स्विमिंग पूल में सेक्स किया कजिन दीदी के साथ – Antarvasna

मेरा नाम चमन है। मेरी उम्र 28 साल है, में नॉएडा का रहने वाला हूँ। मेरी फेमिली में मेरे पेरेंट्स के अलावा मेरा एक भाई है, जो मुझसे 3 साल छोटा है। हम लोग जहाँ रहते थे, वो जगह आधी शहर और आधी गाँव जैसी थी। हमारे एक चाचा थे, जो कि शहर में रहते थे, वो कभी-कभी हमारे घर आया-जाया करते थे, उनके एक ही बेटी है जिसका नाम स्वाति है और वो मुझसे 5 साल बड़ी है, वो बहुत ही स्मार्ट और सुंदर लड़की है।

ये तब की घटना है जब मेरी उम्र 17-18 साल होगी। एक बार चाचा जी हमारे घर आए, तो उन्होंने मेरे पेरेंट्स से कहा कि चमन के स्कूल की छुट्टियाँ है तो क्यों ना इस बार वो मेरे साथ चलकर शहर घूम आए? अब चाचा जी की इस सिफारिश के पीछे में ही था, मैंने ही उनसे बहुत बार कहा था कि मुझे शहर देखना है, लेकिन मेरे पेरेंट्स राज़ी नहीं हो रहे थे, लेकिन इस बार ज्यादा ज़ोर ज़बरदस्ती करने की जरूरत नहीं पड़ी और वो लोग मान गये।

फिर 2 दिन के बाद में चाचा जी के साथ उनके घर शहर आ गया। में पहली बार यहाँ आया था तो इसलिए मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। चाचा जी का मकान एक बहुत बड़े कॉम्प्लेक्स की चौथी मंजिल पर था, तो मैंने उस कॉम्प्लेक्स के अंदर देखा कि स्विमिंग पूल, बाज़ार सब है। चाचा जी के मकान में दो बेडरूम, एक किचन, एक ड्रॉईग रूम और दो बाथरूम थे।

फिर जब में वहाँ पहुँचा तो तब स्वाति दीदी घर में मौजूद थी तो उन्होंने मुझे देखते ही ख़ुशी में दौड़कर गले लगा लिया, अब चाची जी भी बहुत खुश थी। फिर चाचा जी ने मेरा सामान स्वाति दीदी के कमरे में रखवा दिए। अब शाम भी हो गयी थी और सफ़र की वजह से मुझे नींद भी आ रही थी इसलिए थोड़ी देर बातचीत करने के बाद में खाना ख़ाकर सो गया।

फिर अगले दिन सुबह उठकर फ्रेश होकर मैंने और स्वाति दीदी ने फिर से गपशप करना शुरू कर दिया। फिर थोड़ी देर के बाद स्वाति दीदी उठ गयी तो मैंने पूछा कि तुम कहाँ जा रही हो? तो उन्होंने कहा कि स्विमिंग के लिए जा रही हूँ। में हर बार छुट्टी होने पर स्विमिंग के लिए जाती हूँ, तू भी मेरे साथ चलना, तो में भी तुरंत राज़ी हो गया।

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फिर स्वाति दीदी ने ड्रेस चेंज करके अपनी स्कूटी निकाली और मुझे पीछे बैठाकर एक स्विमिंग क्लब आ गयी और अंदर जाकर उन्होंने मुझे एक जगह बैठने के लिए कहा और खुद अपनी बैग लेकर एक रूम के अंदर चली गयी। अब बाहर 7-8 लड़के लडकियाँ घूम रहे थे, उन लड़कियों ने सिर्फ़ ब्रा-पेंटी जैसी छोटी ड्रेस पहनी हुई थी और वो लड़के सिर्फ़ छोटी चड्डी पहने थे।

फिर थोड़ी देर में स्वाति दीदी भी बाहर निकल आई, उन्होंने भी नीले कलर की एक छोटी सी ब्रा और पेंटी पहन रखी थी, उनके सफेद बूब्स उनकी छोटी सी ब्रा से बाहर आ रहे थे और उनकी छोटी सी पेंटी ने उनकी चूत को ही किसी तरह से ढक रखी थी, में पहली बार उनको इस तरह देख रहा था। फिर वो मेरे पास आई और कहा कि चलो स्विमिंग देखने, उन्होंने अपने बदन पर तेल जैसा कुछ लगाया हुआ था, उनका बदन कुछ चिकना सा लग रहा था और उनकी नाभि से तेल जैसा कुछ बाहर आ रहा था। फिर में उनके पीछे-पीछे चला और पूल के पास एक जगह पर जाकर बैठ गया और वो स्विमिंग करने चली गयी।

अब वहाँ कई लड़के, लडकियाँ स्विमिंग कर रहे थे और कोई-कोई मेरी तरह पूल के पास बैठा था। फिर करीब आधे घंटे के बाद वो स्विमिंग कंप्लीट करके आई और कुछ लड़कियों के साथ एक बाथरूम में घुस गयी। फिर कुछ देर के बाद वो एक टावल लेकर मेरे पास आकर बैठ गयी और फिर उन्होंने मुझसे पूछा कि कैसी लगी मेरी स्विमिंग? तो मैंने हंसकर कहा कि एकदम बढ़िया।

फिर कुछ देर तक बैठने के बाद हम दोनों घर जाने लिए निकले। फिर वो पहले वाले रूम में आई और उन्होंने रूम में जाकर अपनी ड्रेस चेंज करके अपनी जीन्स और शर्ट पहनकर आ गयी और में नहाने चला गया और नाहकर एक आधी पेंट पहनकर बाहर आकर जब मेरे यानि की स्वाति दीदी के कमरे में गया तो मैंने देखा कि वो दरवाज़े की तरफ अपनी पीठ करके अपना पजामा पहन रही थी और उन्होंने अंदर कोई पेंटी भी नहीं पहनी थी और अपने बदन के ऊपर के हिस्से पर उन्होंने अपनी टॉप पहले ही पहन ली थी, तो में थोड़ी देर तक चुपचाप वहाँ दरवाज़े के पास खड़ा रहा।

फिर जब वो अपने पजामा का नाड़ा बाँधने लगी, तो तब मैंने एक हल्की सी आवाज़ दी, तो वो अपना नाड़ा बाँधते-बाँधते ही मेरी तरफ घूमी और मुझे देखकर बोली कि अरे तू खड़ा क्यों है? अंदर आजा। तो में बिस्तर पर जाकर बैठ गया और वो भी मेरे पास आकर बैठ गयी और मुझे हंसकर बोली कि ये पाजामा का नाड़ा बाँधना भी बहुत झंझट का काम है। में ज्यादातर ऐसा पजामा नहीं पहनती, लेकिन मेरी दोनों इलास्टिक वाली पेंट की इलास्टिक एकदम खराब हो गयी है।

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फिर थोड़ी देर के बाद हम लोगों ने एक साथ लंच किया और फिर में और स्वाति दीदी हमारे रूम के बिस्तर पर लेटकर बातें करने लगे। पहले कुछ इधर उधर की बातें होने के बाद अचानक से स्वाति दीदी ने मुझसे पूछा कि तेरा तीसरा पैर कितना बड़ा हुआ रे? तो में कुछ समझ नहीं पाया और पूछा कि मतलब। तो उन्होंने हंसकर मेरी पेंट के ऊपर से ही मेरे लंड के ऊपर अपना एक हाथ रखकर बोली कि में इसके बारे में बोल रही हूँ।

तो में शर्मा गया और कहा कि पता नहीं तो उन्होंने कहा कि क्या बात है तुझे तेरे अपने अंग के बारे में पता नहीं है? चल मुझे दिखने दे और उन्होंने खुद उठकर मेरे कुछ बोलने से पहले ही मेरी पेंट का बटन खोल दिया। में अंदर अंडरवेयर नहीं पहनता हूँ, तो उन्होंने मेरे लंड को अपने हाथ में ले लिया।

फिर उन्होंने मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर हँसते हुए कहा कि हाए रे ये तो कितना छोटा है? और फिर कहा कि ठीक है में तेरे लंड को एकदम फिट बना दूँगी और फिर उन्होंने खुद ही उसे मेरी पेंट के अंदर घुसाकर मेरी पेंट का बटन लगा दिया।

फिर उसके बाद उन्होंने अपने हॉस्टल की पिकनिक की एल्बम निकाली और उसमे से एक-एक करके तस्वीर दिखाने लगी, वो हॉस्टल की कुछ लड़कियों के साथ कही पिकनिक करने गयी थी, उसमें उसकी भी तस्वीरें थी। उसमें पिकनिक की जगह के पास ही जंगल और झरने की स्वाति दीदी और उनकी सहेलियों की नहाने की तस्वीर भी थी। तो मैंने तस्वीर में देखा कि सभी लडकियाँ बिल्कुल नंगी होकर नहा रही थी।

फिर मैंने स्वाति दीदी से कहा कि तुम्हारी सहेलियों को शर्म नहीं आती है क्या? इस तरह खुले में नंगी होकर नहा रही है। तो मेरी बात सुनकर स्वाति दीदी हंस पड़ी और उन्होंने कहा कि वहाँ तो हम सब लडकियाँ ही थी, तो इसमें शरमाना क्या? तो मैंने पूछा कि क्या तुम भी वहाँ नंगी नहा रही थी? लेकिन तुम्हारी तस्वीर तो नहीं है। तो तब उन्होंने कहा कि मैंने ही तो ये तस्वीर खीची है, तो में कैसे तस्वीर में आती? और मेरी तस्वीर मेरी दूसरी सहेलियों के पास है।

तो मैंने कहा कि फिर भी अगर कोई तुम लोगों को उस तरह देख लेता तो। तो स्वाति दीदी ने कहा कि देख लेता तो क्या होता? तुझे पता नहीं जब हम उस दिन नंगी होकर जंगल में घूम रहे थे तो एक ठंडी सी हवा पूरी सिर से लेकर पैर तक बदन के हर हिस्से को छू रही थी तो तब एक अजीब सी सनसनी महसूस हो रही थी। तो में बाकी की तस्वीर देखने लगा और फिर एल्बम देखने के बाद हम दोनों सो गये और फिर शाम को हम लोग थोड़ी देर तक नज़दीक के पार्क में घूमे और फिर वापस आकर चाचा जी के साथ बैठकर टी.वी देखने लगा।

फिर करीब 9 बजे हम सब खाना ख़ाकर सोने के लिए चले गये, में पिछले दिन रात को सफ़र की वजह से जल्दी सो गया था और बाद में कब आकर स्वाति दीदी सो गयी थी मुझे पता भी नहीं चला था, लेकिन आज वैसी कोई बात नहीं थी। फिर मेरे स्वाति दीदी के रूम में जाने के थोड़ी देर बाद ही दीदी भी रूम में आ गयी और उन्होंने मुझसे कहा कि क्यों आज नींद नहीं आ रही है? तो मैंने कहा कि नहीं आज एकदम ठीक है।

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तो वो बाथरूम में चली गयी और कुछ देर के बाद जब बाहर निकली तो तब वो एक ढीली ढाली सी टी-शर्ट और पेंटी पहनी हुई थी। फिर वो आकर बेड पर बैठ गयी और मुझसे कहा कि आज मेरे बदन में थोड़ा दर्द हो रहा है शायद आज स्विमिंग ठीक तरह से ना होने की वजह से और मुझसे कहा कि तुमको अगर तकलीफ़ ना हो तो क्या तुम थोड़ी देर मेरे बदन की मसाज कर दोगे? तो मैंने कहा कि क्यों नहीं? तो तब वो बिस्तर पर अपनी पीठ को ऊपर करके उल्टा होकर लेट गयी और में आहिस्ता-आहिस्ता उनको मसाज करने लगा। लेकिन अब उनकी टी-शर्ट की वजह से मेरा हाथ बार-बार फिसल रहा था।

तो तब उन्होंने कहा कि मेरी टी-शर्ट की वजह से परेशानी हो रही है ना, तो एक काम कर मेरी टी-शर्ट को ऊपर की तरफ उठा दो। तो मैंने उनकी टी-शर्ट को एकदम उनकी गर्दन तक उठा दिया, उनकी पीठ एकदम सफ़ेद और मुलायम थी, उन्होंने ब्रा भी नहीं पहन रखी थी।

फिर मैंने धीरे-धीरे मालिश करना शुरू किया, लेकिन बार-बार उनकी टी-शर्ट नीचे की तरफ गिरे जा रही थी। तो तब उन्होंने मुझे रोककर अपनी टी-शर्ट को ही उतार दिया, अब वो सिर्फ़ एक पेंटी पहने ही फिर से लेट गयी थी।

फिर थोड़ी देर तक मालिश करने के बाद उन्होंने मुझसे कहा कि अब ठीक है और वो सीधी होकर अपनी पीठ के बल सो गयी। अब में पहली बार स्वाति दीदी को इस तरहा सिर्फ़ पेंटी पहने हुए आधी नंगी देख रहा था, उनके बूब्स मीडियम साईज़ के थे और ब्राउन कलर की निपल्स, जो कि एकदम कड़क हो गयी थी और सबसे खास बात थी उनकी नाभि, जिसको में पहली बार इतनी पास से देख रहा था, मैंने इतनी चौड़ी और गहरी नाभि कभी नहीं देखी थी।

फिर में रह नहीं पाया तो मैंने उनसे कहा कि दीदी आपकी नाभि कितनी बड़ी है? तो स्वाति दीदी ने हंसकर कहा कि हाँ मेरे दोस्त और सहेलियां भी यही कहते है। तो मैंने कहा कि क्या में इसमें अपनी उंगली डालकर देखूं? तो उन्होंने हंसकर कहा कि क्यों नहीं? तो मैंने उनकी नाभि में अपनी एक उंगली डाल दी तो मेरी उंगली लगभग आधी उसके अंदर चली गयी तो मैंने उनसे कहा कि दीदी आपकी नाभि इतनी गहरी है कि उसके अंदर मेरी एक उंगली लगभग पूरी घुसे जा रही है।

तो दीदी हंसकर बोली कि इससे भी गहरी एक जगह है, जहाँ तुम्हारी उंगली तो क्या पूरा हाथ ही घुस जाएगा? लेकिन उसमें हाथ नहीं घुसाते कुछ और घुसाते है। तो मैंने कहा कि ऐसी कौन सी जगह है? तो दीदी ने कहा कि एक काम करो तुम मेरी पेंटी को ज़रा उतार दो। अब मुझे ऐसे करने में अजीब लग रहा था, लेकिन फिर भी मैंने उनकी पेंटी उतार दी और उन्होंने अपनी दोनों टांगो को एकदम फैला दिया। उनकी चूत एकदम साफ और चिकनी थी, उनकी चूत से शायद कुछ पानी सा निकल रहा था।

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फिर उनकी दोनों टांगे फैलाते ही उनकी चूत का मुँह खुल गया, उनकी चूत तब पूरी खिली हुई गुलाब जैसी लग रही थी। फिर वो मेरे हाथ को अपने हाथ में लेकर अपनी चूत के पास ले गयी और कहा कि अब इसके अंदर अपनी दो उँगलियाँ एक साथ घुसाओ, देखो ये कितनी गहरी है? तो मैंने अपनी दो उँगलियाँ उनकी चूत में डाल दी तो वो आसानी से एकदम अंदर की और पूरी घुस गयी।

फिर जब मैंने अपनी उँगलियाँ बाहर निकाली तो तब उसमें रस जैसा कुछ लगा हुआ था। तो दीदी ने कहा कि इसे चाट लो देखो अच्छा लगेगा, तो मैंने अपनी उँगलियों को चाटा तो वो रस कुछ नमकीन जैसा था। फिर दीदी ने कहा कि अब एक काम करो अपने लंड को बाहर निकालो और जिस तरह इसमें उंगली डाली थी उसी तरह उसमें अपने लंड को घुसा दो। तो मैंने अपने लंड को बाहर निकाला, जो कि बिल्कुल टाईट और कड़क हो चुका था और दीदी ने जैसा कहा उसी तरह अपने लंड को उनकी चूत में घुसा दिया।

दीदी ने कहा कि अब अपने लंड को अंदर-बाहर करते रहो, तो में उनके कहे अनुसार करने लगा। अब पहले-पहले तो मेरा लंड उनकी चूत से बाहर निकले जा रहा था, अब दीदी खुद ही उसे फिर से घुसा रही थी। फिर दीदी ने कहा कि अपनी स्पीड बढ़ा दो, तो मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी, तो दीदी के मुँह से आवाजे निकलने लगी उन्ह उन्ह आहहहहह।

फिर थोड़ी ही देर में मुझे ऐसा लगा कि मेरे लंड से कुछ निकल रहा है और दीदी की चूत के अंदर गिर रहा है, अब मुझे बहुत अजीब सा मज़ा आ रहा था। फिर मैंने दीदी से कहा कि दीदी मेरे लंड से कुछ निकल रहा है। तो दीदी ने कहा कि ये तुम्हारे लंड का रस है, तो मैंने वो रस दीदी की चूत के अंदर ही पूरा डाल दिया।

अब में थक चुका था तो में अपना लंड दीदी की चूत से बाहर निकालकर उनके बगल में सो गया। अब दीदी उठकर मेरे लंड को अपने मुँह में डालकर चूसने लगी थी। फिर कुछ देर तक वैसे चूसने के बाद उन्होंने मुझसे कहा कि चलो बाथरूम में जाकर थोड़ा साफ हो लेते है, तो में उनके साथ बाथरूम में घुस गया। अब वो मेरे सामने ही बैठकर पेशाब करने लगी थी, अब मुझे भी जोर से पेशाब आ रहा था तो में भी उनके पास खड़ा होकर पेशाब करने लगा।

फिर हम दोनों के पेशाब करने के बाद उन्होंने मेरे लंड को और अपनी चूत को अच्छी तरह से पानी से धोया और फिर हम दोनों आकर नंगे ही सो गये। फिर उन्होंने मुझसे कहा कि क्यों कैसा लगा? तो मैंने कहा कि बहुत अच्छा लगा। तो उन्होंने कहा कि मुझे भी बहुत अच्छा लगा, मैंने इससे पहले बहुत बड़े-बड़े लंडो चुदवाया था, लेकिन आज पहली बार छोटे लंड से चुदवाया है।

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