मैं अपने ऑफिस से घर लौटा तो उस वक्त करीब 8:00 बज रहे थे मैं जब घर पहुंचा तो घर पहुंचते ही मां ने मुझे कहा कि राजेश बेटा तुम मेरे साथ गुप्ता जी की दुकान तक चलो हम लोगों को वहां से राशन लेकर आना है मैंने मां से कहा ठीक है मां मैं बस कपड़े बदल लेता हूं।
मैंने कपड़े बदले और मैं मां के साथ गुप्ता जी की दुकान पर चला गया जब मैं वहां पर गया तो गुप्ता जी मुझसे पूछने लगे कि राजेश बेटा कैसे हो तो मैंने उन्हें कहा मैं तो अच्छा हूं आप बताइए आप की दुकान कैसी चल रही है।
वह मुझे कहने लगे कि मेरी दुकान भी अच्छी चल रही है। मां ने गुप्ता जी को घर के सामान की पर्ची पकड़ा दी और उसके बाद गुप्ता जी ने अपने लड़के से कह कर हमारा सारा सामान पैक कर दिया मैंने उसे अपनी कार में रखा और मैं और मां घर वापस लौट आए।
जब हम लोग घर वापस आए तो मां मुझे कहने लगी कि राजेश बेटा कल तुम मुझे तुम्हारी मौसी के घर छोड़ देना तो मैंने मां से कहा ठीक है मां मैं आपको कल मौसी के घर छोड़ दूंगा।
पापा के देहांत को हुए काफी वर्ष हो चुके हैं मैं और मां ही घर पर अकेले हैं इसलिए मुझे ही मां की देखभाल करनी पड़ती है। मां ने मुझे कुछ समय पहले कहा था कि बेटा तुम शादी कर लो लेकिन अभी मैं शादी नहीं करना चाहता था मेरी उम्र 28 वर्ष है और मैं चाहता हूं कि मैं दो वर्ष बाद शादी करूं मां और मैं इस बारे में अक्सर एक दूसरे से बात करते थे।
मां कहती कि राजेश बेटा मुझे भी किसी का साथ मिल जाएगा क्योंकि मैं घर पर अकेली ही रहती हूं और तुम्हें तो मालूम है कि मेरी तबीयत भी ठीक नहीं रहती। मैंने मां से कहा ठीक है मां मैं इस बारे में सोच लूंगा लेकिन मुझे कुछ समय चाहिए, अक्सर मां मुझसे इस बारे में बात किया करती थी।
अगले दिन मैंने मां को मौसी के घर पर छोड़ दिया था और वहां से मैं अपने ऑफिस चला गया मां ने मुझे कहा था कि बेटा तुम भी ऑफिस से लौटते वक्त मौसी के घर पर ही आ जाना मैंने मां से कहा ठीक है मां मैं भी ऑफिस से लौटते वक्त मौसी के घर पर ही आ जाऊंगा।
मैं ऑफिस से लौटते वक्त मौसी के घर पर ही चला गया मैं जब मौसी के घर पर गया तो उस दिन मौसी घर पर अकेली ही थी मौसी से मैंने पूछा आज मौसा जी नजर नहीं आ रहे तो वह कहने लगी कि वह अपने काम के सिलसिले में बाहर गए हुए हैं।
मौसी के दोनों बेटे विदेश में पढ़ाई करते हैं मौसा जी का बिजनेस काफी अच्छा चलता है और वह लोग चाहते थे कि उनके बच्चे विदेश पढ़ने के लिए जाएं। हम लोग उस दिन मौसी के घर पर ही रुके और अगले दिन मैं वहां से अपने ऑफिस चला गया, शाम को मैं ऑफिस से लौटते वक्त मां को घर ले आया था।
एक दिन मुझे मां ने कहा कि राजेश बेटा क्या तुम आज मेरे लिए डॉक्टर से दवाई ले आओगे? मां का इलाज एक डॉक्टर से चल रहा था जो कि हमें काफी समय से जानते हैं मैं आते वक्त वहां से मां के लिए दवाई ले आया था।
मुझे भी अब लगने लगा था कि मुझे शादी कर लेनी चाहिए क्योंकि मां की तबीयत भी ठीक नहीं रहती थी और वह ज्यादा बीमार भी रहने लगी थी जिस कारण मैंने सोचा कि मुझे जल्द से शादी करनी पड़ेगी। मै शादी करने के लिए मान चुका था मां ने मेरे लिए कई रिश्ते देखे लेकिन मुझे कोई पसंद नहीं आई।
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मुझे मां हर रोज नई नई लड़कियों की तस्वीर दिखाया करती और कहती की बेटा यह तुम्हारे लिए ठीक है लेकिन मैं मां से कहता की मां मुझे इनमें से कोई भी पसंद नहीं है। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मुझे कैसी लड़की से शादी करनी है मैं काफी दुविधा में था।
एक दिन मैं मौसी के घर पर गया हुआ था और उस दिन मौसी के पड़ोस में रहने वाली एक लड़की उनके घर पर आई हुई थी उसका नाम कविता था। कविता को मैंने जब पहली बार देखा तो उसे देख कर ही जैसे मैं उसकी तरफ आकर्षित हो गया था और मैं चाहता था कि कविता से ही मैं शादी करूं लेकिन मुझे कविता के बारे में ज्यादा कुछ जानकारी नहीं थी और ना ही मुझे उसके बारे में कुछ पता था।
धीरे-धीरे मैंने कविता के बारे में पता करवाना शुरू किया तो मुझे पता चला कि कविता भी जॉब करती है और अब मैं कविता के नजदीक जाना चाहता था उसके लिए मैंने अपनी मौसी से कहा तो मेरी मौसी ने मेरी मदद की।
मौसी ने हीं हम दोनों की मुलाकात करवाई थी अब हम दोनों का परिचय हो चुका था और एक दूसरे के साथ हम दोनों डेट भी करने लगे थे मुझे कविता का साथ अच्छा लगने लगा था और यह बात मुझे पता थी कि मुझे कविता से शादी करनी है लेकिन मैं चाहता था कि कविता के बारे में मुझे पता हो और वह भी मेरे बारे में जाने।
कविता ने मुझे अपने बारे में सब कुछ बता दिया था और मैंने भी कविता को अपने बारे में सब कुछ बता दिया था हम दोनों को एक दूसरे का साथ अच्छा लगने लगा था। एक दिन मैंने कविता को अपने दिल की बात कह दी और उसके बाद तो जैसे बात आगे बढ़ने लगी, मेरी मां ने कविता के घर मेरी शादी का रिश्ता भिजवाया तो वह लोग भी मुझसे कविता की शादी करवाने के लिए तैयार हो चुके थे।
किसी को भी कोई आपत्ति नहीं थी और जल्द ही हम दोनों की सगाई होने वाली थी मैं इस बात से बहुत खुश था कि हम दोनों की सगाई होने वाली है। कविता और मैं एक दूसरे को हर रोज मिला करते और मुझे कविता से मिलना अच्छा लगता है। एक दिन मै मौसी के घर पर गया हुआ था उस दिन मौसी ने मुझे कहा राजेश बेटा तुम घर पर ही रहना मैं बस थोड़ी देर बाद आती हूं।
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मैंने मौसी से कहा ठीक है मौसी मैं घर पर ही हूं मैं घर पर काफी देर तक था लेकिन मौसी अभी तक आई नहीं थी। मैंने सोचा क्यों ना कविता को बुला लिया जाए और मैंने कविता को वहां बुला लिया।
कविता और मैं साथ में बैठे हुए थे मैंने कविता की जांघ पर हाथ रखा और उसे कहा अब तो हमारी सगाई होने वाली है। वह मुझे कहने लगी राजेश लेकिन मैं यह सब शादी के बाद करूंगी मैंने उससे कहा मेरा आज तुम्हारे साथ सेक्स करने का मन है और आज मौका भी बहुत अच्छा है शायद ऐसा मौका हम दोनों को फिलहाल तो नहीं मिलने वाला।
कविता ने भी कुछ देर सोचा और आखिरकार वह मेरे बाहों में आ ही गई। जब वह मेरी बांहो मे आई तो हम दोनों एक दूसरे को चुम्मा चाटी करने लगे और हमें काफी मज़ा आने लगा था। हम दोनों को बहुत अच्छा महसूस हो रहा था अब मैंने कविता के कपड़े उतारने शुरू किए।
जब मैं कविता के कपड़े उतार रहा था तो मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था और जिस प्रकार से मैंने उसके कपड़े उतारे उससे मैं इतना ज्यादा गर्म होने लगा कि मैंने उसे कहा मुझे बहुत अच्छा लग रहा है काफी देर तक मैंने उसके बदन को महसूस किया।
जब मैंने उसके बूब्स को चूसना शुरू किया तो वह मचलने लगी अब उसका बदन मेरे सामने पूरी तरीके से नंगा हो चुका था मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया उसकी चूत को मैं जब चाट रहा था तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था उसकी चूत से पानी बाहर निकलने लगा था।
मैंने कविता से कहा तुम मेरे लंड को अपने मुंह में ले लो और कविता ने अपने मुंह के अंदर मेरे लंड को ले लिया। जब उसने ऐसा किया तो मुझे बहुत अच्छा लगने लगा कविता बहुत ज्यादा खुश थी कविता को ऐसा करने मै मजा आने लगा।
मैंने कविता के दोनों पैरों को खोलकर अपने लंड को उसकी चूत पर लगाया तो वह कहने लगी राजेश मुझे डर लग रहा है तुम धीरे-धीरे अपने लंड को चूत में घुसाना। मैंने उसे कहा तुम बिल्कुल चिंता मत करो मैं धीरे-धीरे ही तुम्हारी चूत में लंड घुसाऊंगा। यह कहते हुए मैंने उसकी योनि के अंदर लंड डालना शुरू किया जैसे ही मेरा लंड उसकी योनि के अंदर तक चला गया तो वह चिल्लाई तुमने तो मेरी सील तोड दी है।
मैंने उसकी योनि की तरफ देखा तो उसकी योनि से खून बाहर निकलने लगा था मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। मैने उसकी चूत से खून निकाल दिया था मैने उसके दोनों पैरों को चौडा कर लिया था जिससे कि आसानी से मेरा लंड उसकी चूत के अंदर बाहर हो रहा था जिस से कि वह बहुत ही ज्यादा उत्तेजित होने लगी थी और मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था।
मैंने उसके दोनों पैरों को अपने कंधों पर रख लिया और मैंने ऐसा किया तो उसकी चूतड़ों पर मे तेजी से प्रहार कर रहा था। उसकी चूतड़ों पर मुझे प्रहार करने में बहुत अच्छा लग रहा था मैं उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को बड़ी तेजी से किए जा रहा था जिससे उसकी सिसकियां में भी लगातार बढ़ोतरी होती जा रही थी और उसकी गर्मी इस कदर बढ़ने लगी थी कि वह मुझसे लिपटने लगी और कहने लगी अब मैं ज्यादा देर तक तुम्हारा साथ नहीं दे पाऊंगी। मैंने उसे कहा कोई बात नहीं तुम बस ऐसे ही लेटे रहो।
मैं अपने लंड को उसकी चूत के अंदर बाहर तेजी से कर रहा था मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैंने उसके दोनों पैरों को आपस में मिला लिया था जब मैंने ऐसा किया तो उसके अंदर गर्मी बढ़ती ही जा रही थी और मुझे मजा आने लगा था।
उसकी चूत मुझे बहुत ज्यादा टाइट महसूस होने लगी मुझे लगने लगा कि शायद मैं ज्यादा देर तक अपने आपको नहीं रोक पाऊंगा और ऐसा ही हुआ हम दोनों ही ज्यादा देर तक अपने आपको नहीं रोक पाए।
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मेरा उसकी योनि के अंदर माल गिर दिया जब मैंने ऐसा किया तो वह कहने लगी हमने आज सुहागरात मना ली है। मैंने उसे कहा तुम्हें मजा नहीं आया तो वह कहने लगी मुझे तो बहुत ही अच्छा लगा और बहुत मजा आया।
उसके कुछ समय बाद भी हम लोगों की सगाई हो गई सगाई हो जाने के बाद कविता भी तड़पने लगी और वह मुझसे कहती मुझे तुमसे मिलना है जब हम लोग मिलते तो एक दूसरे के साथ संभोग किया करते हैं।