तो दोस्तों आ गया हूँ मैं आज फिर से आपके पास आपके लिए एक मस्त चुदाई एक वासना से भरी कथा को लेकर | अब देखना ये है कि कैसे आप इस सब को संभाल पाते हो और अपने लंड को काबू में रख पाते हो | बस हो जाओ तैयार क्यूंकि करने आ गया हूँ मैं अपने लंड से आपके प्यारे प्यारे लंडो पर वार | जी हाँ मैं ख़ुशी से ये कहता हूँ कि मैं मीठा हूँ और मुझे लंड के अलावा कुछ भी अच्छा नहीं लगता है |
वैसे मेरे पीछे कई लडकियां भी पागल हैं पर मैं उनके साथ कुछ करता नहीं हूँ क्यूंकि पता नहीं मुझे अच्छा नहीं लगता | पर ये सब मेरे साथ कब और कैसे हुआ ये मैं भी जानता लेकिन इतना पता है कि मुझे एक बार कुछ लड़के उठा कर ले गये थे खेलने के बहाने | ये बात तब की है जब मैं छोटा था उस समय मुझे कुछ मालूम नहीं था |
वैसे ये एक दम सच्ची घटना है और इसमें झूट का एक अंश भी नहीं है | तो हुआ ये कि मैं संजय नगर की पहाड़िया पर रहता हूँ और वहां के लड़के अति मादरचोद हैं पर मेरे दिल में बस अब वो ही हैं | मैं उनके साथ खेल रहा था और उनमे से एक ने कहा सुन रज्जन चोदम पट्टी करेगा क्या ? मैंने कहा ये क्या होता है ? उसने पूछा तुझे चोदम पट्टी के बारे में नहीं पता क्या ?
मैंने कहा नहीं तो वहां पर जितने भी लड़के थे वो सब मुझे देखकर हसने लगे और कहने लगे भानु आज इसको सिखा देते हैं चोदम पट्टी क्या होती है | मैं भी उनके साथ हसने लगा और कहने लगा हाँ यार आज सीख लेता हूँ बहुत दिनों से ये पुराना खेल खेल रहा हूँ |
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उसके बाद वो चारों मुझे पानी की टंकी के पीछे ले गये और वहां सब नंगे हो गये मैंने कहा अबे ये सब क्या कर रहे हो नंगे क्यूँ हो रहे हो तो सब ने कहा चोदम पट्टी करेंगे अपन सब मिलके | उन्होंने अपने लंड को हाथ से मलना चालु कर दिया और भानु ने मन्नू के लंड को मुंह में ले लिया | अब सब एक दुसरे के लंड चूसने लगे और इतने में एक लड़के ने मुझे भी नंगा कर दिया |
मैंने भी उस लड़के के लंड को अपने हाथ से सहलाना शुरू कर दिया मुझे अच्छा लगा और इतने में उस लड़के ने मेरे लंड को जो कि खड़ा हो चुका था उसको मुंह में ले लिया | अब मुझे अच्छा लगने लगा और उसने करीब बीस मिनट मेरा लंड चूसा और उसके बाद मेरे लंड से सफ़ेद सफ़ेद पानी निकला | फिर भानु मेरे पीछे आया और कहा झुकना ज़रा | मैं झुका और उसने अपने लंड मेरी गांड के छेद में डाल दिया |
मैंने चिल्लाया पर एक लड़के ने अपना लंड मेरे मुंह में दे दिया और जो मेरा लंड चूस रहा था वो उसकी गांड मारने लगा | ऐसा करते करते हमे एक घंटा हो गया और सबने मेरी बारी बारी से चुदाई की और ना जाने कितनी बार मेरे लंड से पानी निकला |
उसने बाद एक लड़का आया और कहा इसे कहते हैं चोदम पट्टी समझा | मैंने कहा हाँ पर मुझे भी किसी की गांड में अपना लंड डालने है | तो भानु ने कहा ले मेरी गांड में डाल ले | मैंने भी जैसे तैसे उसकी गांड में लंड डाला और उसको चोदने लगा तो मुझे एक अजीब सी ख़ुशी मिली | कुछ देर उसको चोदने के बाद मैंने अपना माल उसकी गांड में ही गिरा दिया |
तो उस दिन हुआ था मेरी गांड का उद्घाटन और मैं था पूरे नशे में | मुझे समझ नहीं आ रहा था मैं ये सब कैसे कर गया पर जो भी था अच्छा लगा | उस दिन और अगले दो दिन तक मेरी गांड में और लंड में ऐसा दर्द हुआ कि मैं आपको बता नहीं सकता | पर तीसरे दिन जब फिर से मैंने भानु की गांड मारी तब मुझे तदा दर्द हुआ पर उसके बाद सब कुछ ठीक हो गया |
तब से हम सारे ये चोदम चुदाई आये दिन करने लगे और ऐसी मुट्ठ बाजी करते थे कि आपको क्या बताऊँ | पहले तो सब भानु के लंड के दीवाने थे क्यूंकि उसका लंड काला और मोटा था पर जिस दिन से मेरा दर्द ख़त्म हुआ था उस दिन से सब मेरे लंड के दीवाने हो गए थे |
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मेरा लंड बड़ा मोटा और गोरा था और एक दम लाल लाल | सब मेरे लंड के पीछे पागल रहते थे और हम पाँचों के अलावा हम किसी और को ये बात नहीं बताते थे | पर कुछ महीने बाद हम सब की परीक्षा शुरू हो गयी और उसके बाद सब अपनी अपनी पढ़ाई में लग गए और ये सब भूल गए |
कुछ समय बाद जब छुट्टी पड़ी तो भी शायद 15 दिन तक ही हम लोग ये सब कर पाए थे पर उसके बाद किसी का कॉलेज दुसरे शहर में और कोई तो प्रदेश छोड़कर ही चला गया | सब यहाँ वहां हो गए और किसी के पास समय नहीं रहता था चुदाई करने का |
सब खुश थे क्यूंकि अच्छे कॉलेज में थे और नौकरी मिलने के अवसर बहुत थे पर अन्दर ही अन्दर एक दुसरे के लंड के लिए तरसते थे | पहले हम सब फ़ोन सेक्स करके मुट्ठ मर लिया करते थे पर उसके बाद मोंटी जो कि हमारे ही साथ का लड़का था उसने एक आईडिया दिया |
उसने कहा यार आजकल हम सब फ़ोन अच्छे अच्छे चलते हैं जिसमे कैमरा है | हम सने कहा “हाँ” तो उसने कहा भोसड़ीवालों हम सब एक दुसरे का लंड आसानी से देख भी तो सकते हैं | तब सबके दिमाग में बात आई हाँ यार ये तो हो सकता है | उसने कहा चलो ठीक है आज रात 12 बजे से सब अपनी हवस को ख़त्म करने का काम करेंगे |
अब रात के 12 बज गए मैं सबसे पहले आ गया और सबको कॉल लगाने लगा | सब जुड़ गए साथ में और कोई अपनी पेंट उतार रहा था तो कोई अपनी चड्डी | फिर सबे लंड बहार आ गए और इतने दिन्तो तक दूर रहने के बाद हर लंड बस यही कह रहा था “आ मुह में लेले मुझे” | वाह क्या दिन थे वो सब के लंड ले पानी निकल रहा था और एक दम तन के खड़े थे |
सब ने एक दुसरे के लंड को अपने लंड से सलाम किया और हिलाने लगे | बस फिर क्या था 5 मिनट बाद सबके लंड से ऐसी मुट्ठ की बारिश हुयी कि पूरी ज़मीन भीग गयी | पर कोई ताका नहीं हम लोगो ने आधे घंटे तक मुट्ठ मारा एक दुसरे को देख के |
दे मुट्ठ पे मुट्ठ , दे मुट्ठ पे मुट्ठ !!!
उसके बाद ये कुछ दिन तक चला फिर सबको नौकरी मिल गयी | पर हम सारे तो अखंड हब्सी थे और हमे लड़कियों से कोई मतलब तो था नहीं इसलिए हर किसी ने अपना एक साथी बना लिया अपने अपने ऑफिस में जो मीठा था | पर मेरी किस्मत यहाँ मुझे धोखा दे गयी क्यूंकि मुझे ऐसा कोई मिल नहीं रहा था या फिर मैं उसे ढूंढ नहीं पा रहा था |
फिर भी मैंने हार नहीं मानी और अपने दोस्तों से सहारा लिया पर दोस्त भी कमीना निकल गए | साले कहने लगे नहीं रज्जन अब हम लोग शादी शुदा हैं अपने साथी को धोखा नहीं दे सकते | मैंने कहा ठीक है मादरचोद आगे तुम लोग बहुत पछताओगे | मैंने सबका साथ छोड़ दिया और अपने काम पर ध्यान देने लगा | मैंने ना तो आज के बारे में सोचा और न ही कल की कोई फ़िक्र की | और शायद इसका फल मुझे मिलने वाला था आज नहीं तो कल |
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बस अपने काम में खुद को झोंक दिया | इस चीज़ से लंड मिला नहीं मिला उसका गम नहीं पर कंपनी के सबसे बड़े बॉस को मेरे बारे में पता चल गया | उसने मेरी सैलरी को बढ़ा दिया और मेरी सैलरी लाखों में हो गयी और मेरी पोस्ट को भी बढ़ा दिया मुझे शहर की साड़ी कम्पनीज का जनरल मेनेजर बना दिया | मेरे बारे में अखबार में भी आने लगा और मेरी ख्याति बढ़ने लगी |
मेरे दोस्तों को जब इसके बारे में पता चला तब सबने मुझे फ़ोन लगाना शुरू कर दिया पर मैं उनको पीछे छोड़ चुका था इसलिए मैंने उनके बारे में परवाह नहीं की | एक दिन मेरी पर्सनल सेक्रेटरी ने उनका फ़ोन गलती से उठा लिया और मुझे लाकर दे दिया | मैंने उनसे कहा एक बार तुमने अपना रंग्फ़ दिखाया अब मैं अपना दिखाऊंगा |
उन्होंने कहा यार हमारी नौकरी हत्रे में है तू बचा ले पैसे भी नहीं रहते | मैंने कहा एक बार तुमने अपना रास्ता चुना और अब मैंने अपना चुन लिया है और मेरा रास्ते में तुमसे कोई वास्ता नहीं | इतना बोलके मैंने फ़ोन रख दिया |
फिर एक दिन मुझे बॉस यानि कंपनी के मालिक का फोन आया और उन्होंने मुझे अपने फार्म हाउस पर बुलाया था | वो मेरे काम से बड़े खुश थे और उन्होंने मुझे और मेरी तरक्की को और बढ़ाने के लिए मुझे बुलाया था | मैंने भी बिना कुछ सोचे समझे हाँ कर दिया और अगले दिन उनके फार्म हाउस के लिए निकल गया जो कि शहर से कुछ किलोमीटर ही दूर था |
जब मैं वहां पहुंचा तो मैंने देखा एक गार्ड के अलावा वहां और कोई भी नहीं है | पहले मैंने सोचा हो सकता है साला सिर्फ मैं ही इसका हकदार हूँ इसलिए अकेले बुलाया है | पर नहीं मेरी बुद्धि ने जवाब दिया कि बेटा तेरे लिए अन्दर लंड भी तो हो सकता है | अब क्या था मेरे लिए तो दोनो ही चीज़ें सही थी क्यूंकि मैं दोनों का ही भूखा था |
मैं अन्दर गया और बॉस को देखा तो वो वृद्ध थे करीब ६० साल के पर साले ने जब मुझे हाथ लगाया तो मेरा तन बदन भड़क गया | उन्होंने कहा जो तरक्की मिली उसका हिसाब देना चाहोगे या इस सिलसिले को और आगे ले जाओगे | मैंने कहा सर अब पीछे क्या जाना और अपना लंड खोल दिया | उसने कहा वाह और मेरे लंड को पकड़ के दबाया और चूसने लगा |
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उसने मेरे लंड को ऐसे चूसा जैसे किसीने नहीं चूसा था मेरे मुंह से आह्ह्ह उम्म्म्म आआह्ह्ह ऊऊह्ह्ह्ह उम्म्मम्म के स्वर निकलने लगे | फिर उसने अपनी गांड खोल दी और कहा लो मारो तो मैंने उसकी गांड में एक बार में ही लंड पेल दिया और बड़ी आसानी से चला गया | फिर समझ आया इसकी कंपनी के बड़े लोगों ने क्या किया है |
मैंने तबियत से उसकी गांड मारी और खूब लंड चुस्वाया | मुझे सुकून पैसा और प्रसिद्धि सब मिल गया और आज तक मिल रहा है | वैसे मालिक का लड़का भी मीठा है और उसका लंड अब मेरा है |