। मेरी चूत का टैटू
और फिर वो टोपा मेरी चूत के होंठ खोल कर अपने ज़ोर से अंदर घुस गया, मोटा मजबूत लंड… धकेलते धकेलते उसने अपना सारा लंड मेरी चूत में घुसा दिया। भर गई मेरी चूत।
पूरी तरह से टाइट लंड, मेरी चूत में अंदर बाहर हो रहा था।
मैंने कहा- गगन प्रीत, तुम चाहो तो मेरा ब्लाउज़ और ब्रा भी खोल सकते हो!
वो बोला- बाद में मैडम।
पहले वो धीरे धीरे अंदर बाहर कर रहा था, मगर जब उसका सारा लंड मेरी चूत के पानी से भीग गया और पिच पिच आवाज़ आने लगी, तो उसने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी, इतनी बढ़ा दी कि जब उसकी कमर आ कर पीछे मेरी गांड से टकराती तो बड़े ज़ोर की ‘ठप्प… ठप्प…’ की आवाज़ आ रही थी, साथ में मेरी ‘हाय… उफ़्फ़…’ अलग से थी।
5 मिनट की लाजवाब चुदाई ने मेरा काम कर दिया, मेरी चूत ने पानी की धार मारी और मैं स्खलित हो कर ढीली हो गई, मगर वो अभी भी कायम था। मेरे ढीली पड़ते ही उसने मुझे सीधा करके लेटा दिया और जहां काउच पर मेरा टैटू बनना था, वहाँ अब मेरी चूत में काला लंड घुस रहा था। अब हम एक दूसरे के बिल्कुल सामने थे।
कहानी का शेष भाग अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज साईट पर पढ़ें!
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8 inch ka land hai agar kisi Ko mujhse chudai kahani hai to vah mujhse Gmail per sampark Karen